रक्षाबंधन
मस्तक पर सजे रोली चावल
रख शीश पर आंचल का प्यार
बंधे कलाई पर राखी का बंधन
बहनें रही नज़र भाई की उतार
बरसे सदा आशीर्वाद सभी पर
बना रहे भाई बहन का प्यार
मुबारक हो सभी को पावन
रक्षाबंधन का सुभ त्यौहार,
आती हैं पीहर को बिटिया
पाकर अपने भाइयों की चिट्ठीयां
पड़ती हैं घर आँगन हर खटियाँ
आती हैं मिलने सब सखियाँ
लगती हैं हाँथन में मेहंदियाँ
कर श्रंगार सजी हैं सब बहनें
रही सब भइयन की नज़र उतार
मुबारक हो सबको पावन
रक्षाबंधन का सुभ त्यौहार,
भाई के शीश पर आंचल रखके
प्रेम की रोली से टीका करके
उतारूंगी जब नज़र तेरी जल से
छलक आएंगे आंख अश्रु छल से
नहीं चाहिए सम्पत्ति का हिस्सा
बना रहे भाई बहन का किस्सा
तेरा वर्चस्व जग में आला हो
तू मेरी लाज का रखवाला हो
बांधूँगी राखी कर में लुभावनी
भाई मेरा मन भावनी
आएगा लेकर सावनी
बड़ा मजबूत है रिश्ता डोर का
बंधा कलाई रेशम का तार
मुबारक हो सबको पावन
रक्षाबंधन का सुभ त्यौहार,
रक्षाबंधन पर जब भी भईया
मैं राखी बाँधने आउंगी
दूंगी आशीर्वाद ही सदा तुमको
लेकर तेरी बलाएँ जाउंगी
देना वचन रक्षा का ह्रदय से
बस इतने में ही ख़ुश हो जाउंगी
अनमोल है रिश्ता तेरा मुझसे
सदा तेरी बहन कहलाऊंगी
इतनी सी विनती है कभी भी
न कम करना मुझपर अपना प्यार
इक अपने भईया पर मैं तो
दूँ सारी दुनिया वार
मुबारक हो सबको पावन
रक्षाबंधन का शुभ त्यौहार।
Author:
सोनल उमाकांत बादल , कुछ इस तरह अभिसंचित करो अपने व्यक्तित्व की अदा, सुनकर तुम्हारी कविताएं कोई भी हो जाये तुमपर फ़िदा 🙏🏻💐😊
राखी का बंधन
श्रावणमास की पूर्णिमा को
होता ये त्योहार ,
भाई बहन के प्रेम का
बढ़ जाता स्नेह अपार।
नहीं किसी बंधन में इतना
जोर कहां होता है,
राखी के कच्चे धागों में
ताकत जितना होता है।
अपनी रक्षा की खातिर जब भी
बहन पुकारती भाई को
भाई दौड़ा आता है तब
बिना किसी देरी के।
धर्म कभी दीवार नहीं था
भाई बहन के रिश्तों में,
बन जाते अनजाने अपने
राखी के संबंधों में।
रानी कर्णवती ने अपनी रक्षाहित
हुमायूं को राखी भेजी थी,
मान रखा था राजा ने
तब राखी की खातिर।
विष्णु प्रिया ने राजा बलि को
रक्षा सूत्र में बाँध लिया,
द्रौपदी की आर्दपुकार सुन
कृष्ण ने चीर था बढ़ा दिया।
प्रेम प्यार में बँधा सूत्र
इतना विश्वास जगाता है,
बहन की राखी बाँध कलाई
हर भाई इतराता है।
अपनी और पराई कोई
बहन नहीं होती है,
राखी के बंधनों में बाँध ले
ऐसी बहनें होती हैं।
बहन की रक्षा की खातिर
जो मौत से भी टकरा जाये,
बहन को करे निहाल सदा
ऐसा ही भाई होता है।
रक्षाबंधन
कच्चे धागों में बसा रक्षाबंधन त्यौहार,
इन धागों में बसा भाई बहन का प्यार।
परिभाषा इनके संबंधों की बड़ी अनमोल
इन धागों में है छिपा इनका ही संसार।
ऊँच नीच अमीर गरीब सबमें सम होता व्यवहार,
बहना की ममता छिपी भाई का अमिट दुलार।
चाहे कितने दूर हों या हों कितने पास,
इन धागों में होता बसा भाई बहन का संसार।
युगों युगों से चल रहा ये अनुपम संबंध,
भाई बहन के मध्य में न कोई अनुबंध।
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Author:
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.