Biography of Ram Prasad Bismil in Hindi

Biography of Ram Prasad Bismil in Hindi
Biography of Ram Prasad Bismil in Hindi राम प्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय

Biography of Ram Prasad Bismil in Hindi | राम प्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान रहा है। उन ही प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक राम प्रसाद बिस्मिल जी हैं जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख सेनानी के रूप में जाने जाते हैं। राम प्रसाद बिस्मिल ने केवल 30 वर्ष की उम्र में इस वतन के नाम अपनी जान कुर्बान कर दी। इन्हें ब्रिटिश सरकार ने फांसी दी। बिस्मिल जी का काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में योगदान रहा है। बिस्मिल जी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन(HRA) के सदस्य भी थे।

इस पोस्ट में राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म, प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, परिवार, क्रांतिकारी के रुप में जीवन, साहित्यिक के रुप में, प्रमुख रचनाएँ, उपलब्धियाँ और मृत्यु आदि से संबंधित जानकारी देंगे।

राम प्रसाद बिस्मिल से संबंधित जानकारी

नामराम प्रसाद
उपनामबिस्मिल, राम, अज्ञात, तखल्लुस (उर्दू नाम)
जन्म तिथि11 जून 1897
जन्म स्थानशाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश
पिता का नाममुरलीधर
माता का नाममूलमती
शिक्षक योग्यताआठवीं कक्षा
पेशासाहित्यकार, कवि और क्रांतिकारी
प्रमुख रचनाएँकविताएँ व गज़ले
सरफरोशी की तमन्ना
जज्वये शहीद
ज़िंदगी का राज
बिस्मिल की तड़प

पुस्तके
मैनपुरी षड्यन्त्र
स्वदेशी रंग

आत्मकथा– काकोरी षड्यंत्र नामक एक पुस्तक में निज जीवन की एक छटा के नाम से रचित आत्मकथा
उपलब्धियाँ1. शाहजहांपुर में 18 दिसंबर 1994 में राम प्रसाद बिस्मिल की 69वीं पुण्यतिथि पर संगमरमर की मूर्ति का अनावरण।
2. शाहजहांपुर, 19 दिसंबर 1983पंडित प्रसाद बिस्मिल रेलवे स्टेशन का निर्माण।
3. भारत सरकार ने उनकी याद में 19 दिसंबर 1997 को एक डाक टिकट शुरू किया।
4. सम्मान में सरकार द्वारा रामपुर, उत्तर प्रदेश में एक पं. राम प्रसाद बिस्मिल उद्यान का निर्माण।
मृत्यु19 दिसंबर 1927 में फांसी दे दी गई
Information about Ram Prasad Bismil in Hindi

राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म और प्रारंभिक जीवन

11 जून 1897 में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में प्रसिद्ध क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म हुआ था। इनका उर्दू उपनाम तखल्लुस (हिंदी अर्थ–आत्मिक रुप से आहत) था। बिस्मिल के माता पिता सिंह राशि से संबंध रखते से लेकिन पंडितों ने इनका नाम बहुत सोच समझ कर तुला राशि के नाम अक्षर पर रखा।घर में सभी बड़े स्नेह से उन्हें राम कहकर बुलाते थे।

इनके पिता के कुल नौ बच्चे थे– 4 पुत्र और 5 पुत्रियाँ। लेकिन दो पुत्री और दो पुत्रों की बाद में मृत्यु हो गई थी। घर में सभी उनसे बहुत प्यार करते थे और सब चाहते थे कि वह अपने शिक्षा पर ज़ोर दे और अपने जीवन में सफलता हासिल करे लेकिन उनका मन पढ़ाई में कम लगता था और खेल खेलने में ज़्यादा।

उनके पिताजी उनको हमेशा मारकर समझाने की कोशिश करते थे कि वह पढ़ाई पर ध्यान दे और उनकी माता उन्हें प्यार से समझाती थी। बिस्मिल जी को बाल्यकाल की अवस्था में कुछ बुरी आदतें पढ़ गई। साहित्य के प्रति उनकी रुचि बचपन से ही थी। जब बिस्मिल केवल 14 वर्ष के थे तब उन्होंने अपने पिता जी की संदूकची से पैसे चोरी करना शुरू कर दिया। बचपन में उन्हें पैसे चोरी करके सिगरेट पीने और चोरी किए हुए पैसों से उपन्यास और किताबें खरीदने की लत लग गई जिसे आगे चलकर खत्म होने में बहुत ज़्यादा समय लगा।

बिस्मिल जी चोरी किए हुए पैसों से भांग भी खरीदते थे और भांग का नशा करते थे। एक दिन भांग के नशे में ही चोरी करने की कोशिश कर रहे थे जिसके कारण उनकी चोरी पकड़ी गई और उन्हें उनके घरवालों ने बहुत मारा और उनकी सारी किताबों को फाड़ दिया। मार खाने के बाद भी उन्होंने अपनी इस बुरी आदत को नहीं छोड़ा। परन्तु जब वह धीरे-धीरे समझदार होने लगे तो उनकी यह बुरी आदतें छूट गई। राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी इस चोरी की कहानी के बारे में अपने उपन्यास में वर्णन किया है कि वह पैसे चोरी कर किताबों को खरीदते थे क्योंकि उनकी साहित्य के प्रति बचपन से ही रुचि थी।

उन्होंने अपने आत्मकथा में यह भी उल्लेख किया है कि वह 50–60 सिगरेट का सेवन प्रति दिन करते थे। उन्होंने बताया है कि उनके दोस्त मुंशी इंद्रजीत की सहायता से उन्होंने अपनी इस आदत को छोड़ा।

राम प्रसाद बिस्मिल का परिवार

राम प्रसाद बिस्मिल का परिवार उनसे बहुत प्रेम करता था। बिस्मिल जी के पिता का नाम मुरलीधर और इनकी माता का नाम मूलमती था। उनके माता-पिता की कुल 9 संताने थी। इनमें से दो पुत्रों और दो पुत्रियों की मृत्यु हो गई थी। बिस्मिल जी के परिवार में शुरू से ही कन्याओं की हत्या का चलन रहा है लेकिन उनकी मां ने इन बच्चियों को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी और उनकी माता की वजह से ही उनकी बहनों का जन्म इस परिवार में हुआ।

राम प्रसाद बिस्मिल के भाई का नाम रमेश सिंह था। अन्य भाई का नाम ज्ञात नहीं है। इनकी बहनों का नाम शास्त्री देवी, ब्रह्मा देवी और भगवती देवी था। बिस्मिल जी के दादा का नाम नारायण लाल था और इनकी दादी का नाम विचित्रा देवी था। बिस्मिल जी के चाचा का नाम कल्याणमल था।

पिता का नाममुरलीधर
माता का नाममूलमती
भाई का नामरमेश सिंह अन्य भाईयों का नाम ज्ञात नहीं।
बहन का नामशास्त्री देवी, ब्रह्म देवी, भगवती देवी अन्य बहनों का नाम ज्ञात नहीं।
दादा का नामनारायण लाल
दादी का नामविचित्रा देवी
चाचा का नामकल्याणमल
Ram Prasad Bismil’s Family

रामप्रसाद बिस्मिल की शिक्षा

शुरुआत में उन्होंने थोड़ी बहुत शिक्षा घर पर ही अपने पिता से प्राप्त की। बिस्मिल जी ने अपने पिता से हिंदी भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। उर्दू भाषा की शिक्षा उन्होंने स्थानीय मौलवी से ली। इन्होंने अंग्रेज़ी मिशन स्कूल से स्कूल की शिक्षा प्राप्त की और प्रथम स्थान प्राप्त करने लगे। बिस्मिल जी के पिता की आय कम होने के कारण उनकी संतानों की शिक्षा का खर्चा और घर का पालन पोषण कर पाना मुश्किल हो रहा था। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से बिस्मिल जी को आठवीं कक्षा में ही शिक्षा छोड़नी पड़ी। बिस्मिल जी की साहित्य के प्रति रुझान और हिंदी भाषा का अच्छा ज्ञान था। धीरे-धीरे उनकी यह रुचि जुनून बन गयी।

राम प्रसाद बिस्मिल क्रांतिकारी के रुप में

राम प्रसाद बिस्मिल उन भारतीयों में से थे जो ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों से प्रताड़ित थे लेकिन बिस्मिल जी ने अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठानी सीखी। वे कम उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने के लिए शामिल हो गए। जब उन्होंने अपनी आठवीं कक्षा की पढ़ाई छोड़ी और काफ़ी छोटी उम्र में वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में सदस्य के रूप में शामिल हुए। संगठन के जरिए कई स्वतंत्रता सेनानियों से मिले जैसे- सुखदेव, राजगुरु, गोविंद प्रसाद, चंद्रशेखर आज़ाद, भगवती चरण, ठाकुर रोशन सिंह आदि।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में पहचान बनाने के पश्चात बिस्मिल जी ने 9 क्रांतिकारियों से हाथ मिलाया। इनके साथ हाथ मिलाने के पश्चात् उन्होंने काकोरी ट्रेन डकैती के ज़रिए सरकारी खजाने को लूटने में सफ़ल रहे जिसके लिए उन्हें जेल की सजा काटनी पड़ी और फांसी पर भी चढ़ना पड़ा।

राम प्रसाद बिस्मिल साहित्यकार के रुप में

बिस्मिल जी ने हिंदी भाषा का ज्ञान अपने पिताजी से लिया था और उनकी रुचि हिंदी के प्रति जुनून में परिवर्तित हो गई। बिस्मिल जी ने हिंदी भाषा में कई कविताओं की रचना की। बिस्मिल जी देशप्रेमी और क्रांतिकारी व्यक्तित्व के थे। उन्होंने अपनी जान भी देश के लिए कुर्बान कर दी। देशभक्ति उनकी प्रमुख प्रेरणा थी जिससे प्रेरित होकर उन्होंने अपनी कविताओं की रचना की। इनके द्वारा रचित कई प्रमुख कविताएँ हैं जिनमें से ‘सरफरोशी की तमन्ना’ सबसे प्रसिद्ध कविता मानी जाती है। बिस्मिल जी ने अपनी आत्मकथा को काकोरी ट्रेन डकैती की घटना की वजह से जेल में रहकर पूरा किया।

राम प्रसाद बिस्मिल की प्रमुख रचनाएँ

राम प्रसाद बिस्मिल कवि, शायर और प्रसिद्ध साहित्यकार के रुप में जाने जाते हैं। उनके द्वारा रचित कई रचनाएँ हैं जिनके द्वारा उन्हें सफलता प्राप्त हुई। इन्होंने कई पुस्तकों, गजलों और कविताओं की रचना की।

बिस्मिल जी द्वारा रचित कविताएँ और गज़ले

  1. सरफरोशी की तमन्ना
  2. जज्वये शहीद
  3. ज़िंदगी का राज
  4. बिस्मिल की तड़प

बिस्मिल जी द्वारा रचित पुस्तके

  1. मैनपुरी षड्यन्त्र
  2. स्वदेशी रंग
  3. चीनी-षड्यन्त्र (चीन की राजक्रान्ति)
  4. तपोनिष्ठ अरविन्द घोष की कारावास कहानी
  5. अशफ़ाक की याद में
  6. सोनाखान के अमर शहीद- वीरनारायण सिंह
  7. जनरल जार्ज वाशिंगटन
  8. अमरीका कैसे स्वाधीन हुआ?

आत्मकथा

बिस्मिल जी की आत्मकथा काकोरी षड्यंत्र में निजी जीवन की छटा के नाम से छपी हुई है। इस आत्मकथा को कई साहित्यकारों ने अलग-अलग भाषा में रचा है।

राम प्रसाद बिस्मिल की उपलब्धियाँ

  1. शाहजहाँपुर के खिरनी बाग मोहल्ले में 18 दिसंबर 1994 में राम प्रसाद बिस्मिल की 69वीं पुण्यतिथि पर संगमरमर की मूर्ति का निर्माण किया गया। जिसका नाम अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल रखा गया।
  2. राम प्रसाद बिस्मिल को याद करते हुए 19 दिसंबर 1983 में पंडित प्रसाद बिस्मिल रेलवे स्टेशन नामक रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया। इस रेलवे स्टेशन का निर्माण पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा कराया गया था।
  3. राम प्रसाद बिस्मिल ने भारत देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया उनकी याद में भारत सरकार ने 19 दिसंबर 1997 को एक डाक टिकट शुरू किया, जिसमें उनकी फ़ोटो अशफाकउल्ला के साथ थी।
  4. रामपुर जागीर गांव के पास उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक पार्क का निर्माण किया गया जिसका नाम अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल उद्यान रखा गया।

राम प्रसाद बिस्मिल की मृत्य

जब बिस्मिल जी केवल 30 वर्ष के थे तभी उन्हें काकोरी षड्यंत्र में दोषी पाए जाने के कारण, ब्रिटिश सरकार ने फांसी देने का निर्णय लिया। कुछ समय तक उन्हें जेल में गोरखपुर में रखा गया और फिर 19 दिसंबर 1927 में उन्हें फांसी दे दी गई। केवल 30 वर्ष की उम्र में वे देश के लिए शहीद हो गए। उनका अंतिम संस्कार उत्तरप्रदेश में पुरे हिंदू रीति रिवाजों के हिसाब से किया गया।

सन् 1927 में उन्होंने ‘क्रांति गीतांजलि’ नाम की एक देशभक्ति पुस्तक की रचना की थी जिसका प्रकाशन बिस्मिल जी की मृत्यु के पश्चात् सन् 1929 में हुआ। ब्रिटिश सरकार ने बिस्मिल जी की इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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Author:

Bhawna

भावना, मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में ग्रैजुएशन कर रही हूँ, मुझे लिखना पसंद है।