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जे. आर. डी. टाटा की जीवनी | Biography of J. R. D. Tata in Hindi
जे .आर .डी. टाटा की जीवनी
भारतीय उद्योग के सबसे चमकते सितारे टाटा ग्रुप जैसे विशाल उद्योग साम्राज्य के संस्थापक जे आर डी टाटा है। जे.आर.डी. टाटा विश्व उद्योग में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। वे भारत के सुप्रसिद्ध उद्योगपतियो के रूप में जाने जाते हैं।
जे .आर .डी. टाटा का प्रारंभिक जीवन
जे .आर. डी. टाटा(J. R. D. Tata) का पूरा नाम जहांगीर रतन जी दादा भाई टाटा था। J. R. D. Tata का जन्म 29 जुलाई 1904 में फ्रांस(पेरिस) में हुआ था। J. R. D. Tata के पिता रतनजी दादाभाई टाटा एव माता सुज्जेन ब्रीयरे थीं। इनकी माता जी फ्रांस की रहने वाली थी, यही कारण है कि जे.आर.डी टाटा का बचपन काफी समय फ्रांस में ही बीता।
जे .आर .डी. टाटा की प्रारंभिक शिक्षा
जे.आर.डी टाटा की प्रारंभिक भाषा फ्रेंच थी। वह शिक्षा ग्रहण करने के लिए पेरिस के Janson De Sailly स्कूल में जाते थे। इनकी पढ़ाई जापान, इंग्लैंड, फ्रांस और भारत में हुई।
1923 में उनके पिता ने उन्हें इंग्लिश की शिक्षा प्राप्त करवाने के उद्देश्य से ब्रिटेन भेज दिया। उनकी शिक्षा-दीक्षा ब्रिटेन में ही पूरी हुई। लेकिन फ्रांस में आई नई नीति के कारण 20 वर्ष के ऊपर के सभी युवकों को सेना में भर्ती होना अनिवार्य हो गया था। जिससे उन्हें फ्रांस की सेना में भर्ती होंना पड़ा। वे सेना में ही कार्य करना चाहते थे , उन्हें इसके लिए कोई आपत्ति नहीं थी पर उनके पिता जी इसके लिए तैयार नही थे।
उन्हे विमान चलाने का लाइसेंस प्राप्त हुआ और फिर लंदन में उन्होंने एक विमान खरीदा। उसी विमान से उन्होने अकेले लंदन से कराची तक की उडान भर कर आगा खाँ से 1930 में 500 पौंड का पुरुस्कार जीता। यह उनके लिए किसी प्रसिद्धि से कम नहीं थी।
अपने जीवन की शुरुआती दिनो में वह पुरे एशिया की सबसे बडी शख्सियत लुइस व्लेरियात से बहुत प्रभावित थे, इसी कारण उन्होने पायलट बनने की सोची। और 10 फरवरी 1929 को उन्हे पायलट का लाईसेंस दे दिया गया।
जे .आर .डी. टाटा का टाटा ग्रुप में प्रवेश
सन 1925 ई में उन्होंने अपनी आरंभिक कार्य अवैतनिक प्रशिक्षु के रूप में टाटा एंड संस कंपनी में आरंभ किया। जे.आर.डी टाटा कठिन परिश्रम करने पर विश्वास करते थे। इसलिए उन्होंने कड़ी मेहनत से सन 1938 ई में भारत के सबसे बड़े उद्योग समूह टाटा एंड संस के अध्यक्ष बन गए।
जे.आर.डी टाटा जी ने 14 उद्योगों के साथ समूह के नेतृत्व की शुरुआत की थी। इसके अतिरिक्त उन्होंने सन 1988 ई में टाटा एंड संस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन जब तक उन्होंने टाटा एंड संस के अध्यक्ष पद पर कार्य किया तब तक 95 उद्यमों का एक विशाल समूह बन गया था। यह उनकी मेहनत एवं लगन का परिणाम था जो उन्हें धीरे-धीरे ऊंचाइयों तक ले गया।
1933 में उन्होंने टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की, जिसे 1948 के बाद से एयर इंडिया के नाम से जाना जाने लगा। 1941 में उन्होंने टाटा मेमोरियल सेंटर फॉर कैंसर एंड ट्रीटमेंट की स्थापना की तथा 1968 में उन्होंने टाटा कंप्यूटर सेंटर की स्थापना की जिसे आज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के नाम से जाना जाता है।
1945 ई में उन्होंने टाटा मोटर्स की स्थापना की तथा 1950 ई में उन्होंने भारत की सबसे पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के रूप में एयर इंडिया इंटरनेशनल का शुभारंभ किया। जिसके कारण भारत सरकार ने उन्हें 1953 ई में एयर इंडिया का अध्यक्ष और इंडियन एयरलाइंस बोर्ड का निर्देशक नियुक्त कर दिया। उन्होंने बड़े ईमानदारी से इस पद को 25 सालों तक संभाला। उन्होंने अपने साथ काम करने वाले कर्मचारियों के संबंध में भी कई फायदेमंद नीतियों को लागू किया। उनकी नीतियों से सफलता की राह धीरे-धीरे खुलते चले गए। टाटा कंपनी ने अपने सभी कर्मचारियों के हित के लिए प्रतिदिन 8 घंटे का कार्य निशुल्क चिकित्सा की सुविधा एवं दुर्घटना क्षतिग्रस्त जैसी योजनाओं को लागू किया।
जे .आर .डी. टाटा द्वारा कर्मचारियों के लिए नई योजनाएं प्रदान करना
जे आर डी बहुत नेक और अपने उसोलो के बहुत पक्के व्यक्ति थे। उन्होने व्यापार में सफलता के साथ-साथ अपनी नैतिकता को भी कायम रखा था।
जीआरडी टाटा ने टाटा ग्रुप के कर्मचारियों के लिए बहुत सी ऐसी नीतियां लागू की है, जिससे टाटा ग्रुप में कार्य कर रहे कर्मचारियों को बहुत से लाभ प्राप्त हुए हैं। जैसे उन्होंने कंपनी में कार्य कर रहे श्रमिकों की भागीदारी और जानकारी के लिए कंपनी प्रबंधन के साथ “कर्मचारियों का संपर्क” कार्यक्रम की शुरुआत की।
कर्मचारियों की सुविधा के लिए नई योजनाओं की शुरुआत की जैसे प्रतिदिन 8 घंटे कार्य करना, निशुल्क चिकित्सा सहायता देना, रहने के लिए मकान की सुविधा प्रादान करना और कार्य के दौरान यदि कोई दुर्घटना हो जाए तो उसके परिवार वालों को मुआवजा प्रदान करना। यह सभी ऐसी योजनाएं थी जिसके माध्यम से उन्होंने लोगों का दिल जीत कर उनसे सम्मान भी प्राप्त किया।
जे .आर .डी. टाटा को प्राप्त पुरस्कार एंव सम्मान
जे.आर.डी टाटा ने समाज के लिए विभिन्न प्रकार के ऐसे कार्य किए जिसकी प्रशंसा हमेशा होती रहेगी । उन्होंने समाज के विकास के लिए बहुत सारे योगदान दिए हैं। जिसके कारण उन्हें विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिए गए है। भारतीय वायु सेना ने इन्हें सबसे पहले ग्रुप कैप्टन की मानद पद से सम्मानित किया गया और इसके बाद जे.आर.डी टाटा को एयर कमोडर के पद पर पदोन्नत किया गया। उन्हें कई पदों एवं पुरस्कार से सम्मानित किया गया जो उनके सम्मान एवं प्रतिष्ठा को व्यक्त करता है।
सन 1974 में उनको एयर वाइस मार्शल पद से सम्मानित किया गया एवं 1979 में इन्हें फेडरेशन एरोनॉटिक इंटरनेशनल द्वारा गोल्ड एयर पदक दिया गया।
1985 मे इन्हें कनाडा में स्थित अंतरराष्ट्रीय नगर विमानन संगठन द्वारा ऐडवर्ल्ड वर्नर पुरस्कार से सम्मानित किया गया । आर जे डी टाटा 1986 में डेनियल गुगनेइनम पुरस्कार से सम्मानित हुए। 1955 में जेआरडी टाटा को भारत सरकार ने पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाज़ा और सन 1992 ई में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से जेआरडी टाटा को नवाज़ा गया।
जे .आर .डी. टाटा का निधन
जे.आर.डी टाटा का निधन 29 नवंबर सन 1993 ई. को जिनेवा (स्विजरलैंड) में हुआ। भारतीय संसद ने इनकी मृत्यु के उपरांत उनके सम्मान में अपनी कार्यवाही स्थगित कर दी थी तथा मृत्यु के बाद इनको इनके जन्म स्थान पेरिस में दफनाया गया। उन्होंने अपने जीवन में कई ऐसे महत्वपूर्ण कार्य किए, जिसने उन्हें असाधारण प्रतिभावान व्यक्तियों के साथ जोड़ने का कार्य किया है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा जे. आर. डी. टाटा की जीवनी (Biography of J. R. D. Tata in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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