Entrepreneurship & Social Entrepreneurship

Entrepreneurship and Social Entrepreneurship difference in Hindi
एंटरप्रेन्योरशिप और सामाजिक एंटरप्रेन्योरशिप में अंतर | Difference between Entrepreneurship and Social Entrepreneurship in Hindi

उद्यमिता और सामाजिक उद्यमिता में अंतर

उद्यमिता और सामाजिक उद्यमिता क्या है व उद्यमिता और सामाजिक उद्यमिता में अंतर क्या होता है?, दोनों को लेकर अक्सर लोग कंफ्यूज रहते है, आइये सब जानते है इस लेख में :-

उद्यमिता क्या है? (What is Entrepreneurship in Hindi?)

उद्यमिता को अंग्रेजी में एंटरप्रेन्योरशिप कहते हैं। इसका सीधा संबंध व्यवसाय से होता है। इसके तहत किसी व्यवसाय की शुरुआत नए आईडिया के तहत की जाती है। इसमें व्यवसाय की शुरुआत लाभ के उद्देश्य से की जाती है।

एंटरप्रेन्योरशिप में उन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाता है जिससे मुनाफा कमाया जा सके। लेकिन लाभ के साथ इसमें कई अनिश्चितताएं और जोखिम विद्यमान होते हैं। एंटरप्रेन्योरशिप करने वाला व्यक्ति एंटरप्रेन्योर (Entrepreneur) कहलाता है, जिसे हिंदी में उद्यमी कहते हैं। एक एंटरप्रेन्योर अपने खुद के आइडियाज से बिजनेस को सफलता के मुकाम पर ले जाता है।

गत वर्षों में देखा जाए तो एंटरप्रेन्योरशिप ने काफी ज्यादा प्रसिद्धि हासिल की है। इसके पीछे की वजह यह है कि आजकल बहुत से लोग जो किसी कंपनी में नौकरी करते हैं वह खुश नहीं है क्योंकि उन्हें दूसरों के अधीन काम करना पड़ता है। इसके साथ ही उन्हें काम के उचित पैसे नहीं मिलते। न वे काम करने को स्वतंत्र होते हैं इसीलिए कई लोग अपना स्वयं का काम शुरू करते हैं, जिससे उन्हें काम करने की स्वतंत्रता हासिल हो सके।

उद्यमिता की परिभाषा (Definitions of Entrepreneurship in Hindi)

जोसेफ फ्रैंकलिन लिंडसे (Joseph Franklin Lindsey) के अनुसार:-

“उधमिता एक ऐसा काम है जो समाज की भावी आवश्यकताओं का पूर्वानुमान करता है। इसके साथ ही यह संसाधनों के नए, सृजनात्मक व कल्पनाशील संयोजनों के ज़रिए इन आवश्यकताओं को पूरा करता है ।”

एच.डब्ल्यू. जॉनसन (H.W.Johnson) के मुताबिक:-

“उद्यमिता 3 आधारभूत तत्वों से मिलकर बना है जो है अन्वेषण, अनुकूलन व नवप्रवर्तन।”

उद्यमिता के महत्व (Importance of Entrepreneurship in Hindi)

एंटरप्रेन्योरशिप जहां लोगों को काम करने की स्वतंत्रता देती है। वही नए विचारों, नए उत्पादों और सेवाओं को बाजार में लाकर ऐसी तकनीकों का निर्माण कर देती है जिससे आम जीवन सुलभ हो जाता है। वैसे तो उद्यमिता के कई महत्व हैं लेकिन उनमें से कुछ का जिक्र किया जा रहा है जो कि निम्नलिखित है:-

  1. रोजगार उत्पन्न करना

उद्यमिता के जरिए उद्यमी रोजगार उत्पन्न करते हैं वे अपने कारोबार में बढ़ोतरी के लिए नए-नए नौकरियों का निर्माण करते हैं। जिससे कई बेरोजगार लोगों को काम मिल जाता है।

  1. आर्थिक शक्ति का विकेंद्रीकरण

आर्थिक शक्ति के विकेंद्रीकरण के लिए उद्यमिता महत्वपूर्ण है क्योंकि आजकल कुछ बड़ी-बड़ी कंपनियों के हाथों में व्यवसाय सिमट कर रह चुका हैं। वही बड़ी कंपनियां बाजार में मूल्य और नीतियों के निर्धारण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिससे धीरे-धीरे सारा ढांचा उनके हाथों में आ जाता है। आर्थिक शक्ति के विकेंद्रीकरण के लिए उद्यमिता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  1. नए आविष्कारों को बढ़ावा देना

एक एंटरप्रेन्योर एक बिजनेसमैन से अलग होता है क्योंकि बिजनेसमैन किसी पुराने विचार को लेकर अपने बिजनेस की शुरुआत करता है। लेकिन एंटरप्रेन्योर की खासियत होती है कि वह नए विचार को लेकर नया व्यवसाय शुरू करता है। एक एंटरप्रेन्योर ऐसे उत्पाद और सेवाओं का आविष्कार करता है जिससे लोगों को सुविधाएं मिले। इसके साथ ही यह नए आविष्कारों को एक प्लेटफार्म देता है।

  1. तीव्र आर्थिक विकास करना

एंटरप्रेन्योरशिप के तहत तीव्र आर्थिक विकास संभव है क्योंकि एंटरप्रेन्योर किसी नए विचार और नए उत्पाद को बाजार में उतारता है जो यदि लोगों को पसंद आता है तो इसकी बिक्री में इजाफा होता है जिससे तीव्र आर्थिक विकास संभव है। बिजनेस के मुकाबले एंटरप्रेन्योरशिप में प्रगति ज्यादा तीव्रता से होती है।

सामाजिक उद्यमिता क्या है? (What is Social Entrepreneurship in Hindi?)

सामाजिक उद्यमिता को एंटरप्रेन्योरशिप का ही एक प्रकार कहा जा सकता है क्योंकि इस प्रकार के उद्यमिता में ऐसे उत्पादों और सेवाओं निर्माण किया जाता है जो सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। इस तरह के उद्यमिता का उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं होता बल्कि समाज के लिए काम करना होता है। सामाजिक उद्यमिता में होने वाले मुनाफे का इस्तेमाल भी सामाजिक कार्यों में किया जाता है।

दरअसल, सामाजिक उद्यमिता कुछ लोगों, समूहों, स्टार्टअप कंपनियों का एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें वह सामाजिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय मुद्दों का हल निकालते हैं। एंटरप्रेन्योरशिप में लाभ व राजस्व की वृद्धि आदि पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाता है। वहीं सामाजिक एंटरप्रेन्योरशिप का उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना नहीं होता बल्कि अधिक से अधिक सामाजिक विकास होता है। सामाजिक उद्यमिता (Social Entrepreneurship) ज्यादातर गैर-लाभकारी ही होते हैं। यह मुख्यत: गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य सेवाओं, सामुदायिक विकास तथा पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर काम करते हैं।

सामाजिक उद्यमिता की अवधारणा 1980 के दशक में आई और तब से लेकर यह लगातार प्रगति कर रही है। सामाजिक उद्यमिता में व्यापारिक संस्थाओं में प्रतिभागियों को आय वितरित नहीं किया जाता बल्कि इससे बेरोजगारी को कम करने, नागरिक के अधिकारों, पर्यावरण की सुरक्षा जैसे विभिन्न सामाजिक मुद्दों को सुलझाने के लिए क्षेत्रों में निवेश किया जाता है।

सामाजिक उद्यमिता का महत्व (Importance of Social Entrepreneurship in Hindi)

  1. सामाजिक समस्याओं को हल करती है

सामाजिक उद्यमिता का सबसे बड़ा महत्व यह है कि ये सामाजिक समस्याओं को हल करता है। यह उन समस्याओं पर काम करता है जिन पर मुख्य रूप से सरकार और अन्य संस्थाओं का ध्यान नहीं जाता। जैसे विकलांगों के लिए शैक्षणिक परियोजनाएं लागू करना, पर्यावरणीय मुद्दों को उठाना आदि।

  1. देश का आर्थिक व सामाजिक विकास

सामाजिक उद्यमिता के परिणामस्वरुप देश का आर्थिक व सामाजिक विकास(Development) होता है। समाज के पिछड़े तबके को सामाजिक उद्यमिता के जरिए आगे लाया जाता है। यही लोग आगे जाकर देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देते हैं जिससे देश का आर्थिक विकास संभव होता है।

  1. नौकरी और आय का साधन बनना

सामाजिक उद्यमिता के अंतर्गत रोजगार और आय का सृजन किया जाता है जिससे अर्थव्यवस्था लाभान्वित होती है। इसमें नौकरियों की उपलब्धता की जाती है। अलग-अलग लोग इन नौकरियों को करते हैं जिससे मुनाफा होता है। साथ ही मुनाफे का इस्तेमाल एक समुदाय को लाभान्वित करने के लिए किया जाता है।

  1. स्वयं नीति निर्धारक बनना

सोशल एंटरप्रेन्योरशिप में उद्यमी किसी के अधीन होकर काम नहीं करते। बल्कि वे स्वयं के ही मालिक होते हैं। उन्हें कोई भी निर्णय लेने की स्वतंत्रता है। अपने नेतृत्व कौशल से एक सामाजिक उद्यमी सफलता के मुकाम पर पहुंच सकता है। ज्यादातर इस तरह की एंटरप्रेन्योरशिप वही लोग करते हैं जो किसी और के अधीन दबाव में काम करना पसंद नहीं करते।

एंटरप्रेन्योरशिप और सामाजिक एंटरप्रेन्योरशिप में अंतर (Difference between Entrepreneurship and Social Entrepreneurship in Hindi)

  1. एंटरप्रेन्योरशिप का उद्देश्य नए उत्पादों और विचारों का व्यवसाय कर लाभ कमाना होता है। जबकि समाजिक एंटरप्रेन्योरशिप में उत्पाद और सेवाओं का निर्माण इस उद्देश्य से किया जाता है कि वह सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। इसका उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं बल्कि समाज के लिए कार्य करना होता है।
  2. व्यवसायिक एंटरप्रेन्योरशिप लाभकारी होते हैं जबकि सामाजिक एंटरप्रेन्योरशिप ज्यादातर गैर-लाभकारी ही होते हैं।
  3. एक व्यवसायिक उद्यमिता में हुए मुनाफे का इस्तेमाल व्यक्तिगत संपत्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है, जबकि सामाजिक उद्यमिता में उद्यमी अपने व्यवसाय से अधिक व्यक्तिगत संपत्ति नहीं रख सकता।
  4. एक तरफ एंटरप्रेन्योरशिप में कंपनी के विकास में शेयरधारकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है वहीं सामाजिक उद्यमिता में शेयरधारकों द्वारा किए गए निवेश का इस्तेमाल सामाजिक कार्यों में किया जाता है।
  5. एंटरप्रेन्योर जहां देश के आर्थिक विकास में अपना योगदान देते हैं। वही सोशल एंटरप्रेन्योरशिप देश के सामाजिक विकास में सहायक होते हैं।

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तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना एंटरप्रेन्योरशिप और सामाजिक एंटरप्रेन्योरशिप में अंतर | Entrepreneurship and Social Entrepreneurship difference in Hindi, उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।