गाँठ
मत बांधिए
खोलिए मन के गाँठों को
क्योंकि ये आपको
तड़पायेंगे,रूलाएंगें,
आपका सूकून, चैन भी
छीन ले जायेंगे।
अब भी समय है
चेत जाइये,
गाँठों के अमिट निशान बनें
उससे पहले चेत जाइये।
गाँठ,मन के
कभी भी अच्छे नहीं होते,
अच्छे भले,सूकून भरे जीवन में
विष घोल जाते,
संबंधों की परिपाटी में
दरार डाल जाते।
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About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002