HINDI KAVITA: एक रात वह

Last updated on: September 18th, 2020

एक रात वह

एक रात वह मेरे
सपने में थी आयी
आकर उसने मुझे
एक कहानी सुनाई,
और कहने लगी
जो ये देख रहे हो
तुम अब सपने में
वह सारी घटनाएं
घटित हुई दिन में,
जब तुम मुझसे
नहीं मिले उजाले में
लो अब मैं मिलने
आ गयी अंधेरे में,
अब कोई पहरा
नहीं है चौबारे में
मैं मिलने आयीहूँ
मन के ही द्वारे में,
मुझको रख ले तू
अब अपने मन में
मैं बस जाऊं अब
तेरे हर रोम-रोम में,
मैं वह जाऊं अब
तेरे प्यार के झरने में
स्वर्णिम सुन्दर
सुख पाऊं जीवन में
अहा ! प्रियतम
कितना सुख मिलन में,
ना डर ना भय
ना कोई अब पहरा है
प्रिय प्यार का यह
सागर कितना गहरा है,
मुझे जगह दे दो प्रिय
तुम अपने हर फन में
तन, मन,जीवन में
धराशाही हो जाएं प्रिय
अब ये सारे पहरे
मन के भाव भी ये प्रिय
होते हैं कितने गहरे ।।

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About Author:

डॉ.राजेन्द्र सिंह”विचित्र’, असिस्टेंट प्रो.,तीर्थांकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश