Pandemic & Epidemic Difference

Pandemic and Epidemic difference in Hindi
पैनडेमिक और एपिडेमिक के बीच अंतर | Pandemic and Epidemic difference in Hindi

पैनडेमिक और एपिडेमिक के बीच अंतर | Difference between Pandemic and Epidemic in Hindi

कोरोनावायरस ने आज पूरे विश्व को बदहाल कर दिया है। चीन के वुहान शहर में पैदा हुआ यह वायरस चीन की सीमाओं को पार कर चुका है। इस घातक वायरस ने अन्य देशों में घुसकर, वहां के जनजीवन को तबाह कर दिया है। जिस वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को एक ग्लोबल पैनडेमिक (Global Pandemic) घोषित कर दिया।

पैनडेमिक से तात्पर्य विश्व भर में फैली किसी महामारी से है। पैनडेमिक शब्द के साथ एक और शब्द आजकल काफी चलन में है, जिसका नाम है एपिडेमिक (Epidemic)।चूँकि एपिडेमिक का शाब्दिक अर्थ भी महामारी ही होता है जिस वजह से लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज़्ड है कि आखिर जब दोनों शब्द का अर्थ महामारी ही होता हैं तो इन दोनों में क्या अंतर है? इस लेख में हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि पैनडेमिक क्या होता है? तथा एपिडेमिक क्या होता है? इसके साथ ही पैनडेमिक और एपिडेमिक के बीच में क्या अंतर होते हैं? तो आइए जानते हैं इनके बारे में:-

पैनडेमिक क्या होता है? (What is Pandemic in Hindi?)

पैनडेमिक शब्द ग्रीक शब्द पैन (Pan) से निकला है इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब विश्व के अनेक देशों में कोई संक्रामक बीमारी तेजी से फैलने लगती है। हम इसे इस तरह समझ सकते हैं, “वह संक्रामक बीमारी जो किसी एक देश की सीमा तक सीमित न हो और जो विभिन्न देशों, महाद्वीपों और दुनिया भर में अपनी पहुंच बना चुका हो, उसे पैनडेमिक के नाम से जाना जाता है।“ आसान शब्दों में कहे तो जिस महामारी का आउटब्रेक एक देश की सीमाओं को पार कर कई देशों में घुस चुका है, वह पैनडेमिक के नाम से जाना जाता है।

एक महामारी लोगों के बीच फैल जाती है जिससे एक से दूसरा और दूसरे से तीसरा इंसान संक्रमित हो जाता है। धीरे-धीरे यह संक्रमण बढ़ता ही चला जाता है जिसके बाद वहां की सरकारों को अलर्ट जारी कर स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देना पड़ता है। इसके साथ ही उस बीमारी से निपटने के लिए उचित कदम उठाने पड़ते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि किसी बीमारी को आखिर किस आधार पर महामारी घोषित किया जाता है? आपको बता दें, किसी भी बीमारी को महामारी घोषित करने का कोई पैमाना नहीं होता। यह इस आधार पर तय किया जाता है कि यदि किसी देश में कुछ स्थानों पर छिटपुट मामले सामने आते हैं तो वह महामारी नहीं कहलाएगी। लेकिन वही बीमारी यदि उस देश के साथ-साथ विभिन्न देशों में फैल जाए तो वह बीमारी पैनडेमिक कहलाती है।

कोरोनावायरस दिसंबर 2019 में चीन के वुहान क्षेत्र में पाया गया। हालांकि उस दौरान इसे लेकर लोगों ने कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं दी। लेकिन धीरे-धीरे यह संक्रामक बीमारी बन गया और जनवरी महीने में यह चीन के समस्त प्रांत में फैल गया। जैसे ही फरवरी महीने की शुरुआत हुई यह चीन की सीमाओं को पार कर कई देशों में फैल गया। जिसमें भारत भी शामिल था। धीरे-धीरे इस महामारी ने भारत में पैर पसार लिए। अमेरिका के साथ भारत उन देशों में शुमार हो गया जो महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित थे।

उदाहरण:

साल 1918 से 1920 के बीच में स्पेनिश फ्लू फैल गया था। यह फ्लू सिर्फ एक देश तक सीमित ना रहकर कई देशों में फैला था। इस वजह से काफी बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए थे जिसके बाद स्पेनिश फ्लू को पैनडेमिक घोषित किया गया था। यदि मौजूदा उदाहरण देखें तो कोरोनावायरस को भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित किया है।

पैनडेमिक को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:-

  1. पैनडेमिक सिर्फ एक भौगोलिक क्षेत्र के अंदर तक सीमित नहीं रहता बल्कि यह वैश्विक स्तर पर फैल जाता है।
  2. यह बड़े स्तर पर लोगों को संक्रमित करता है।
  3. पैनडेमिक अक्सर किसी नए वायरस या फिर कई वर्षों से मौजूद रहे किसी निष्क्रिय वायरस के फैलने से होता है।
  4. इसकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु होती है।
  5. इसे रोकने के लिए वृहत्तर स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत होती है।
  6. बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित होने तथा मृत्यु होने की वजह से आर्थिक रूप से नुकसान झेलना पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने किसी संक्रामक को महामारी बनने के लिए 6 चरणों का उल्लेख किया। एक संक्रामक बीमारी निम्नलिखित चरणों से होकर गुजरती है, तब जाकर वह महामारी बनती है:-

चरण 1:- जानवरों में कोई वायरस पाया जाना लेकिन इसका संक्रमण मनुष्य में न मिलना।

चरण 2:- जानवरों में ज्ञात वायरस का संक्रमण मनुष्य में फैलना।

चरण 3:- उस बीमारी का संक्रमण मानव से मानव में होने लगता है लेकिन यह संक्रमण समुदाय स्तर पर प्रकोप का कारण नहीं बनता।

चरण 4:- मानव संचरण दर इतना बढ़ जाना कि यह समुदाय स्तर से ज्यादा लोगों तक फैल जाए।

चरण 5:- मनुष्य में फैले संक्रामक रोग का प्रसार एक से अधिक देशों में देखा जाना।

चरण 6:- सामुदायिक स्तर का प्रकोप चरण 5 के मुताबिक एक देश से अन्य सभी देशों में फैल जाता है।

जब कोई संक्रामक रोग छठे चरण तक पहुंच जाता है, तब उसे वैश्विक महामारी घोषित किया जाता है।

एपिडेमिक क्या होता है? (What is Epidemic in Hindi?)

एपिडेमिक शब्द ग्रीक शब्द एपी (Epi) से लिया गया है। इस शब्द का इस्तेमाल ऐसी स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है जब बीमारी कम समय में किसी आबादी के बड़ी संख्या के लोगों के बीच तेजी से फैलती है। इस तरह हम कह सकते हैं कि जब कोई बीमारी स्थानीय, क्षेत्रीय स्तर पर या किसी देश की सीमाओं के भीतर ही फैलती है, तब उसे ‘एपिडेमिक’ कहा जाता है। एपिडेमिक किसी एक स्थान तक सीमित होती है। लेकिन जब यह अन्य देशों और महाद्वीपों में फैल जाती है और पर्याप्त संख्या में लोगों को प्रभावित कर देती है, तब इसे ‘पैंडेमिक’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि, एपिडेमिक शब्द का इस्तेमाल सिर्फ संक्रामक बीमारी के लिए ही नहीं किया जाता बल्कि इसका इस्तेमाल उन सभी स्वास्थ्य जोखिमों में वृद्धि को लेकर किया जाता है, जो कि किसी समाज के लिए हानिकारक होते हैं।

उदाहरण के लिए:

वैश्विक स्तर पर मोटापे में वृद्धि को अक्सर मोटापा महामारी (Obesity Epidemic) के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें, संयुक्त राज्य अमेरिका में पिछले तीन दशकों में लोगों में मोटापे में वृद्धि देखी गई है। दरअसल वहां अधिकतर लोगों की बीएमआई (BMI) औसत से अधिक है।

वैसे तो महामारी शब्द का ज्यादातर प्रयोग संक्रामक रोगों के लिए किया जाता है, जब किसी संक्रामक एजेंट या किसी मौजूदा एजेंट में बदलाव के परिणामस्वरूप मामलों में अचानक वृद्धि हो जाती है। इसे निम्नलिखित उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है:-

  1. कोई ऐसा बीमारी एजेंट जो लोगों की आबादी के बीच घूम रहा हो। जैसे कि जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियां।
  2. कोई संक्रामक रोग एजेंट जो अनुवांशिक परिवर्तन की वजह से फैल रहा हो। जैसे- बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, पैरासाइट आदि।
  3. लोगों की आबादी के बीच किसी नई बीमारी एजेंट का फैलना।

अब सवाल उठता है कि एपिडेमिक, पैनडैमिक से कैसे अलग है? दरअसल एपिडेमिक का शाब्दिक अर्थ महामारी होता है और पैनडैमिक भी एक महामारी ही है। लेकिन एपिडेमिक, पैनडैमिक के मुकाबले कम संक्रामक होता है।

जिस तरह पैनडैमिक एक देश की सीमाओं को पार कर अन्य कई देशों में फैल जाता है और वहां के जनजीवन को प्रभावित करता है। वही एपिडेमिक किसी एक देश की सीमाओं के अंदर या फिर ज्यादातर क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर जनसंख्या के बीच फैलता है। इसकी वजह से ज्यादा लोग प्रभावित नहीं होते।

उदाहरण:

साल 2014 से 2015 के बीच इबोला वायरस फैल गया था। इबोला, लाइबेरिया और उसके पश्चिमी अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में फैला था जिसके बाद इसे एपिडेमिक घोषित किया गया था। इसके अलावा चेचक, हैजा, पीलिया, टाइफाइड, खसरा और पोलियो यह सभी एपिडेमिक्स है।

एपिडेमिक और पैनडेमिक में अंतर (Epidemic and Pandemic difference in Hindi)

  1. पैनडेमिक उसे कहते हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल चुका है। वहीं एपिडेमिक किसी देश की सीमाओं तक सीमित होता है।
  2. एक पैनडेमिक अपने शुरुआती दौर में एपिडेमिक होता है जब यह देश की सीमाओं से अन्य देशों में फैल जाता है, तब यह पैंडेमिक कहलाता है।
  3. पैनडेमिक बड़े स्तर पर जनसंख्या को प्रभावित करता है। वहीं यह एपिडेमिक के मुकाबले कम जनसंख्या को प्रभावित करता है।
  4. किसी पैनडेमिक की वजह से हुई मौतों का आंकड़ा एपिडेमिक के मुकाबले ज्यादा होता है।
  5. पैनडेमिक का उदाहरण है कोरोना वायरस जबकि एपिडेमिक का उदाहरण है पोलियो।

Loudspeakerविकलांगता और क्षति(क्षीणता) में अंतर

Loudspeakerथर्मोप्लास्टिक और थर्मोसेटिंग पॉलीमर के बीच अंतर

तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना पैनडेमिक और एपिडेमिक के बीच अंतर (Pandemic and Epidemic difference in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

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Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।