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जीनोमिक्स और प्रोटियोमिक्स के बीच अंतर
जीनोमिक्स और प्रोटियोमिक्स दोनों ही ऐसे वैज्ञानिक क्षेत्र हैं जिनमें एक को समझने के लिए दूसरे को समझना जरूरी है। हालांकि यह दोनों ही अध्ययन के अलग-अलग क्षेत्र है। जीनोमिक्स और प्रोटियोमिक्स इसलिए भी जुड़े हुए हैं क्योंकि जीनोम ही प्रोटियोम के लिए ब्लूप्रिंट प्रदान करता है।
लेकिन इन दोनों के अध्ययन क्षेत्रों और इन दोनों के नाम में समानताएं होने की वजह से कई बार लोग इन दोनों के कार्य तथा इनके अध्ययन को लेकर उलझन में पड़ जाते हैं। ऐसे में आपकी मदद करने के लिए आज हम आपको बताएंगे कि जीनोमिक्स और प्रोटियोमिक्स दोनों क्या होते है तथा इन दोनों के बीच में क्या अंतर है, तो चलिए जानते हैं।
जीनोमिक्स क्या होते है? (What is Genomics in Hindi?)
जीनोमिक्स शब्द ‘जीनोम’(Genome) से निकला है जो किसी भी ऑर्गेनिज़्म के क्रोमोजोंन का एक पूरा सेट होता है। जीनोम, ऑर्गेनिज़्म को बनाने के साथ उसके रख-रखाव करने में मदद करता है। जीनोमिक्स, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (Molecular Biology) की एक शाखा है जिसके अंतर्गत हम किसी भी ऑर्गेनिज़्म (Organism) में मौजूद जींस की संरचना, उसके कार्यों, तथा और जींस की मैपिंग (Mapping) और मूल्यांकन किस तरह से की जाती है, इस बारे में बताया जाता है।
इन सब चीजों के बारे में जानने के लिए हम आर-डीएनए और डीएनए अनुक्रमण तकनीक तथा जैव सूचना विज्ञान तकनीक का उपयोग करते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि जीनोमिक्स के अंतर्गत जींस का अध्ययन किया जाता है।
इतिहास: साल 1926 में जीनोम शब्द का सबसे पहला इस्तेमाल अंग्रेजी भाषा में किया गया था। जीनोमिक्स शब्द का सबसे पहला इस्तेमाल साल 1949 में डॉ. टॉम रॉड्रिक ने किया।
जीनोमिक्स के तीन मुख्य क्षेत्र होते हैं जिनमें से एक है संरचनात्मक जीनोमिक्स, दूसरा है कार्यात्मक जीनोमिक्स तथा तीसरा है तुलनात्मक जीनोमिक्स।
- संरचनात्मक जीनोमिक्स (Structural Genomics): संरचनात्मक जीनोमिक्स में जीन की संरचना का अध्ययन किया जाता है।
- कार्यात्मक जीनोमिक्स (Functional Genomics): इस तरह के जीनोमिक्स में कार्य तथा चयापचय गतिविधियों में जीन की भूमिका का अध्ययन किया जाता है।
- तुलनात्मक जीनोमिक्स (Comparative Genomics): इस प्रकार की जीनोमिक्स में अलग-अलग जीवों के जीनोमिक की विशेषताओं की तुलना की जाती है।
आजकल जीनोमिक्स में तीन और क्षेत्रों का इस्तेमाल किया जाता है जिनका नाम है एपिजीनोमिक्स, म्युटेशनजीनोमिक्स (Mutation Genomics) तथा मेटाजीनोमिक्स। एपिजीनोमिक्स में किसी कोशिका की अनुवांशिक सामग्री से संबंधित अध्ययन किया जाता है, जबकि मेटाजीनोमिक्स में अनुवांशिक सामग्री को पर्यावरण संबंधी नमूने से प्राप्त किया जाता है। यही वजह है कि इन्हें एनवायरमेंटल जीनोमिक्स(Environmental Genomics) या कम्युनिटी जीनोमिक्स (Community Genomics) के नाम से भी जाना जाता है।
जीनोमिक्स में न सिर्फ मानव के जीनोम का अध्ययन किया जाता है बल्कि इसमें चूहे और चावल के जीनोम का भी अध्ययन सम्मिलित होता है। इसके साथ ही इसमें जीनोम की प्रक्रियाओं जैसे- एपिस्टासिस, प्लिओट्रोपी एंड हेटरोसिस का अध्ययन किया जाता है। जीनोमिक्स के अंतर्गत मिलने वाली सूचना का इस्तेमाल जैव प्रौद्योगिकी, मेडिकल, सामाजिक विज्ञान और मानवशास्त्र के क्षेत्र में किया जाता है। इसी को देखते हुए ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट (Human Genome Project) लांच किया गया। इसे 1990 में लांच किया गया जो साल 2001 में जाकर पूरा हुआ।
प्रोटियोमिक्स क्या है? (What is Proteomics in Hindi?)
एक कोशिका में मौजूद प्रोटीन को प्रोटियोम (Proteome) के नाम से जाना जाता है। जब इसी प्रोटियोम का अध्ययन किया जाता है तो इसे प्रोटियोमिक्स कहा जाता है। प्रोटियोमिक्स के अंतर्गत एक कोशिका द्वारा उत्पादित प्रोटीन के एक पूरे सेट का अध्ययन किया जाता है। दरअसल, प्रोटियोमिक्स प्रोटियोम सेल द्वारा निर्मित प्रोटीन का एक पूरा सेट होता है।
प्रोटियोमिक्स के अंतर्गत प्रोटीन के निष्कर्षण, प्रोटीन के उत्पादन, इलेक्ट्रोफोरेटिक पृथिककरण, प्रोटीन के पाचन को छोटे-छोटे टुकड़ों में उपयोग करना, मास स्पेक्ट्रोमेट्री द्वारा अमीनो एसिड का निर्धारण तथा प्रोटीन डेटाबेस से जानकारी का इस्तेमाल कर प्रोटीन की पहचान करना आदि शामिल है। प्रोटियोमिक्स में यह देखा जाता है कि कैसे प्रोटीन कोशिका प्रक्रियाओं को बाहरी वातावरण प्रभावित करता है। प्रोटियोम में अंतर को उजागर करने के लिए अलग-अलग समय में अलग-अलग जीव के प्रोटियोम का विश्लेषण किया जाता है।
इसके अंतर्गत मानव के जीन में प्रोटीन उत्पादों का अध्ययन करना तथा प्रमुख बीमारियों में शामिल प्रोटीन को जानना इसका मुख्य उद्देश्य होता है। साल 1994 में सबसे पहले इस शब्द का प्रयोग मार्क विलिंक्स के द्वारा किया गया। इस संदर्भ में ह्यूमन प्रोटियोम प्रोजेक्ट (Human Proteome Project) साल 2002 में लांच किया गया जो कि साल 2011 में जाकर पूरा हुआ।
जीनोमिक्स और प्रोटियोमिक्स के बीच समानताएं (Similarities between Genomics and Proteomics in Hindi)
- जीनॉमिक्स और प्रोटियोमिक्स दोनों ही जीवों के अध्ययन में इस्तेमाल किए जाने वाले वैज्ञानिक क्षेत्र हैं।
- इन दोनों में ही उच्च थ्रूपुत तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक के इस्तेमाल से जीनोमिक्स में जीनोम का अनुक्रमण और विश्लेषण किया जाता है। वहीं प्रोटियोमिक्स में इसकी 3D संरचना का इस्तेमाल करते हुए प्रोटीन के कार्य आदि का पता लगाने के लिए किया जाता है।
जीनोमिक्स और प्रोटियोमिक्स के बीच क्या अंतर है? (What is the difference between Genomics and Proteomics in Hindi?)
- परिभाषा में अंतर (Difference in Definition)
जीनोमिक्स: इसमें एक जीनोम में पाए जाने वाले जीन के एक पूरे सेट का अध्ययन किया जाता।
प्रोटियोमिक्स: इसके अंतर्गत एक कोशिका जितने भी प्रोटीन का उत्पादन करती है उसके पूरे सेट का अध्ययन किया जाता है।
- अध्ययन क्षेत्र
जीनोमिक्स: इसमें एक जीव के जीन का अध्ययन किया जाता है।जीनोमिक्स में जीनोम का मानचित्रण, विश्लेषण, अनुक्रमण, उसकी संरचना, कार्य मैपिंग और मूल्यांकन आदि किया जाता है।
प्रोटियोमिक्स: इसमें प्रोटीन के कार्य का अध्ययन किया जाता है।इसमें प्रोटीन की 3D संरचना, उसके कार्य तथा प्रोटीनों के बीच इंटरेक्शन को शामिल किया जाता है।
- प्रकार (Types)
जीनोमिक्स: जीनोमिक्स तीन प्रकार के होते हैं। एक संरचनात्मक जीनोमिक्स, दूसरा होता है कार्यात्मक जीनोमिक्स एवं तीसरा है तुलनात्मक जीनोमिक्स। संरचनात्मक जीनोमिक्स में जीन्स की संरचना का अध्ययन किया जाता है, कार्यात्मक जीनोमिक्स में उसके कार्यों और उसकी चयापचय गतिविधियों में जीन की भूमिका का पता लगाया जाता है। वही तुलनात्मक जीनोमिक्स में अलग-अलग जीवों के जीनोमिक विशेषताओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।
प्रोटियोमिक्स: जहां जीनोमिक्स तीन प्रकार के होते है, वही प्रोटियोमिक्स तीन प्रकार के होते हैं, जिनका नाम है संरचनात्मक, कार्यात्मक और अभिव्यक्ति प्रोटियोमिक्स।
- महत्वपूर्ण क्षेत्र
जीनोमिक्स: मानव जीनोम परियोजना जीनोमिक्स का महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
प्रोटियोमिक्स: इसमें कंप्यूटर ऐडेड ड्रग डिजाइन तथा SWISS-2D PAGE के लिए सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट प्रोटियोमिक्स, महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
- एक जीव की कोशिका में जीन स्थिर रहता है जबकि प्रोटियोम गतिशील होता है और बदलता रहता है।
- हर जीव की कोशिका में जीन का एक ही सेट पाया जाता है लेकिन अलग-अलग ऊतको द्वारा उत्पादित प्रोटीन के सेट एक दूसरे से अलग होते हैं।
- महत्व (Importance)
जीनोमिक्स: जीनोमिक्स की मदद से किसी भी जीव के अंदर विद्यमान जीव के संरचना, कार्य, स्थान, नियमन आदि को समझा जा सकता है।
प्रोटियोमिक्स: इसका इस्तेमाल एक कोशिका द्वारा उत्पादित प्रोटीन के पूरे सेट के अध्ययन, इसकी संरचना और कार्य को समझने के लिए किया जाता है।
निष्कर्ष
जीनोमिक्स और प्रोटियोमिक्स दोनों ही शब्द एक दूसरे से काफी मिलते-जुलते हैं तथा यह दोनों ही अध्ययन के वैज्ञानिक क्षेत्र है जिसका इस्तेमाल जीवों के अध्ययन में किया जाता है। एक तरफ जीनोमिक्स में एक जीव के जीन के पूरे सेट के बारे में अध्ययन किया जाता है, जबकि प्रोटियोमिक्स में एक कोशिका द्वारा उत्पादित प्रोटीन के पूरे सेट का अध्ययन शामिल होता है।
थर्मोप्लास्टिक और थर्मोसेटिंग पॉलीमर के बीच अंतर
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना जीनोमिक्स और प्रोटियोमिक्स के बीच अंतर | Difference between Genomics and Proteomics in Hindi, उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।