Table of Contents
Hindi Poetry on Ganesh Chaturthi | गणेश चतुर्थी पर हिंदी कविता
शिव गौरी पुत्र,अस्थिर अति चंचल,
अनगिनत रूप, अनगिनत नाम।
अतुल्य मनमोहक, मनोरम छवि,
आकृति अनोखी गज सामान।।
परम शक्तिशाली, अद्भुत स्वरूप,
विराट, सम्राट, असीम विवेकशील।
हर नाम यथार्थ, सार्थक,
सुमुख विकट लंबोदर व कपिल।।
हर शुभारंभ जिनकी स्तुति से,
हर उद्घाटन उनके नाम से।
माता-पिता की परिक्रमा ही है तीर्थ,
तुलना में चारों धाम के।।
अपने ज्ञान की ज्योति से,
दूर किया अज्ञानता के अंधेर को।
तोड़कर अहंकार भौतिक सुखों का,
दंभ मुक्त किया कुबेर को।।
उनकी लीला व जीवनकाल की प्रेरणा,
भक्तों के सदा समक्ष है,
ज्ञान अमृत का स्रोत है धूम्रकेतु,
सर्वव्यापी गणाध्यक्ष है।।
जीवन में स्फूर्ति का संचार,
सुख समृद्धि जैसे अनंत है।
वह न्यायप्रिय न्यायाधीश,
वह गणपति बप्पा, एकदंत है।।
मनमोहक प्रतिमा, अप्रतिम छवि,
सूरत इतनी प्यारी है।
महा प्रतापी, सर्वप्रिय व ज्ञानी,
मूषक इनकी सवारी है।।
वह विजय की अडिग नींव,
द्वेष,नकारात्मकता का समापन है।
गजकर्ण हमारे अद्वितीय अनुपम,
वह भालचंद्र, विघ्ननाशक गजानन है।
Author:
प्रो.आराधना प्रियदर्शनी
स्वरचित व मौलिक
हजारीबाग, झारखंड
हे विघ्नहर्ता
हे गणपति
गणपति गणेश
हे संकटहर्ता हे विघ्नहर्ता
हे विघ्न विनाशक गणपति बप्पा
अब आप आ ही गये हो तो
हमारा भी कल्याण करो
हार रहा है अब प्राणी
हे लम्बोदर कुछ तो ख्याल करो
हे एकदंत हे सिद्ध विनायक
जन जन का अब उद्धार करो
हे रिद्धि सिद्धि के दाता
अब नहीं सूझता मार्ग कोई
हे गणाधीश हे शिव सपूत
अब तुमको ही कुछ करना होगा,
कोरोना के संकट को अब
हे शक्ति पुत्र हरना होगा।
अक्षत चंदन रोली पुष्पों संग
हाथ जोड़ हम विनय करें,
अपने बच्चों के खातिर बप्पा प्रभु
तुम्हरे मूसल की मार से ही अब
कोरोना को मरना होगा।
गणपति बप्पा तुम्हें प्रणाम
जय गणेश, जय कृपा निधान
गणपति बप्पा तुम्हें प्रणाम।
जय विघ्नविनाशक, कृपानिधान
जय अष्टविनायक संकटमोचक
जय गौरी सुत, जय एकदंत
गणपति बप्पा तुम्हें प्रणाम।
मूषक वाहन पर होते विराजित
हे शिवनंदन, दैदीप्यमान सूर्य सम
हे दु:खभंजन, प्रथम पूज्यवर
गणपति बप्पा तुम्हें प्रणाम।
हे लंबोदर, हम करते वंदन
शिवशंकर के प्रिय सुत
संकट सबके हरो गजानन
गणपति बप्पा तुम्हें प्रणाम।
भक्तों के हो तुम बहुत प्यारे
कष्ट सभी के हरते सारे
मोदक पूजित प्रसन्न विप्रवर
गणपति बप्पा तुम्हें प्रणाम।
कष्ट दूरकर समृद्धि देते
मनवांछित इच्छा फल देते
ऋद्धि सिद्धि के स्वामी हो तुम
गणपति बप्पा तुम्हें प्रणाम।
प्रथम आवाहन होय तुम्हारी
आओ चढ़ मूषक की सवारी
हर काज में पहले हो ‘श्रीगणेश’
गणपति बप्पा तुम्हें प्रणाम।
विघ्न सब हर लो देवा
जय जय जय हो गणपति गणेश
करो कृपा सब पर तुम अशेष,
बल, बुद्धि, विधा सबको दे दो
उजियारा फैला दो तुम विशेष।
हे प्रथमपूज्य गौरी सुतनंदन
मंगल शुभफल दो गजबदन,
ऋद्धि सिद्धि के तुम स्वामी देवा
आय विराजो चढ़ि मूषक वाहन।
चार भुजा और ओढ़े पीतांबर
मोहनी सूरत लगती सुखकर,
मोदक तुमको बहुत है प्यारा
संकट हर लो जीम उदर भर।
द्वार तुम्हारे हम सब आये हैं
तुम से विश्वास लगाए हुए हैं,
खाली हाथ न हम जाने वाले
जोड़ हाथ हम अड़े खड़े हैं।
तुम हो सबके विघ्न विनाशक
सबका मंगल करते सुखदायक,
प्रथम पूज्य तुम हो लंबोदर
करते न कभी निराश विनायक।
कब से हम खड़े पुकार रहे हैं
श्रद्धा संग बहु विश्वास लिए है
सब विघ्न हमारे हर लो देवा
नतमस्तक हो तेरे द्वार पड़े हैं।
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
कृपया कविता को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और whats App पर शेयर करना न भूले, शेयर बटन नीचे दिए गए हैं। इस कविता से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख कर हमे बता सकते हैं।
Author:
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.