मेरी मां
मां मुझे बचपन में किस्से सुनाती,
मैं सो जाता फिर भी लोरियां गाती।
मां अपना पेट काटकर मुझे खिलाती,
मैं जब भी रोता तो वो मुझे दूध पिलाती।
तब मां का आँचल मुझे सुकून देता,
फिर भी मां का आँचल सबको कहां नसीब होता।
दूर होते हुए भी मेरे दिल के पास होती,
मगर मां हरदम मेरे साथ होती।
जब चोट मुझे लगती है तब दर्द तुम्हें होता है,
खुशी में भूल जाता पर मुसीबत में तुम्हारा ख्याल आता है।
मां की मोहब्बत की कोई क्या मिशाल देगा,
मां का प्यार दुनियां के सम्पूर्ण प्यार को कम कर देगा।
मगर इसके चरित्र को कहां किसी ने जाना है,
मां तुझको ही मैंने अपना ईश्वर माना है।
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मेरा नाम निर्भय सोनी है और मैं उत्तर प्रदेश के रहने वाला हूँ। मुझे लिखने में अच्छी रूचि है। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरा ये लेख जरुर पसन्द आएगा। आप लोग अपना आशिर्वाद और प्यार इसी तरह बनाए रखिये। 🙏🏻😊