कोरोना की नगरिया
बिना मास्क के सेनेटाइजर के बीच बजरिया जइयो ना
होइगा जो कोरोना तुमको तो बाबू फिर बच पाइयो ना
1. जब तुमको अस्पताल ले जइहें डॉक्टर फिर एक नजर ना फिरइहें
सनक गए जो वार्ड बॉय तो स्ट्रेचर पे भी तुम्हे ना लिटइहें
नहीं है बेड वेंटिलेटर भी नहीं करके बहाना तुमको भगईहैं
मिला ना गर जो आक्सीजन तो सासें तुम लई पइहो ना
होइगा जो कोरोना तुमको तो बाबू फिर बच पाइयो ना ।
2. रोज जमाना ये मर रहा है कोरोना बीमारी से डर रहा है
बचाव करने को महामारी से देश सुरक्षा अपनी कर रहा है
चला है कैसा काल का पहिया भरपाई सारा जग कर रहा है
करो ना तुम खिलवाड़ यूँ खुद से क्यूँ शरीर ये अखर रहा है
चले गए इस दुनिया से तो लौट के वापस अइयो ना
होइगा जो कोरोना तुमको तो बाबू फिर बच पाइयो ना ।
3. तेरे सहारे परिवार है चलता घर का चूल्हा तुमसे जलता
सोंचो जरा बच्चों का जीवन जो पिता के साए में है पलता
बीवी के सिन्दूर की लाली माँ जो तुम्हे है गोद में पाली
बूढ़े बाप का तू है सहारा भाई बहिन की आँख का तारा
देती हु में ये दुआ बस दिल से सजा रहे सबका घर द्वारा
बिना काम के घर से बाहर बेफिजूल तुम जइयो ना
होइगा जो कोरोना तुमको तो बाबू फिर बच पइयो ना ।
4. ध्यान लगाकर सुनो महिलाओं बिन मतलब बाजार ना जाओ
जो मिल जाए रूखा सूखा प्रेम से घर में बनाओ खाओ
नहीं डरोगी जो कोरोना से तो ऐसा ना हो बाद में तुम पछताओ
जो तुम नियम का पालन ना करोगी कोरोना से जो ना डरोगी
चूड़ी काजल लाली बिंदिया कैसे सब श्रृंगार करोगी
सोंचो जरा तुम उन साड़ियों के बारे में जिनको पहिन तुम पइयो ना
होइगा जो कोरोना तुमको तो बाबू फिर बच पाइयो ना ।
5. दाल रोटी अब प्रेम से खाओ रोज़ ना बहुरिया से लट्ठ बजाओ
बीड़ी हुक्का पान तम्बाकू ये भी तुम संभल कर खाओ
करो बंद तुम बाहर निकलना घर के अंदर चौपाल लगाओ
७० ८० की उम्र के बूढ़े नहीं रिकवरी कर पाते है
ले नहीं पाते सांस ठीक से चंद घंटों में ही मर जाते है
जिनकी खातिर परिवार सजाया अंतिम संस्कार भी वो ना कर पाते है
जी लेते कुछ और भी दिन हम सोंच के ये पछतइयो ना
होइगा जो कोरोना तुमको तो बाबू फिर बच पाइयो ना ।
6. बच्चों से अनुरोध यही है खेलो वो जो खेल सही है
नहीं दिखलाओगे जो समझदारी लग जाएगी तुम्हे बिमारी
तो घर में अपना समय बिताओ पढाई लिखे में मन लगाओ
गुड़िया गुड्डा खेल खिलौने भाई बहिन को संग खिलाओ
व्यस्त समय जो न कर पाए संग सबके तुम समय बिताओ
मम्मी पापा दादी बाबा के संग थोड़ा समय बिताओ
करो सेवा परिवारीजन की आशीर्वाद भी उनका पाओ
अरमानों से पला जिन्होंने बनकर कुछ उन्हें दिखाईहो ना
होइगा जो कोरोना तुमको तो बाबू फिर बच पाइयो ना ।
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सोनल उमाकांत बादल , कुछ इस तरह अभिसंचित करो अपने व्यक्तित्व की अदा, सुनकर तुम्हारी कविताएं कोई भी हो जाये तुमपर फ़िदा 🙏🏻💐😊