Last updated on: September 25th, 2020
गाँठ
मत बांधिए
खोलिए मन के गाँठों को
क्योंकि ये आपको
तड़पायेंगे,रूलाएंगें,
आपका सूकून, चैन भी
छीन ले जायेंगे।
अब भी समय है
चेत जाइये,
गाँठों के अमिट निशान बनें
उससे पहले चेत जाइये।
गाँठ,मन के
कभी भी अच्छे नहीं होते,
अच्छे भले,सूकून भरे जीवन में
विष घोल जाते,
संबंधों की परिपाटी में
दरार डाल जाते।
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Note: There is a rating embedded within this post, please visit this post to rate it.About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002