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युद्ध और शांति पर निबंध

War and Peace Essay in Hindi
युद्ध और शांति पर निबंध | War and Peace Essay | Paragraph on War and Peace in Hindi

युद्ध और शांति पर निबंध | War and Peace Essay in Hindi


भूमिका:

वर्तमान में मनुष्य पृथ्वी का सबसे शक्तिशाली प्राणी है जिसने पृथ्वी के समस्त प्राणियों पर अपना दबदबा कायम किया है। मनुष्य आज इतना शक्तिशाली हो चुका है कि वह पृथ्वी के बाहर अन्य ग्रहों में भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने में लगा हुआ है। लेकिन इतनी शक्ति अर्जित कर लेने के बाद मनुष्य में एक तरह का अहंकार पनप चुका है। अपने अहंकार में वह इतना अंधा हो चुका है कि वह खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाने के लिए कई जिंदगियां तबाह करने से पीछे नहीं हटता। मनुष्य के मन में आज अधिक से अधिक शक्तियां हासिल कर खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाने की होड़ लगी हुई है। वह चाहता है कि वह पूरे विश्व में शासन कर सके। उसकी इसी लालसा ने युद्ध को जन्म दिया।

युद्ध तबाही का दूसरा नाम है आज तक कोई भी युद्ध ऐसा नहीं हुआ है जिसने रक्त की बलि न ली हो। युद्ध से कभी किसी का फायदा नहीं हुआ। इसने हारने वाले पक्ष के साथ-साथ जीतने वाले पक्ष को भी बराबर प्रभावित किया है। युद्ध की वजह से देश में एक अशांत वातावरण का जन्म होता है जिससे देश का विकास संभव नहीं हो पाता। ऐसे में शांति की स्थापना जरूरी है।

युद्ध का अर्थ क्या है?

युद्ध मुख्यतः घर के सदस्यों के बीच होने वाले आपसी लड़ाई झगड़ों से अलग होता है क्योंकि घर में होने वाले झगड़े अल्पकालिक होते हैं तथा इससे ज्यादा हानि नहीं होती। इसमें जल्द ही स्थिति काबू में आ जाती है और शांति की स्थापना होती है। वहीं दूसरी ओर युद्ध इसी लड़ाई झगड़े की चरम स्थिति है। एक तरफ घरेलू लड़ाई झगड़े जहां अल्पकालिक होते हैं वही युद्ध दीर्घकालिक होता है। इसमें विभिन्न देशों के बीच हथियारों समेत एक आक्रामक लड़ाई होती है और यही लड़ाई आगे जाकर महायुद्ध में तब्दील हो जाती है।

युद्ध के पीछे क्या कारण होते हैं?

कोई भी युद्ध बिना किसी कारण के नहीं होता युद्ध में दो पक्षों के बीच में कोई न कोई ऐसा कारण जरूर होता है जो उन्हें युद्ध के लिए तैयार करता है। नीचे कुछ ऐसे ही कारणों का जिक्र किया जा रहा है जो कि निम्नलिखित है:-

साम्राज्यवाद युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। मनुष्य ज्यादा से ज्यादा शक्तियां हासिल करने के लिए ज्यादा क्षेत्र में अपना अधिकार करना चाहता है। उसकी विस्तारवादी नीतियों के परिणामस्वरूप साम्राज्यवाद का जन्म होता है। अपनी शक्ति के विस्तार के लिए मनुष्य सत्ता और साम्राज्य हासिल करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाता है जिनमें से युद्ध एक है। साम्राज्यवाद की वजह से कई देशों को गुलामी की दास्तां से गुजरना पड़ा है।

यह युद्ध होने के सबसे बड़े कारणों से एक है। कई देशों के आर्थिक हित एक ही जगह से संबंधित होते हैं। इन आर्थिक हितों में टकराव के चलते दो देशों के बीच में तनाव की स्थिति बनती है।

युद्ध होने के पीछे कई धार्मिक व सांस्कृतिक कारण होते हैं। यदि इतिहास पर गौर फरमाएं तो तब भी कई धर्म युद्ध हो चुके हैं। कई देश यह चाहते है कि उसकी संस्कृति को अन्य देश जाने और पहचाने। कभी-कभी वह अपनी संस्कृतियों को दूसरे देशों पर थोपने का भी प्रयास करता है। जो युद्ध का कारण बनता है।

युद्ध का परिणाम

हमेशा देखा गया है युद्ध का परिणाम कभी सकारात्मक नहीं हुआ है। युद्ध हमेशा ही तबाही लेकर आया है जिससे देश में हाहाकार मच जाता है। युद्ध की वजह से हजारों वर्षों से संचित साहित्य, संस्कृति, ज्ञान विज्ञान पर बुरा असर पड़ता है। युद्ध का परिणाम देश के विकास में भी बाधा डालता है। यह कभी भी लोगों के लिए भलाई नहीं लेकर आया है क्योंकि इससे न जाने कितने बसे-बसाए घर उजड़ जाते हैं। कितनी महिलाएं अपना सुहाग खो देती हैं तो कितनी माताएं अपने बेटों को खो देती हैं।

युद्ध की आवश्यकता

यदि प्राचीन भारत पर गौर फरमाएं तो आप जान सकेंगे कि हमारे देश के कई महापुरुषों ने युद्ध को रोकने की भरसक कोशिशें की हैं। महाभारत में ही भगवान श्री कृष्ण शांति दूत बनकर आए। उन्होंने कौरवों की सभा में जाकर युद्ध रोकने के प्रयास किए।

यह था युद्ध का पहला पक्ष अब हम युद्ध के दूसरे पहलू को उठा कर देखेंगे। कई बार युद्ध किसी देश के लिए वरदान भी साबित होता है तथा यह शांति स्थापित करने के लिए भी मार्ग प्रशस्त करता है। जहां युद्ध किसी देश में अशांति का कारण बनता है वही यह कई बार किसी देश में शांति स्थापित भी करता है क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि ना चाहते हुए भी मजबूरी में किसी देश को युद्ध में कूदना पड़ता है, जिससे वे अपने देश के स्वाभिमान और स्वतंत्रता की रक्षा कर सकें। इसका ताजा उदाहरण है चीन का भारत पर आक्रमण जिसके जवाब में भारत को चीन के सामने सीना चौड़ा कर खड़ा होना पड़ा जिससे वह अपने देश की रक्षा कर सकें।

युद्ध से किसी देश में विद्यमान पापी, अधर्मी और भ्रष्टाचारी लोगों की समाप्ति की जा सकती है इसीलिए ऐसे लोगों के विनाश में युद्ध एक वरदान साबित होता है।

शांति की स्थापना है जरूरी

कहा जाता है कि एक अशांत मन से किया गया कोई भी कार्य सफल नहीं होता। उसी तरह से एक अशांत देश कभी भी विकास के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता। ऐसा कौन सा शख्स है जो अपने जीवन में शांतिपूर्ण तरीके से रहना नहीं चाहता। प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि वह शांति से अपना जीवन काटे। यही वजह है कि युद्ध की स्थिति से बचने और देश में शांति की स्थापना के लिए समझौते किए जाते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध में म्यूनिख समझौता किया गया था। यह समझौता ब्रिटेन के द्वारा किया गया था इसका कारण था कि ब्रिटेन हिटलर से लड़ने में सक्षम नहीं था। इसीलिए यह समझौता किया गया था। अतः कहा जा सकता है कि विनाशकारी स्थितियों से बचने के लिए शांति की स्थापना एकमात्र उपाय है।

स्थाई शांति

जिस तरह युद्ध के दो पक्ष होते हैं उसी तरह शांति के भी दो पक्ष होते हैं। स्थाई शांति, शांति के उस प्रकार को कहते हैं जो युद्ध में अर्जित की गई शांति के बराबर होती है। इसे एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है। भारत और पाकिस्तान के बीच कभी भी संबंध अच्छे नहीं रहे हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि रोजाना दोनों के मध्य युद्ध होते रहते हैं। इसका कारण है कि भारत ने पाकिस्तान में डर पैदा किया है कि वह उसके प्रत्येक आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देगा। इसलिए पाकिस्तान ने अपने कदम खींच रखे हैं और आज देश में शांतिपूर्ण माहौल बना हुआ है तथा हम युद्ध की विभीषिका से बचे हुए हैं।

विश्व शांति की जरूरत

समस्त मानव जाति को विनाश से बचाने के लिए विश्व के कई कोनों से विश्व शांति की मांग उठाई जा रही है। हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वयं अहिंसा का सिद्धांत दिया उनका कहना था शांति स्थापित करने के लिए कभी भी हिंसा का सहारा नहीं लिया जा सकता। महात्मा गांधी ही नहीं बल्कि हमारे देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी पंचशील को जन्म दिया था। विश्व भर में युद्ध की स्थिति से बचने के लिए कई संगठन बनाए गए हैं जो इस पर अपनी आवाज उठाते हैं।

उपसंहार:

अतः हम कह सकते हैं कि युद्ध विनाश का दूसरा नाम है। युद्ध मनुष्य की तबाही का कारण बनता है इसीलिए हमेशा युद्ध को रोकने का भरसक प्रयास किया जाना चाहिए। लेकिन कई बार देखा गया है कि युद्ध शांति की राह भी अख्तियार करता है। भारत जैसा देश अपने दुश्मन पड़ोसी देशों से घिरा हुआ है। भविष्य को लेकर वह निश्चित नहीं है कि कब कौन सा देश भारत में आक्रमण कर दे। इसीलिए भारत में शांति की स्थापना करने के लिए जरूरी है कि भारत को शक्ति संतुलन में भागीदारी लेना चाहिए। उसके पास कम से कम इतनी शक्ति तो होनी चाहिए कि यदि उस पर कोई आक्रमण कर देता है तो वह उसका मुंह तोड़ जवाब दे सके।



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Author:

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।

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