बुद्ध पूर्णिमा पर निबंध

Last updated on: May 5th, 2021

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बुद्ध पूर्णिमा पर निबंध | Essay on Buddha Purnima in Hindi

बुद्ध पूर्णिमा पर निबंध | Buddha Purnima Essay in Hindi


प्रस्तावना

गौतम बुद्ध, बौद्ध धर्म के संस्थापक थे उनके जन्मदिन के अवसर को उनके अनुयायियों द्वारा बुद्धपूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। ऐसा बताया जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने पृथ्वी पर जन्म लिया और यही वह दिन था जब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई तथा उनका महानिर्वाण हुआ। उनके जन्मदिन को पूरे विश्व भर में बड़ी खुशी से मनाया जाता है। इस दिन को बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

बौद्ध धर्म का विस्तार पूरे विश्व भर में है जिस वजह से कई अन्य देशों में भी बुद्ध पूर्णिमा को मनाया जाता है। विश्व में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या 50 करोड़ से ज्यादा है। थाईलैंड में बुद्ध पूर्णिमा को विशाखाबुका कहा जाता है। इंडोनेशिया में वैसाख के नाम से जाना जाता है तथा मलेशिया और श्रीलंका में इसे वेसाक कहा जाता है।

ताइवान सरकार ने मई के दूसरे रविवार को बुद्ध की जन्म तिथि के जश्न के रूप में घोषित किया है। वही यह त्यौहार सिंगापुर, वियतनाम, पाकिस्तान, मलेशिया, जापान और कंबोडिया जैसे कई देशों में मनाया जाता है। इसे पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में मनाया जाता है। हालांकि अलग-अलग देशों में इस त्यौहार को मनाने वाला क्षेत्र अलग-अलग होता है। बड़े पैमाने पर भारत, बांग्लादेश और नेपाल में इस त्यौहार को मनाया जाता है।



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बुद्ध पूर्णिमा कब और कैसे मनाई जाती है

आपको बता दें, बुद्धपूर्णिमा हिंदू कैलेंडर के वैशाख महीने के पूर्णिमा तिथि के दिन ही मनाया जाता है। यही वजह है कि इसे वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मुख्यत: बुद्धपूर्णिमा अप्रैल तथा मई महीने में मनाई जाती रही है। हिंदू धर्म में भी मान्यता है कि बुद्ध भगवान विष्णु के नौवें अवतार थे यही वजह है कि हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के बीच भी यह दिन खास महत्व रखता है।

बुद्ध पूर्णिमा के दिन कई जगहों पर समारोह का आयोजन किया जाता है। इस दिन लोग समूह ध्यान करते है, बौद्ध ग्रंथों को पढ़ते है, धार्मिक प्रवचन देते है तथा जुलूस में बौद्ध धर्म की मूर्तियां लाकर उन्हें सुंदर तरीके से सजाते हैं। हर घर में दीए जलाए जाते हैं तथा उन्हें फूलों से सजाया जाता है। लोग इस दिन सुबह स्नान करते हैं एवं दान जैसे कई पुण्य कार्य करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही मिठाइयां और सत्तू जगह-जगह बांटे जाते हैं।

जो लोग बुद्ध पूर्णिमा को मनाते हैं वह लोग उस दिन सफेद कपड़े पहनते हैं। फिर बुद्ध की प्रतिमा को एक पीपल के पेड़ के नीचे रखा जाता है, इस पेड़ को बोधि वृक्ष के नाम से जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन इसी बोधि वृक्ष की पूजा भी की जाती है तथा इसकी शाखाओं को रंगीन पताका से सजाया जाता है। वृक्ष के चारों तरफ दीपक जलाया जाता है तथा इसकी जड़ों में दूध और खुशबूदार पानी डाला जाता है। लोगों की मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन कोई भी अच्छा कार्य किया जाता है तो उससे पुण्य प्राप्त होता है। यही वजह है कि इस दिन कई लोग पंछियों को आजाद कर देते हैं। वही कई लोग गरीबों को दान पुण्य करते हैं।

बुद्ध पूर्णिमा के दिन दिल्ली के बौद्ध संग्रहालय में बुद्ध की अस्थियों को बाहर निकाल दिया जाता है जिससे बौद्ध धर्म के अनुयाई वहां आकर प्रार्थना-अर्चना कर सके।



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बुद्ध पूर्णिमा की तारीख 2021

इस साल बुद्ध पुर्णिमा 2021 (Buddha Purnima 2021) 26 मई 2021 को मनाई जाएगी। गौरतलब है कि इस दिन बुधवार है। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 25 मई 2021 को रात के 8:20 में प्रारंभ होगी। वही पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 26 मई 2021 को शाम के 4:40 में होगी।

गौतम बुद्ध का इतिहास

गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व माना जाता है। उनका जन्म लुंबिनी में हुआ जो कि मौजूदा समय में नेपाल में स्थित है। गौतम बुद्ध के पिता इश्वाकु वंश के क्षत्रिय थे वे शाक्य कुल के थे। उनका नाम शुद्धोधन था। वही गौतम बुद्ध की माता का नाम महामाया था उनकी माता कोलीय वंश की थी। उनकी माता का निधन गौतम बुद्ध के जन्म के 7 दिनों बाद हुआ था। आगे जाकर गौतम बुद्ध का पालन पोषण महारानी की छोटी बहन महा प्रजापति गौतमी द्वारा किया गया। आपको बता दे, गौतम बुद्ध को बचपन में सिद्धार्थ के नाम से जाना जाता था।

लेकिन आगे जाकर उनका नाम गौतम बुद्ध पड़ा। उन्होंने यशोधरा से शादी की जिससे उनका पुत्र हुआ जिसका नाम राहुल था। लेकिन 29 वर्ष की आयु का होने के बाद गौतम बुद्ध ने अपनी पत्नी समेत समस्त संसार को त्याग कर वनों की ओर चले गए। जिसके बाद उन्होंने बिहार के बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान हासिल किया और वे आगे जाकर भगवान गौतम बुद्ध बने। यही वजह है कि बोधगया को पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है। वहीं दूसरी ओर बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग मांस नहीं खाते क्योंकि गौतम बुद्ध पशु हिंसा के प्रबल विरोधी थे। गौतम बुद्ध की मृत्यु उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 80 साल की उम्र में हुई।



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बुद्ध के द्वारा दी गई शिक्षाएं व नियम

बौद्ध धर्म में गौतम बुद्ध के द्वारा दी गई शिक्षाएं काफी अहम है क्योंकि उनकी यही शिक्षाएं मनुष्य को दुख और पीड़ा से मुक्ति देते हैं। गौतम बुद्ध ने चार परम सत्य, आठ पथ और अवधारणाएं दी। बता दें उनके द्वारा दिए गए चार परम सत्य ही बौद्ध धर्म के नियम माने जाते हैं। यह उनके ज्ञान प्राप्ति के बाद उनका पहला उपदेश था।

1. चार परम सत्य

  • मानव को समस्त परिस्थितियों में पीड़ा होती है।
  • हर पीड़ा का कोई न कोई कारण होता है।
  • हर पीड़ा का मुख्य कारण लोगों की लालसा या इच्छा होती है।
  • पीड़ा को खत्म करने के लिए एक ही रास्ता है लालच का त्याग।

2. आठ पथ

भगवान गौतम बुद्ध ने अपने उपदेशों के जरिए 8 मार्गों का उल्लेख किया है। उनके बताए गए इन्हीं 8 मार्गो पर चलकर बौद्ध धर्म के अनुयायी मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। यह 8 मार्ग निम्नलिखित हैं:-

i. सम्यक दृष्टि:

सम्यक दृष्टि जिसे सही दृष्टि भी कहा जाता है इसके अंतर्गत चार आर्य सत्य को समझने पर बल दिया गया है।

ii. सम्यक संकल्प:

इसमें दूसरों से राग द्वेष न करने, दूराचरण न करने का संकल्प लेने पर बल दिया गया है। इसके साथ ही इसमें हमेशा सदाचरण अपनाने और धर्म पर चलने की प्रतिज्ञा करने को कहा गया है।

iii. सम्यक वाणी:

इसमें बताया गया है कि मनुष्य को हमेशा सच और मधुर बोलने का प्रयास करना चाहिए।

iv. सम्यक कर्मांत:

सम्यक कर्मांत से तात्पर्य, इंसान के कर्म से है। बौद्ध के अष्टांगिक मार्ग के मुताबिक मनुष्य को बुरे कर्म जैसे चोरी, पर-स्त्रीगमन नहीं करना चाहिए। हालांकि बुद्ध ने सत्य और न्याय के लिए की गई हिंसा को जायज ठहराया है।

v. सम्यक आजीविका:

सम्यक आजीविका में मेहनत से आजीविका अर्जित करने पर बल दिया गया है। इसमें बताया गया है कि मनुष्य को 5 तरह के व्यापार नहीं करने चाहिए जिसमें शामिल है शस्त्रों का व्यापार, जानवरों का व्यापार, मद्य का व्यापार, जहर का व्यापार और मांस का व्यापार।

vi. सम्यक व्यायाम:

सम्यक व्यायाम में मनुष्य को शुभ विचार उत्पन्न करने वाली बातों को दिल में रखना चाहिए, जबकि पाप मय विचारों को अपने मन से निकाल देना चाहिए।

vii. सम्यक स्मृति:

इसमें राग द्वेष से रहित मन की एकाग्रता पर बल दिया गया है। इसमें कहा गया है कि जो मनुष्य स्वयं को जानना चाहता है उसे विपस्सना साधना करनी चाहिए।

viii. सम्यक समाधि:

इसमें कहा गया है कि जो पाप अभी तक अनुत्पन्न है उन्हें उत्पन्न होने से रोकना चाहिए तथा जो पाप उत्पन्न हो चुके हैं उनका विनाश करना चाहिए। इसके साथ ही अनुत्पन्न कुशल धर्म की उत्पत्ति करनी चाहिए और जो कुशल धर्म पहले से ही उत्पन्न हो चुके हैं उन में वृद्धि करने की रुचि रखनी चाहिए।

3. अवधारणाएं

गौतम बुद्ध के द्वारा दी गई अवधारणाएं निम्नलिखित है:-

  • नशे की लत से दूर रहना चाहिए
  • कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए
  • लैंगिक दुराचार से विरत रहना चाहिए
  • चोरी नहीं करनी चाहिए
  • हत्या नहीं करनी चाहिए



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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा बुद्ध पूर्णिमा पर निबंध | Essay on Buddha Purnima in Hindi, उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।