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जम्मू-कश्मीर का इतिहास और रोचक तथ्य | Jammu-Kashmir History and Interesting Facts in Hindi
जम्मू और कश्मीर के विषय में कहा जाता है “गर फिरदौस बार रुसे ज़मी अस्त/हमी अस्तो हमी अस्तों हमी अस्त“ इसका मतलब होता है कि, “धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो यही है, यही है, यही है।” धरती के स्वर्ग के रूप में पहचाने जाने वाले कश्मीर का प्राकृतिक सौंदर्य और यहां की संस्कृति, रीति रिवाज हर किसी को अपनी और आकर्षित करते हैं।
जम्मू कश्मीर को मुख्यतः हिमालय पर्वत श्रृंखला, प्राकृतिक सौंदर्य तथा संसाधनों के लिए ही पहचाना जाता है। इसकी सुंदरता की वजह से यहां साल भर सैलानियों का आना और जाना लगा रहता है। वैसे तो जम्मू कश्मीर पहले एक राज्य था लेकिन 5 अगस्त 2019 को इसे विभाजित कर दिया गया। जिससे जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के नाम से 2 केंद्र शासित प्रदेशों की स्थापना की गई। आइए जानते हैं जम्मू कश्मीर से जुड़ी कई रोचक जानकारियों के बारे में:-
नाम | जम्मू और कश्मीर |
राजधानी | श्रीनगर (मई से अक्टूबर), जम्मू (नवंबर से अप्रैल) |
जिले | 20 |
जनसंख्या | 12.55 मिलियन (2011) |
क्षेत्रफल | 222,236 वर्ग किलोमीटर |
राजभाषा | डोगरी, कश्मीरी, हिंदी |
स्थापना | 14 मई 1954 |
साक्षरता दर | 67.16% |
जम्मू कश्मीर का इतिहास (History of Jammu-Kashmir in Hindi)
ऐसी मान्यता है कि कश्मीर का नाम महर्षि कश्यप के नाम पर रखा गया था। कश्मीर एक लंबे अरसे से 3 देशों के बीच में झगड़े की वजह बना हुआ है। यह देश है चीन, पाकिस्तान और भारत। ऐसे में कश्मीर के इतिहास के पन्ने पलटकर हमें उस काल में जाना होगा जब यह झगड़ा शुरू हुआ था। दरअसल, झगड़े की शुरुआत भारत विभाजन के दौरान हुई। साल 1947 में कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने यह घोषणा की कि वह पाकिस्तान या भारत में से किसी का भी हिस्सा नहीं बनेंगे। वे चाहते थे कि कश्मीर को एक स्वतंत्र देश घोषित करें।
लेकिन पाकिस्तान कश्मीर पर दबाव डालने लगा और कबिलाइयों के जरिए उत्पात मचाने लगा। उस दौरान लॉर्ड माउंटबेटन भी राजा हरि सिंह को यह कहने पहुंचे कि उन्हें भारत या पाकिस्तान में से किसी एक देश का साथ ले लेना चाहिए। लेकिन राजा हरि सिंह इसके लिए तैयार नहीं हुए। उस काल के गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल को राजा हरि सिंह के मन की बात पता थी। इसीलिए उन्होंने कहा कि यदि कश्मीर, पाकिस्तान में विलय करना चाहता है तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है। इतना सब होने के बावजूद महाराजा हरि सिंह कोई उचित फैसला नहीं ले पा रहे थे, और उनका तनाव बढ़ता ही जा रहा था।
इसके बाद पाकिस्तान ने भी कश्मीर को शामिल करने के लिए 22 अक्टूबर 1947 को वहां विद्रोह शुरू किया। इस विद्रोह से परेशान होकर राजा हरि सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से बातचीत की और विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया। जिससे भारतीय सैनिक कश्मीर पहुंचे और उत्पात मचाने वाले पाकिस्तान के सैनिकों को उखाड़ फेंका। लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों ने मुजफ्फराबाद को हथिया लिया था।
जिसे लेकर दोनों देशों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी हो चुकी थी और तब से लेकर अब तक दोनों देशों के बीच में कश्मीर को लेकर लड़ाई है। इसके साथ ही चीन ने भी समय-समय पर कश्मीर पर अपना दावा किया है। कश्मीर के उत्तर-पश्चिम पट्टी पर पाकिस्तान का कब्जा है और इसके उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पर चीन का कब्जा है इस इलाके को अक्साई चीन के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र पर चीन का कब्जा वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान हुआ था।
जम्मू कश्मीर की राजधानी (Capital of Jammu and Kashmir/Jammu-Kashmir Rajdhani Name)
बहुत से लोग जम्मू-कश्मीर की राजधानी के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो हम आपको बता दें, जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर को तो हर कोई जानता है। लेकिन शायद ही आपको पता हो जम्मू कश्मीर की एक शीतकालीन राजधानी भी है। जम्मू कश्मीर की शीतकालीन राजधानी ‘जम्मू’ है। जैसे ही सर्दियों की शुरुआत होती है, वैसे ही जम्मू कश्मीर की राजधानी को श्रीनगर से जम्मू में ‘शिफ्ट’ कर दिया जाता है।
श्रीनगर (मई से अक्टूबर), जम्मू (नवंबर से अप्रैल)
जम्मू कश्मीर की राजभाषा (What is the language of Jammu and Kashmir/Official language of Jammu and Kashmir)
कई लोगों को यह नहीं पता होता कि जम्मू कश्मीर की राजभाषा क्या है? दरअसल साल 2020 में संसद में एक बिल पास किया था जिसके मुताबिक कश्मीरी भाषा को जम्मू कश्मीर की अधिकारिक भाषा बनाया गया। आपको बता दें, कश्मीरी के साथ डोगरी, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भी कश्मीर की राजभाषा है।
जम्मू कश्मीर की भौगोलिक स्थिति (Geographical Location of Jammu and Kashmir)
जम्मू कश्मीर का अधिकतर क्षेत्र पर्वतों से घिरा हुआ है। यहां पर दो विशाल पर्वत श्रेणियां, उत्तर में काराकोरम व दक्षिण में हिमालय ज़ंस्कार है। जिनके बीच में सिंधु नदी की संकरी घाटी है। सिंधु नदी की घाटी के अलावा यहां पर चिनाव, रावी और झेलम की घाटियां भी है। नदियों और झीलों की वजह से यहां पर जल की बहुलता है। यहां मीठे पानी की सबसे विशाल झील वुलर पाई जाती है। इसी झील में कश्मीर की सबसे ज्यादा मछलियां मौजूद है। इस झील के अलावा कश्मीर के प्रमुख झीलों में डल और नगीन झील भी शामिल है।
जम्मू कश्मीर की जलवायु (What is the Climate of Jammu and Kashmir)
अगर आप जम्मू कश्मीर की जलवायु के बारे में जानना चाहते हैं तो इसकी जानकारी आपको यहां मिलेगी। जम्मू कश्मीर में पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण-पश्चिम तक जलवायु में आपको अंतर दिखाई देगा। जम्मू कश्मीर की जलवायु काफी हद तक इसके चारों ओर मौजूद पहाड़ियों से भी प्रभावित है। हालांकि यहां की जलवायु ठंडी है। सर्दियों के दौरान जम्मू कश्मीर का औसत तापमान 17.7 डिग्री सेल्सियस तथा गर्मियों के दौरान इसका औसत तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस होता है। यहां पर उत्तर में औसत बारिश 75 मिमी से लेकर दक्षिण-पूर्व में 1150 मिमी तक होती है।
जम्मू कश्मीर की जनसंख्या (Population of Jammu and Kashmir)
यदि बात करें जम्मू कश्मीर की जनसंख्या की तो 2011 की जनगणना के दौरान यहां की जनसंख्या 12,541,302 थी। उस दौरान यहां के पुरुषों की संख्या 6,640,662 थी और महिलाओं की जनसंख्या 5,900,640 थी। यहां की कुल साक्षरता दर 67.16% है जिसमें पुरुष साक्षरता दर 76.75% और महिला साक्षरता दर 56.43% है। धार्मिक आधार पर जनसंख्या के बात करें तो यहां मुसलमानों की जनसंख्या 8,567,485 है और हिंदू धर्म के अनुयायी लोगों की जनसंख्या 3,566,674 (2011) है।
जम्मू कश्मीर के जिले (Districts of Jammu and Kashmir)
पहले जम्मू कश्मीर में 22 जिले हुआ करते थे लेकिन जब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बांट दिया गया, तब कश्मीर के 2 जिले लद्दाख में चले गए। जिस वजह से इसके जिलों की संख्या वर्तमान में 20 है। जम्मू कश्मीर का सबसे जनसंख्या वाला जिला ‘जम्मू’ है इस जिले की जनसंख्या 2011 की जनगणना के मुताबिक 1,529,958 है। यहां का सबसे विकास दर वाला जिला अनंतनाग है जिसकी विकास दर 38.58% है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यहां का सबसे बड़ा जिला ‘लेह’ है जिसका क्षेत्रफल 45110 वर्ग किलोमीटर है।
जम्मू कश्मीर की वेशभूषा (Traditional dress of Jammu and Kashmir)
जम्मू कश्मीर की वेशभूषा की विशिष्ट कढ़ाई और डिजाइन यहां की संस्कृति को समृद्ध बनाते हैं। यहां के कपड़ों को ठंडी जलवायु को झेलने के लिए डिजाइन किया जाता है इसीलिए यहां के कपड़े ज्यादातर ऊन, रेशम और कपास के बने होते हैं। जम्मू कश्मीर पर पारसियों, रोमन, यूनानियों का प्रभुत्व था जिस वजह से जम्मू कश्मीर के परिधान में इनका प्रभाव देखा जा सकता है। लेकिन आर्यों के आगमन के बाद से ही जम्मू-कश्मीर के परिधान में भी थोड़ा पश्चिमी प्रभाव जुड़ा। जम्मू कश्मीर के पुरुषों और महिलाओं दोनों के बीच लोकप्रिय पोशाक का नाम ‘फेरन’ है।
इस तरह के कपड़े में फूलों की कढ़ाई की जाती है जो देखने में काफी सुंदर लगती है। यह ऊपर से ढीला होता है जिसमें आस्तीन बड़ा होता है। इस कपड़े को ऊन या जैमर से बनाया जाता है। 19वीं शताब्दी के बाद से इस कपड़े को हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा पहना जाता था। यहां की महिलाओं का प्रमुख पोशाक भी ‘फेरन’ है। इस कपड़े में किनारे और कॉलर में कढ़ाई होती है। इसके अलावा कश्मीर के प्रमुख पोशाकों में तरंगा, कासबा, अबाया आदि शामिल होता है। लेकिन इनमें सबसे प्रसिद्ध जो है वह पश्मीना शॉल। इस शॉल को बकरी से प्राप्त ऊन से बनाया जाता है। इसके दोनों किनारों में कश्मीरी कढ़ाई, कसीदा किया जाता है। यह साल पूरे देश भर में प्रसिद्ध है।
जम्मू कश्मीर का खान पान (Food of Jammu and Kashmir)
हिमालय की गोद में बैठा जम्मू-कश्मीर ना सिर्फ अपने सुंदर परिदृश्य के लिए स्वर्ग माना जाता है। बल्कि इसके खानपान के लिए भी यह किसी स्वर्ग से कम नहीं है। क्योंकि कश्मीर में विभिन्न प्रकार के जायकेदार भोजन पाए जाते हैं। अगर आप यहां पर शाकाहारी खाने के दीवाने हैं या फिर मांसाहारी खाने के दीवाने हैं तो आपको दोनों तरह के व्यंजन यहां पर मिलेंगे। कश्मीर के फेमस नॉन वेजीटेरियन फूड्स में कश्मीरी रोगन जोश, शब डीग, आब गोश्त, कश्मीरी गोश्तबा और कश्मीरी गाद प्रमुख है। यहां के मशहूर शाकाहारी व्यंजनों में मोदक, कश्मीरी पुलाव, लयादेर सछमन, कश्मीरी राजमा बैंगन और दम आलू काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
जम्मू कश्मीर के लोक नृत्य (Folk Dances of Jammu and Kashmir)
कश्मीर का सबसे प्रसिद्ध नृत्य भांड जशन है जिसे फेस्टिवल ऑफ क्लाउन के नाम से भी जाना जाता है। इस लोक नृत्य को 300-400 वर्षों से किया जा रहा है। यहां पर रहने वाली रऊफ़ जनजाति डमहल लोक नृत्य करती है। इस नृत्य को केवल पुरुष करते हैं वह भी विशिष्ट अवसरों में। इसके अलावा यहां पर कूद बच्चा, नगमा रूफ़, हाफिजा, वुगी नचुन जैसे लोग नृत्य प्रसिद्ध है।
जम्मू कश्मीर के त्योहार (Jammu and Kashmir Festivals)
जम्मू कश्मीर को पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाता है लेकिन इस स्वर्ग की सुंदरता इसके त्योहारों से और भी ज्यादा बढ़ जाती है। जम्मू कश्मीर में कई धर्मों के लोग रहते हैं तथा यहां पर त्योहारों में भी विविधताएं नजर आती है। हालांकि जम्मू-कश्मीर के प्रमुख त्योहारों में ईद-उल-फितर, हेमिस महोत्सव, बैसाखी, ट्यूलिप फेस्टिवल, शिकारा महोत्सव, गुरेज महोत्सव तथा लोहड़ी शामिल है।
जम्मू कश्मीर के प्रमुख पर्यटन स्थल (Places to visit in Jammu-Kashmir)
जम्मू कश्मीर सिर्ग संस्कृति, रीति रिवाज, परंपराओं, इतिहास के लिए ही नहीं जाना जाता बल्कि इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए भी जाना जाता है। कश्मीर की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पर्यटन और व्यापार पर ही निर्भर करती है। यहां पर पर्यटन के कई प्रमुख केंद्र है जिनमें से कुछ के बारे में नीचे बताया जा रहा है:-
- श्रीनगर
जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर को ‘हेवन ऑन अर्थ’ कहा जाता है। श्रीनगर में झेलम नदी का तट काफी खूबसूरत है। इसके अलावा यहां पर डल झील मौजूद है जो कि पूरे विश्व भर में काफी प्रसिद्ध है। डल झील में आप हाउसबोट के साथ इसकी खूबसूरती का आनंद उठा सकते हैं।
- गुलमर्ग
जम्मू कश्मीर का गुलमर्ग समुद्र तल से 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर आपको बर्फ से ढके पहाड़, हरे-भरे घास के मैदान तथा सदाबहार जंगल देखने को मिलेंगे। यही वो स्थान है जहां पर बॉलीवुड के अधिकतर फिल्मों की शूटिंग की जाती है। साथ ही यह एडवेंचर हब के रूप में भी जाना जाता है।
- पहलगाम
पहलगाम प्रमुख पर्यटन स्थल है क्योंकि यहां पर आपको छोटे-छोटे घर नजर आएंगे। यहां पर हरे हरे खेत जिसमें केसर की खेती तथा घाटियां काफी ज्यादा मशहूर है।
जम्मू कश्मीर का वैष्णो देवी मंदिर (Vaishno Devi Temple in Jammu and Kashmir)
जम्मू कश्मीर स्थित वैष्णो देवी मंदिर सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों में शामिल है। यह मंदिर जम्मू और कश्मीर में त्रिकुटा पर्वत पर स्थित है। उत्तरी भारत में वैष्णो देवी मंदिर सबसे पूजनीय स्थलों में से एक है। हर साल यहां पर लाखों तीर्थयात्री वैष्णो देवी माता के दर्शन करने आते हैं।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना जम्मू-कश्मीर का इतिहास और रोचक तथ्य (Jammu-Kashmir History and Interesting Facts in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।