कामयाबी
कामयाबी
किसी की धरोहर नहीं हैं,
जिसने भी ठाना
कामयाबी का बुना ताना बाना,
पवित्र मन से
ईमानदार कर्म से
अथक श्रम से कदम बढ़ाया,
समर्पित भाव से
जिसने अपने को लगाया
हार न मानने का जज्बा दिखाया
कामयाबी से पहले ही न इतराया।
तब जाकर
कहीं गुनगुनाया
उसी के हाथ ही
कामयाबी का अवसर आया।
वो ही विश्वास से कह पाया
हम होंगे कामयाब एक दिन,
उसी को कामयाबी ने
अपना स्वरूप दिखाया।
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लौटकर नहीं आओगी
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About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002