Biography of Atal Bihari Vajpayee

Last updated on: September 6th, 2020

Atal Bihari Vajpaee
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अटल बिहारी वाजपेयी जीवन परिचय | Biography of Atal Bihari Vajpayee

अटल बिहारी वाजपेई जी का आरंभिक जीवन
तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बन चुके अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 में हुआ था। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। वाजपेई जी केवल 3 बार रह चुके प्रधानमंत्री नहीं थे बल्कि वे एक कवि पत्रकार एवं प्रखर वक्ता भी रह चुके हैं। उन्होंने कई ऐसे पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया जो राष्ट्रीय भावना से ओत- प्रोत है। राष्ट्रधर्म, वीर अर्जुन आदि ऐसे पत्र पत्रिकाएं हैं जो अटल बिहारी वाजपेई के जीवन से संबंधित है। 2005 ईस्वी में वाजपेई जी सन्यास ले चुके थे एवं दिल्ली में 6A कृष्णा मेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में उन्होंने अपना जीवन बिताना प्रारंभ कर दिया था। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में व्यतीत किया तथा आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प भी किया।

अटल बिहारी वाजपेई जी का राजनैतिक जीवन
भारत रत्न से सम्मानित हो चुके पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई एक ऐसे राजनेता थे जिन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री के पद को प्राप्त किया था। वाजपेई जी एक ऐसे नेता थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, गांधीनगर तथा नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव जीत चुके थे।

प्रारंभिक लोकसभा सीट से चुनाव में मिली असफलता
1952 ईस्वी में अटल बिहारी वाजपेई जी लखनऊ लोकसभा सीट से प्रथम बार चुनाव लड़े थे परंतु दुर्भाग्यवश उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई। इसके पश्चात उन्होंने उत्तर प्रदेश के लोकसभा सीट पर उपचुनाव में भागीदारी निभाई जहां उन्हें हार का सामना ही करना पड़ा। परंतु इसके बावजूद हताश होने की जगह उन्होंने राजनीति में अग्रसर होकर अपने कदम बढ़ाए।

1957 में मिली पहली सफलता
अटल बिहारी वाजपेई जी को 1957 ईस्वी में राजनीति के क्षेत्र में प्रथम बार सफलता मिली। जन संघ द्वारा 1957 इसी में लखनऊ मथुरा एवं बलरामपुर से लोकसभा सीटों का चुनाव लड़ाया गया था जिसमें वाजपेई जी लखनऊ के चुनाव में हार गए थे। इसके बाद मथुरा में भी उनकी जमानत जप्त हो चुकी थी। सौभाग्यवश अटल बिहारी वाजपेई जी बलरामपुर संसदीय सीट से चुनाव जीत गए एवं लोकसभा का द्वार उनके सफलता के लिए खुल गया।

जवाहरलाल नेहरू द्वारा तैयार हुआ प्रधानमंत्री बनने का सपना
अटल बिहारी वाजपेई में एक असाधारण व्यक्तित्व की झलक दिखाई देती थी अतः जवाहरलाल नेहरू ने भी उन्हें यह कहा था कि तुम एक दिन प्रधानमंत्री अवश्य बनोगे। इसके फलस्वरूप वाजपेई जी के हृदय में प्रधानमंत्री बनने की चाह घर कर गई एवं उन्होंने इसकी तैयारी प्रारंभ कर दी।

अटल बिहारी वाजपेई का प्रधानमंत्री होने का सफर
1994 ईस्वी में कर्नाटक एवं 1995 में गुजरात एवं महाराष्ट्र में वाजपेई जी चुनाव जीत गए एवं वे लालकृष्ण आडवाणी द्वारा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित हुए। 1998 ईस्वी में दोबारा लोकसभा चुनाव में पार्टी को अधिक सीटें मिली जिसके फलस्वरूप कुछ अन्य पार्टियों के सहयोग से वाजपेई जी ने एनडीए का गठन किया। इसके बाद वे प्रधानमंत्री बने। 13 महीनों तक सरकार चलने के पश्चात बीच में ही जयललिता की पार्टी द्वारा सरकार का हाथ छोड़ दिया गया जिससे सरकार गिर गई। 1999 में लोकसभा चुनाव में भाजपा की सरकार आने से अटल बिहारी वाजपेई ने अपना कार्यकाल पूर्ण किया। तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके अटल बिहारी वाजपेई जी ने अपने अंदाज एवं अथक प्रयास से भारत में विशेष रूप से परिवर्तन लाने का प्रयास किया।

अटल बिहारी वाजपेई द्वारा किए गए प्रमुख कार्य एवं योजनाएं
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी के शासन में भारतीय अर्थव्यवस्था एक उच्च शिखर पर पहुंच चुकी थी। उनके अथक प्रयास से भारत के किस्मत जागृत हो गई। उन्होंने अपने कुशल प्रशासन से काफी लोकप्रियता हासिल की एवं इसी वजह से देश में तीन बार प्रधानमंत्री के पद पर बैठ चुके। बाजपेई जी ने कई ऐसे महत्वपूर्ण कदम उठाए जिससे देश की आर्थिक दशा पूर्ण रूप से बदल गई। इसके अलावा उन्होंने कई प्रकार की योजनाएं भी चलाई जो देश के लिए काफी हितकारी रही।

अटल बिहारी बाजपेई द्वारा किए गए प्रमुख कार्यों को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से देखा जा सकता है-

स्वर्णिम चतुर्भुज एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना :- अटल बिहारी वाजपेई के महत्वपूर्ण उपलब्धियों में स्वर्णिम चतुर्भुज एवं प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना का विकास करना अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी सिद्ध हुआ है। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत चेन्नई, कोलकाता , दिल्ली एवं मुंबई को हाईवे नेटवर्क के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया एवं यह प्रयास सफल भी हुआ। इसके अलावा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के जरिए गांव को शहर के साथ पक्की सड़कों द्वारा जोड़ा गया जिसने आर्थिक विकास में देश की काफी सहायता की।

राजकीय कोष स्थिति पर कार्य:– देश में राजकोषीय घाटे को कम करने के उद्देश्य से राजकोषीय जवाबदेही कानून का निर्माण किया गया। इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यक्ति अटल बिहारी वाजपेई जी थे। देखा गया कि वित्त वर्ष 2006 में सार्वजनिक बचत जीडीपी के 0.8 फीसदी से बढ़कर 2005 ईस्वी में 2.3 फीसदी तक पहुंच चुकी थी।

सर्वशिक्षा अभियान की शुरुआत:- 2001 ईस्वी में सर्व शिक्षा अभियान को अटल बिहारी वाजपेई द्वारा लांच किया गया था एवं इस योजना के तहत यह निश्चित किया गया कि 6 से लेकर 14 वर्ष के उम्र के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाएगी। इस योजना के लॉन्च होते ही 4 साल में इसके प्रभाव दिखाई देने लगे जिसने शिक्षक के महत्व में काफी योगदान दिया।

निजीकरण को मिला बल:- अटल बिहारी वाजपेई जी ने उद्योग धंधों एवं व्यापार में भारत सरकार की भूमिका के रूप में काफी प्रयास किए। इसके अतिरिक्त उन्होंने विनिवेश मंत्रालय का भी निर्माण किया जिससे निजीकरण को काफी बल मिला। बाजपेई जी द्वारा सबसे महत्वपूर्ण फैसले भारत एल्युमीनियम कंपनी एवं हिंदुस्तान जिंक, इंडिया पेट्रोकेमिकल्स ऑपरेशन में देखा गया, जो आने वाले भविष्य के लिए काफी उज्जवल थे।

निष्कर्ष
निष्कर्ष स्वरूप कहा जा सकता है की अटल बिहारी बाजपेई ने अपने बुद्धिमता एवं अथक प्रयास से भारत के भविष्य को बदलने का प्रयास किया एवं इस क्षेत्र में वे सफल भी हुए। इन्होंने अपने जीवन में इतनी अनुभव प्राप्त किए जिसका प्रयोग उन्होंने पूरी तरह से देश के भविष्य को उज्जवल बनाने में किया। उनके द्वारा निर्मित किए गए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की चर्चा आज भी प्रसिद्धि में है जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था मैं आसमान को छूने की प्रवृत्ति दिखाई देती है।