विजय दिवस
बहुत गर्व है हमें
अपने जाँबाजों,रणबांकुरों पर
जिनके हृदय में हिंदुस्तान बसता है,
जिनका हौसला चट्टान सा
शरीर फौलाद सा
आत्मविश्वास हिमालय सा
और दुश्मनों के लिए
आँखों में अंगार जलता है।
आज विजय दिवस पर
हमारा अश्रुपूरित नमन है,
हमारे बाप भाई बेटे जो
माँ भारती की आन के लिए
शहीद हो दुनिया से विदा हो गये,
हमने उन्हें खोया जरूर है
मगर वे आज भी
हमारे दिलों में जिंदा हैं,
हमारा सीना फख्र से ऊँचा है
मगर एक कसक भी है,
इसीलिए आँखों में आँसू भी है।
हमने अपने जिगर के टुकड़ों को
दुश्मन के कुचक्र से खो दिया,
वो तो नीच पापी बेहया है,
मगर हमारी गंदी राजनीति में भी
कितनी हया है?
उन्हीं पर ऊँगलियाँ भी उठाते हैं,
जिनकी बदौलत सुख चैन
और राजनीति में अवसर भी बनाते हैं।
आज भी बहुत से ऐसे हैं
जो घड़ियाली आँसू बहाते
औपचारिकता के पुष्प चढ़ा
श्रद्धासुमन अर्पित करने में
सबसे आगे होंगे।
फिर भी हमें गर्व है
अपने उन जाँबाजों पर
जो ऐसे बेशर्मों की बेहयाई पर
ऊपर बैठे मुस्कुरा रहे होंगे,
हमारी दिल से श्रद्धांजलि
बड़े गर्व से स्वीकार कर रहे होंगे।
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
कृपया कविता को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और whats App पर शेयर करना न भूले, शेयर बटन नीचे दिए गए हैं। इस कविता से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख कर हमे बता सकते हैं।
Author:
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.