स्टेटस बनाते हैं
जिन्हें कुछ करना नहीं होता
वो बस भाव खाते हैं,
खुद किसी काबिल नहीं
दूसरों को खूब आजमाते हैं।
क्या करें वो भी बेचारे
बेशर्म जो ठहरे,
भीख तो माँग नहीं सकते
बस इसी तरह किसी तरह
अपना स्टेटस बनाते हैं,
बेहया इतने हैं कि
चाय भी माँग कर पीते हैं,
दिनभर चाय की दुकान पर बैठे बैठे
किसे आजमा सकते हैं,
ये ही जुगाड़ भिड़ाते हैं।
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Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002