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10 Most Popular Books of Hindi Literature | हिंदी साहित्य की 10 सबसे लोकप्रिय व चर्चित किताबें
वर्तमान समय में हम लोग पश्चिमी संस्कृति पर निर्भर से हो गए हैं जिस वजह से हमें पश्चिमी सभ्यता-संस्कृति, परिधान, गाने, फिल्में सब कुछ पसंद आती है। लेकिन पश्चिमी सभ्यता-संस्कृति के पीछे की दौड़ में हम कहीं न कहीं अपनी संस्कृति रीति-रिवाजों को भुलाते जा रहे हैं।
भारत जैसा देश किसी भी अन्य देश के मुकाबले अपने अंदर ज्ञान का भंडार छुपाए हुए हैं। इस ज्ञान के भंडार को प्रदर्शित करता है भारतीय साहित्य, जो कि किसी पश्चिमी भाषा में नहीं बल्कि खुद हिंदी जबान में लिखी गई है।
एक समय था जब भारत में पश्चिमी संस्कृति का इतना प्रभाव नहीं था। उस समय हिंदी साहित्य देश-दुनिया में लोकप्रियता हासिल कर रहा था। वर्तमान समय में भी कुछ हद तक इसकी लोकप्रियता बरकरार है लेकिन पश्चिमी संस्कृति और पश्चिमी भाषा के प्रभाव की वजह से यह कहीं धूमिल-सी होती जा रही है।
ऐसे में अगर आप हिंदी पुस्तकों तथा हिंदी के जरिए ज्ञान हासिल करने को इच्छुक हैं और हिंदी साहित्य, उपन्यास या काव्यात्मक रचनाएं पढ़ना पसंद करते हैं, तो आज कई आर्टिकल आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। जिसमें हम हिंदी साहित्य की चर्चित और लोकप्रिय पुस्तकों के बारे में आपको बताएंगे। आइए जानते हैं वे कौन-सी 10 लोकप्रिय पुस्तकें है।
1. गोदान
हिंदी साहित्य के लोकप्रिय और चर्चित किताबों की बात आए और इसमें गोदान का नाम न हो ऐसा कैसे हो सकता है? गोदान मुंशी प्रेमचंद्र की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक मानी जाती है। इसके साथ ही इसे हिंदी साहित्य की भी सर्वश्रेष्ठ रचना बताया जाता है। इसे अंग्रेजी में ‘द गिफ्ट ऑफ अ काव’ के नाम से जाना जाता है।
अगर बात करें गोदान की कहानी की तो यह दो दंपत्ति के इर्द-गिर्द घूमती है जिनकी सामाजिक स्थिति ज्यादा सही नहीं है। तथा उनके जीवन में गाय का बहूत महत्व है। इस कहानी के मुख्य पात्र का नाम होरी और धनिया है।
गोदान एक ऐसी साहित्यिक रचना है जिस पर फिल्म भी बन चुकी है। प्रेमचंद की गोदान को पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि 1936 से लेकर वर्तमान समय में किसानों की स्थिति में अब तक कितना परिवर्तन आया है और गांव की दशा और दुर्दशा आज क्या है।
2. मैला आंचल
इस उपन्यास को भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि पर बनाया गया है। इसके लेखक है फणीश्वर नाथ रेणु। यह कहानी उत्तर-पूर्व बिहार के एक छोटे से गांव और उसमें रहने वाले लोगों के बारे में है। वे लोग अपनी दैनिक घटनाओं में किस तरह के संघर्षों का सामना करते हैं, साथ ही कैसे इस स्थिति से जूझते हैं।
इस कहानी में बिहार के पूर्णिया के मेरीगंज में एक डॉक्टर को चित्रित किया गया है जिसके जरिए समाज में बरकरार बुराइयों, अंधविश्वासों व गांधी के आदर्शों के खत्म होने के बारे में बताया है।
इसमें एक गांव में एक डॉक्टर प्रैक्टिस के लिए आता है जो ग्रामीणों की मदद करता है। लेकिन वह अपने इस कार्य के दौरान गांव के पिछड़ेपन, उनके दुख, कष्ट, अंधविश्वास, अज्ञानता से भी परिचित होता है।
3. मधुशाला
डॉ. हरिवंश राय बच्चन की यह काव्यात्मक रचना हिंदी साहित्य जगत में काफी नाम कमा चुकी है। इस कविता संग्रह में 135 शब्दों का संग्रह है। इसे बीसवीं शताब्दी में रचित किया गया था और वर्तमान समय में भी इसे काफी ज्यादा पसंद किया जाता है।
4. सूरज का सातवां घोड़ा
इस किताब के लेखक हैं धर्मवीर भारती। इस कहानी में माणिक मुल्लाह नामक एक सूत्रधार विभिन्न कहानियां सुनाते हैं। वे कई तरह की अलग-अलग कहानियों को सुनाते हैं लेकिन अंत में हमें पता चलता है कि सभी अलग-अलग कहानी नहीं बल्कि एक ही कहानी है। सूरज का सातवां घोड़ा तीन कहानियों का संग्रह है। इस कहानी को माणिक मुल्ला द्वारा छह दोपहरों के भीतर अपने मित्रों को सुनाया गया।
इसमें पहले कहानी का शीर्षक था नमक की अदाएगी। इसी तरह इसके दूसरे कहानी का शीर्षक ‘घोड़े की नाल’ तीसरी का ‘तन्ना की कहानी, और अन्य कहानियों के शीर्षक मालवा की युवरानी, देवसेना, काले बेंट का चाकू, सती की कहानी है।
5. कितने पाकिस्तान
भारत विभाजन एक ऐसी त्रासदी थी जिसके शिकार कई लोग हुए। और अंततः पाकिस्तान के रूप में एक अन्य राज्य का निर्माण हुआ। इस त्रासदी पर कितने पाकिस्तान नामक उपन्यास लिखा गया है जो कि मुख्यतः हिंदूओं व मुस्लिमों के संबंधों पर आधारित है।
इस कहानी में एक अदालत में अशोक, बाबर, औरंगजेब, गांधीजी आदि जैसे कई लोग पेश किए जाते हैं। इसके रचनाकार कमलेश्वर है तथा इस किताब को साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत किया जा चुका है।
6. आषाढ़ का एक दिन
‘आषाढ़ का एक दिन’ के लेखक का नाम मोहन राकेश है। यह मुख्यता एक नाटक है जिसे कई बार हिंदी नाटक के आधुनिक युग का पहला नाटक भी कहा जाता है। यह नाटक इतना लोकप्रिय हुआ कि 1959 में इसे संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस नाटक पर आगे जाकर मणि कौल ने एक फिल्म बनाई और इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार यानी की फिल्म फेयर से नवाजा गया। हालांकि अगर बात करें इसकी कहानी कि तो यह महाकवि कालिदास के जीवन पर आधारित है।
7. तमस
तमस के रचयिता भीष्म साहनी है जिन्होंने भारत विभाजन के दौरान की घटनाओं को उजागर किया है। वह अपनी इस रचना में बताते हैं कि किस तरह से योजनाबद्ध तरीके से भारत में हिंसा फैलाई गई जिसकी त्रासदी भारत विभाजन के रूप में सामने आई।
तमस का प्रकाशन 1973 में किया गया था। साथ ही यह साहित्य जगत में काफी ज्यादा लोकप्रिय भी हुई। इसे साल 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। तमस की कहानी पर एक दूरदर्शन धारावाहिक भी बनाया गया। इसका निर्देशन गोविंद निहलानी द्वारा किया गया।
तमस की कहानी की बात करें तो यह सिर्फ 5 दिनों की कहानियों को मिलकर बनाया गया है। लेकिन यह बीसवीं सदी के हिंदुस्तान की झलकियां प्रस्तुत करता है। इसे दो खंडों में विभाजित किया गया है। इसके पहले खंड में 13 प्रकरण शामिल है जबकि इसका दूसरा खंड गांव पर आधारित है।
8. मानस का हंस
इस उपन्यास के रचयिता अमृतलाल नागर है। इसे 1972 में प्रकाशित किया गया था। दरअसल, यह उपन्यास और कुछ नहीं बल्कि तुलसीदास के जीवन का परिचय है। हालांकि इसमें गोस्वामी जी के जीवन से संबंधित प्रमाणित जानकारियों का अभाव है।
लेकिन यह पूरी तरह से यथार्थ नहीं है बल्कि वास्तविकता और कल्पना का यह ताना-बाना है। इस उपन्यास को क्लासिक सम्मान से नवाजा जा चुका है। इस कहानी में गोस्वामी तुलसीदास के जीवन को तर्कसंगत तरीके से प्रदर्शित किया गया है। वैसे तो यह है यथार्थ और कल्पना का मेल है लेकिन पढ़ने पर यह पूर्णत: यथार्थ ही प्रतीत होता है।
9. गुनाहों का देवता
गुनाहों का देवता सबसे लोकप्रिय उपन्यासों में से एक मानी जाती है तथा अब तक इसके 100 से ज्यादा संस्करणों को छापा जा चुका है। यह एक तरह की प्रेम कथा है जिसमें एक युवक को अपने शिक्षक की बेटी से प्यार हो जाता है। इसकी कहानी की बात करें तो इस कहानी की पृष्ठभूमि अंग्रेजों के समय का इलाहाबाद रहा है। इस कहानी में 3 मुख्य पात्र है जिनका नाम चंद्र, सुधा और पम्मी है।
10. गबन
गबन मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक उत्कृष्ट रचना है। इसमें उन्होंने जालपा जो कि इस कहानी का केंद्रीय पात्र है, के जीवन के बारे में बताया है। लेकिन उसके जीवन को उन्होंने बेहद रोचक तरीके से प्रस्तुत किया है।
मुख्यतः गबन की कहानी मध्यवर्ग के जीवन के बारे में बताती है। इसमें एक महिला का पति के जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है, इस बारे में बताया गया है। इस कहानी की पृष्ठभूमि प्रयागराज और कोलकाता के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें शादी के दौरान पति अपनी पत्नी को यह झूठ कहता है कि वह अमीर है जिसके बाद पत्नी हमेशा पति के सामने कई मांगे रखती है। वे उनसे गहने बनवाने को कहती है पति इससे घबरा जाता है कि उसकी पत्नी को असलियत का पता न चल जाए जिस वजह से वह जहां काम करता है, वहां से पैसों की चोरी करने लग जाता है।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।