बाजीराव पेशवा की जीवनी

Biography of Bajirao Peshwa in Hindi
Bajirao Peshwa Biography in Hindi | बाजीराव पेशवा की जीवनी

Biography of Bajirao Peshwa in Hindi | बाजीरावपेशवा की जीवनी

हमारे देश में कई महान योद्धा आए तथा गए लेकिन इन योद्धाओं में बाजीराव का नाम अग्रणी है। बाजीराव मराठा साम्राज्य के पेशवा थे उनके नाम से ही अंग्रेज थरथर कांपने लग जाते थे। उन्होंने अपने जीवन काल के दौरान 41 युद्ध लड़े तथा एक भी युद्ध में शिकस्त हासिल नहीं की। आइए जानते हैं बाजीराव के जीवन परिचय के बारे में-

नामबाजीराव
अन्य नामपेशवा बाजीराव,बाजीराव बल्लाल, थोरले बाजीराव
माता का नामराधाबाई बर्वे
पिता का नामबालाजी विश्वनाथ
भाईबहनचिमाजी अप्पा,अनुबाई घोरपडे,भीयुबाई जोशी
जन्म तिथि18 अगस्त 1700
जन्म स्थानसिन्नर, मराठा साम्राज्य (मौजूदा समय में नासिक, महाराष्ट्र)
मृत्यु तिथि28 अप्रैल 1740
मृत्यु स्थानरावेर खेड़ी, मराठा साम्राज्य (मौजूदा खरगोन जिला, मध्य प्रदेश)
राष्ट्रीयताभारतीय
वैवाहिक स्थितिविवाहित
पत्नी का नाम1.काशीबाई (1720-1740) 2. मस्तानी (1728-1740)
बच्चेबालाजी बाजीराव, रघुनाथ राव, जनार्दन राव, शमशेर बहादुर, रामचंद्र
धर्महिंदू
Bajirao Peshwa biography in Hindi | बाजीराव पेशवा की जीवनी

बाजीराव का प्रारंभिक जीवन

बाजीराव का जन्म 18 अगस्त सन 1700 में हुआ। उन्होंने चित्ताबन कुल के ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया। उनके पिता का नाम था बालाजी विश्वनाथ , जो कि मराठा छत्रपति शाहू जी महाराज के प्रथम पेशवा थे। वहीं उनकी माता का नाम था राधाबाई बर्वे। बाजीराव के तीन भाई-बहन थे जिनमें से उनके छोटे भाई का नाम था चिमाजी अप्पा।

इसके अलावा उनकी दो बहने थी जिनका नाम था अनूबाई और भीयुबाई है। उनकी बहन अनुबाई का विवाह इचलकरंजी के वेंकटराव घोरपडे से हुआ था। वही भियुबाई का विवाह बारामती के अबाजी नायक जोशी से हुआ।

बाजीराव के पिता ने उन्हें एक योद्धा के रूप में प्रशिक्षित किया। दरअसल, बचपन से ही वे बाजीराव को अपने साथ सैन्य अभियानों में ले जाया करते थे। इसके अलावा बाजीराव पढ़ने-लिखने में भी पीछे नहीं रहे। एक ब्राह्मण परिवार में पैदा होने की वजह से उन्होंने शुरू से ही पढ़ना लिखना तथा संस्कृत सीखना शुरू कर दिया था।

साल 1720 में बाजीराव के पिता बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के बाद उन्हें 20 वर्ष की आयु में पेशवा नियुक्त किया गया।

पेशवा के पद में बाजीराव की नियुक्ति

बाजीराव के पिता की मृत्यु के बाद उन्हें पेशवा के पद में नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति ‘छत्रपति शाहू महाराज’ ने की थी। उन्होंने उस पद के लिए अनुभवी और पुराने दावेदारों के बजाय बाजीराव को पेशवा के पद के लिए नियुक्त किया। राज्य की सारी शक्तियां बाजीराव के हाथों में आ गई थी। बाजीराव ने अल्प समय में ही कई उपलब्धियां हासिल कर ली। उन्होंने अपने युद्ध कौशल से करीब आधे भारत को जीत लिया। 1724 में बाजीराव ने शकरखेडला में मुबारिजखाँ को हराया। उन्होंने 1734 से 1726 के दौरान मालवा और कर्नाटक में प्रभुत्व स्थापित किया

1728 में बाजीराव ने महाराष्ट्र के पालखेड में निजाम के खिलाफ अभियान चलाया और जालना,बुरहानपुर और खानदेश सहित कई राज्यों पर कब्जा कर लिया। जिस वजह से पलखेड़ की लड़ाई हुई।

बाजीराव ने मालवा का भी अभियान चलाया जिसमें उन्होंने अपने भाई चिमाजी अप्पा को भेजा। इसके तहत उन्होंने 29 नवंबर 1728 में मुगलो को हरा दिया। आगे जाकर वे बुंदेलखंड का अभियान चलाते हैं। दरअसल महाराजा छत्रसाल ने स्वयं ही अंग्रेजो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था जिस वजह से 1728 में अंग्रेजों ने बुंदेलखंड में आक्रमण कर महाराजा और उनके परिवार को बंदी बना लिया। साल 1931 में गुजरात का अभियान चलाया गया जिसमें बाजीराव ने दाभाडे, गायकवाड की सेनाओं को हराया।

बाजीराव का निजी जीवन

बाजीराव ने अपने जीवन में दो शादियां की। उनकी पहली पत्नी का नाम था काशीबाई। बचपन से ही बाजीराव काशीबाई एक साथ पले बड़े हुए जिस वजह से उनकी शादी बचपन में ही कर दी गई। शादी के समय बाजीराव 11 वर्ष के थे वही काशीबाई सिर्फ 8 साल की थी। काशीबाई व बाजीराव के चार पुत्र थे। वही उनकी दूसरी पत्नी मस्तानी के एक बेटे थे जिनका नाम शमशेर बहादुर था।

बाजीराव और मस्तानी की प्रेम कहानी

बाजीराव मस्तानी की प्रेम कहानी बेहद ही मशहूर है। ऐसे में इन दोनों की प्रेम कहानी का उल्लेख करना जरूरी है। दरअसल, मस्तानी हिंदू महाराजा छत्रसाल बुंदेला और मुस्लिम मां रूहानी बाई की बेटी थी। उनके पिता बुंदेलखंड में राज किया करते थे। उनका जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक गांव में हुआ। मस्तानी अपनी मां की तरह ही मुस्लिम धर्म को मानती थी। मस्तानी जितने चेहरे से खूबसूरत थी उतनी ही वह अपने काम में निपुण थी। ऐसा कोई काम नहीं था जो मस्तानी को नहीं आता था।

घर के कामकाज से लेकर तलवारबाजी, घुड़सवारी तक में भी वह माहिर थी। इसके अलावा वे ना सिर्फ एक अच्छी गायिका थी बल्कि एक बहुत अच्छी नृत्यांगना भी थी। साल 1928 में मुगलों ने छत्रसाल पन्ना के बुंदेलखंड में आक्रमण कर दिया जिस वजह से मदद के लिए राजा ने अपनी बेटी मस्तानी को बाजीराव के पास भेजा। यहीं वह पहली बार था जब इन दोनों की पहली मुलाकात हुई। बाजीराव ने छत्रसाल की मदद की तथा उन्होंने मुगलों को हराया। उनकी युद्ध कौशल से मस्तानी बेहद प्रभावित हुई। वही मस्तानी ने भी अपनी सुंदरता और निडरता से बाजीराव का मन मोह लिया। छत्रसाल अपना राज्य वापस पा चुके थे। इससे खुश होकर उन्होंने बाजीराव को अपने राज्य का कुछ हिस्सा तथा अपनी बेटी को भी भेंट स्वरूप दे दिया।

पहले ही बाजीराव मस्तानी के प्यार में लट्टू हो चुके थे जिस वजह से उन्होंने उनसे शादी की तथा उन्हें अपनी दूसरी पत्नी का दर्जा दिया। बाजीराव अपनी पत्नी मस्तानी से काफी प्रेम किया करते थे लेकिन उनकी मां तथा उनके भाई ने कभी उन दोनों की शादी को स्वीकार नहीं किया। इसके पीछे की वजह यह थी कि मस्तानी एक मुस्लिम लड़की थी।

वहीं दूसरी ओर उनकी दूसरी शादी से उनकी पहली पत्नी काशीबाई दुखी तो थी लेकिन अपने पति की खुशी देखते हुए उन्होंने मस्तानी से कभी बैर नहीं रखा। उन्होंने इन दोनों के रिश्ते को भी स्वीकार किया। लेकिन अपनी सास और अपने देवर की वजह से वह कभी कुछ बोल नहीं पाई। हमेशा उनकी सास काशीबाई को भड़काती रहती थी लेकिन इसके बावजूद काशीबाई को मस्तानी से कोई गिला शिकवा नहीं था।

साल 1740 में काशीबाई और मस्तानी ने एक एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन दुर्भाग्यवश काशीबाई के बेटे की मृत्यु हो गई मस्तानी के बेटे का नाम कृष्णा रखा गया जो आगे जाकर शमशेर बहादुर प्रथम बने।

बाजीराव की मृत्यु

मस्तानी के शमशेर बहादुर को जन्म देने के उस दौरान बाजीराव युद्ध पर गए थे। इसका फायदा उठाते हुए मस्तानी की सास तथा उनके देवर ने मिलकर उन्हें महल में ही कैद कर दिया। जब बाजीराव वहां से लौटे तो यह सब देखकर वह बेहद चिंतित हो गए जिसके बाद उन्होंने पुणे में मस्तानी महल बनवाया। लेकिन इसके बावजूद बाजीराव की मां और उनके देवर का गुस्सा मस्तानी को लेकर कम नहीं हुआ।

1940 में ही बाजीराव किसी काम से खरगोन इंदौर चले गए। सफर के दौरान ही उन्हें तेज बुखार आया जिससे उनकी स्थिति बिगड़ती चली गई। लेकिन मृत्यु शैया पर लेटे हुए भी बाजीराव ने हमेशा मस्तानी का ही नाम जपा। उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए चिमाजी अप्पा ने काशीबाई के बेटे नानासाहेब को मस्तानी से मिलने भेजने को कहा।

लेकिन नानासाहेब ने उनकी जगह अपनी माता काशीबाई को उनके पास भेज दिया। जानकारी के अनुसार जब बाजीराव मृत्यु शैया में थे तब काशीबाई ने उनकी खूब सेवा की लेकिन 28 अप्रैल 1940 को उनकी मृत्यु हो गई। जब मृत्यु की खबर मस्तानी तक पहुंची तब उनका भी निधन हो गया। हालांकि उनकी मौत को लेकर काफी रहस्य बना हुआ है एक तरफ जहां कुछ लोग कहते हैं कि बाजीराव की मृत्यु की खबर सुनकर ही मस्तानी की भी मौत हो गई थी। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इस खबर के बाद से मस्तानी ने आत्महत्या कर ली थी।

मस्तानी और बाजीराव की मृत्यु के बाद उनके बेटे शमशेर को काशीबाई ने ही पाल पोस कर बड़ा किया।

बाजीराव के जीवन पर बनी कुछ फिल्में और उपन्यास

  1. साल 1925 में बाजीराव मस्तानी नामक एक फिल्म बनाई गई। इस फिल्म को नानूभाई बी. देसाई और भालजी पेंडकर द्वारा निर्देशित किया गया था।
  2. साल 1955 में धीरूभाई देसाई द्वारा मस्तानी को निर्देशित किया गया। इस फिल्म में निगार सुल्ताना, मनहर देसाई, शाहू मोदक और आगा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  3. सालों 1972 में राव नामक एक काल्पनिक मराठी उपन्यास लिखा गया। जिसमें बाजीराव और मस्तानी की प्रेम कहानी को प्रदर्शित किया गया। इस उपन्यास को ‘नागनाथ एस इनामदार’ ने लिखा।
  4. साल 1990 में बाजीराव के जीवन पर राव सीरियल बनाया गया।
  5. साल 2015 में बाजीराव मस्तानी नामक एक ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म को संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित किया गया। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में रणवीर सिंह, प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण थे।
  6. साल 2015 में ही श्रीमंत पेशवा बाजीराव मस्तानी नामक एक भारतीय टीवी सीरीज ईटीवी मराठी पर प्रसारित की गई।
  7. साल 2017 में पेशवा बाजीराव नामक एक अन्य टीवी सीरीज शुरू की गई। इसे सोनी टीवी में प्रसारित किया गया।

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Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।