जय गुरु देव
नर पशु मे जो भेद बताये
वोही सच्चा गुरू तन मन
से कहलाये
जीवन की राह पे जो हमैं
को चलाना सिखाये
वोही सच्चा सदगुरु कहलाये
जो गम्भीरता का ज्ञान कराएं
मनो भाव से वो ही सच्चा गुरु कहलाये
संकट मे जो हसना और
लढना सिखाये
वोहीं सच्चा गुरु कहलाये
हर मुश्किल पर परछाई सा साथ कुछ हद तक निभाये
वोहीं सच्चा गुरु कहलाये
जिसे देख सम्मान में शीश झुक जाएँ
वोहीं सच्चा गुरु कहलाएँ.
वोही सच्चा गुरु कहलाएँ
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About Author:
चन्द्र प्रकाश रेगर (चन्दु भाई), नैनपुरिया
पो., नमाना नाथद्वारा, राजसमदं