कबीर के दोहे
कबीर के दोहे | Kabir ke Dohe गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय ॥ यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान ।शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ॥ सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराज ।सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा […]