Patent & Trademark difference in Hindi

Trademark & Patent difference in Hindi
ट्रेडमार्क और पेटेंट में अंतर | Trademark & Patent difference in Hindi

पेटेंट और ट्रेडमार्क में अंतर

कई लोग अपना व्यवसाय या कोई अविष्कार करने के इच्छुक होते हैं। किसी भी व्यवसाय को चलाने में तथा आविष्कार को करने में व्यक्ति अपने जीवनकाल में लंबे समय तक मेहनत करता है। ऐसे में अपनी बौद्धिक संपदा को संरक्षित करने के लिए उन्हें बौद्धिक संपदा अधिकार का इस्तेमाल करना जरूरी हैं। लेकिन इस अधिकार के तहत 3 शब्द आते हैं- पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क

कई लोग इन तीनों शब्दों में कंफ्यूज हो जाते हैं इसलिए आपकी मदद करने के लिए हम आपको इस आर्टिकल में पेटेंट और ट्रेडमार्क के बारे में बताएंगे। तो आइए जानते हैं पेटेंट और ट्रेडमार्क क्या होता है तथा पेटेंट और ट्रेडमार्क के बीच क्या अंतर विद्यमान है?

पेटेंट क्या होता है? (What is Patent in Hindi?)

पेटेंट एक तरह का अधिकार है जो कि आविष्कारक को उसके द्वारा अविष्कार किए गए वस्तु के उपयोग, निर्माण और बिक्री के लिए दिया जाता है। कई बार लोगों के मन में कोई ऐसा विचार आता है जिसके बारे में आज तक किसी ने कभी नहीं सोचा होता।

अपने विचार के बल पर वह बड़ा आविष्कार कर देते हैं। लेकिन यह विचार तब तक विचार बना रहता है जब तक उससे बौद्धिक संपदा कानून के तहत पंजीकृत न किया जाए क्योंकि यह जरूरी नहीं है वह विचार किसी दूसरे व्यक्ति के मस्तिष्क में आएगा ही नहीं। यदि वही व्यक्ति आपसे पहले खुद को बौद्धिक संपदा के तहत रजिस्टर करवा ले तो वह उसका अपना अविष्कार बन जाता है। भले ही आपने उस आविष्कार को उस व्यक्ति से पहले किया हो। इसीलिए अपने आविष्कार को सुरक्षित करने के लिए पेटेंट लेना जरूरी होता है।

ऐसे में हम कह सकते हैं कि पेटेंट उस व्यवस्था का नाम है जो नई खोज से बनने वाले किसी उत्पाद पर खोजकर्ता को सरकार की तरफ से दिया जाने वाला एकाधिकार है। खोजकर्ता को जब एक बार पेटेंट मिल जाता है तब एक निश्चित समय तक कोई अन्य व्यक्ति उसी उत्पाद को न बना सकता है और ना ही उसे बेच सकता है। हालांकि यदि कोई अन्य व्यक्ति उस उत्पाद को बनाने का इच्छुक है तो उसे लाइसेंस लेना होगा तथा रॉयल्टी का भुगतान करना होगा।

विश्व व्यापार संगठन के मुताबिक पेटेंट 20 साल तक रखी जा सकती है। वही पेटेंट हासिल करने वाले व्यक्ति के पास एक विशेषाधिकार होता है कि वह अपने विचार या आविष्कार को बेच या ट्रांसफर कर सकता है।

पेटेंट न सिर्फ किसी उत्पाद के अविष्कार का होता है बल्कि उस उत्पाद को बनाने के प्रोसेस का भी होता है। किसी उत्पाद को नई तकनीक से बनाने की विधि भी पेटेंट के तहत रजिस्टर की जाती है। लेकिन पेटेंट के प्रोसेस को सिर्फ देश की सीमाओं के अंदर ही लागू किया जा सकता है। पेटेंट तीन प्रकार के होते हैं जिनका नाम है यूटिलिटी पेटेंट, डिजाइन पेटेंट और प्लांट पेटेंट।

ट्रेडमार्क क्या है? (What is Trademark in Hindi?)

ट्रेडमार्क को ब्रांड का नाम भी कहा जाता है। यह कोई Logo, Text, ध्वनि या छवि भी हो सकती है जोकि किसी कंपनी के उत्पाद और सेवाओं से संबंधित होती है। ट्रेडमार्क किसी भी कंपनी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वह उस कंपनी के उत्पाद की पहचान होता है। ट्रेडमार्क के फलस्वरूप ही ग्राहक कंपनी को याद रख पाते हैं।

लेकिन जब कोई अन्य व्यक्ति उसी ब्रांड नाम से अपना काम शुरू कर देता है तो यह लोगों के लिए भ्रामक होता है। यही वजह है कि इस स्थिति से बचने के लिए ट्रेड मार्क को पंजीकृत कराना जरूरी होता है जिससे अन्य लोग उसी तरह का भ्रामक लोगो न अपना पाए। ट्रेडमार्क का उदाहरण है गूगल, मैकडॉनल्ड व केएफसी आदि। इसके अलावा खाद्य उत्पादों में शाकाहारी और मांसाहारी के बीच भिन्नता को दिखाने के लिए कानूनी संस्था लाल और हरे रंग के ट्रेडमार्क भी इस्तेमाल करती है।

किसी भी चिन्ह, चित्र, नाम, वाक्य, लोगो और डिजाइन को ट्रेडमार्क बनाया जा सकता है। ट्रेडमार्क हमेशा के लिए रजिस्टर करवाया जा सकता है। इसके अलावा ट्रेडमार्क की वैधता तब तक होती है जब तक की उक्त व्यवसाय चलता रहता है। यदि किसी रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क का उपयोग कोई अन्य व्यक्ति करता है तो उस ट्रेडमार्क का मालिक उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है। ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ऑनलाइन भी की जा सकती है। इसे हर 10 साल में रिन्यू करना जरूरी होता है। जिसके बाद के अगले 10 साल तक यह आपके नाम पर रजिस्टर हो जाता है।

पेटेंट और ट्रेडमार्क के बीच मुख्य अंतर (Difference between Patent and Trademark in Hindi)

पेटेंट और ट्रेडमार्क को अच्छे से समझने के लिए इन दोनों के बीच विद्यमान अंतर से रूबरू होना जरूरी है तो चलिए जानते हैं इन दोनों के बीच क्या-क्या अंतर है:-

  • बाजार में लोगों द्वारा उत्पादित उत्पादों तथा विशिष्ट वस्तुओं की पहचान सुनिश्चित करने के लिए ट्रेडमार्क का इस्तेमाल प्रतीक के रूप में किया जाता है। जबकि पेटेंट में किसी नए और उपयोगी आविष्कार को किसी निश्चित अवधि के लिए आविष्कारक के एकाधिकार को सुनिश्चित किया जाता है। पेटेंट सरकार द्वारा दिया जाता है।
  • पेटेंट जहां किसी भी क्षेत्र के अविष्कारों को दिया जाता है। वही ट्रेडमार्क किसी व्यवसाय से जुड़े प्रत्येक शब्द, वाक्यांश, लोगों, चित्र और डिजाइन आदि को दिया जाता है।
  • ट्रेडमार्क के जरिए बाजार में एक उत्पाद को दूसरे उत्पाद से अलग किया जा सकता है। इसी विशिष्टता को बनाए रखने के लिए इसका उपयोग होता है। वही दूसरी ओर पेटेंट किसी आविष्कार को सुरक्षित करने के लिए दिया जाता है।
  • किसी व्यक्ति या कंपनी का ट्रेडमार्क पंजीकृत हो जाने के बाद कोई अन्य व्यक्ति उस ब्रांड के ट्रेडमार्क का इस्तेमाल नहीं कर सकता। वहीं किसी चीज़ का पेटेंट हो जाने पर कोई अन्य व्यक्ति उस उत्पाद का उत्पादन या बिक्री नहीं कर सकता।
  • पेटेंट का पंजीकरण करवाना अनिवार्य होता है जबकि ट्रेडमार्क का पंजीकरण करवाना या न करवाना पूर्णत: व्यवसायी पर निर्भर करता है।
  • पेटेंट 20 वर्ष की अवधि के लिए दिया जाता है, वहीं ट्रेडमार्क असीमित है। लेकिन इसे कंपनी द्वारा हर 10 साल में नवीनीकृत करना पड़ता है।
  • ट्रेडमार्क की तुलना में पेटेंट के लिए आवेदन करने में ज्यादा शुल्क लगता है।
  • पेटेंट जहां आविष्कार को बनाने, बेचने, आयात करने से दूसरों को रोकता है। वहीं खुद के रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क चिन्ह का दूसरो द्वारा इस्तेमाल न किया जाये, इसको रोकने के उद्देश्य से इसका रजिस्ट्रेशन कराया जाता है।
  • पेटेंट सिर्फ उन्हीं चीजों का किया जा सकता है जो अनोखे और नए हो। कुछ चीजों जैसे कि प्रकृति के नियम, नेचुरल चीजें और भाववाचक आईडिया का पेटेंट नहीं करवाया जा सकता। जबकि एक ही तरह के ब्रांड का ट्रेडमार्क किया जा सकता है।

निष्कर्ष

अतः हम कह सकते हैं कि ट्रेडमार्क और पेटेंट के इस्तेमाल से व्यक्ति के आविष्कार तथा उसके ब्रांड के पहचान को सुरक्षित किया जा सकता है। यह दोनों ही अधिकार काफी जरूरी होते हैं क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति किसी नए विचार या आविष्कार को बनाने में अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देता है। जब उसी विचार को कोई अन्य व्यक्ति चुरा कर अपने नाम से प्रदर्शित करता है तो व्यक्ति की पूरे जीवन भर की मेहनत बेकार हो जाती है।

इसीलिए किसी भी आविष्कार का पेटेंट कराना जरूरी है। पेटेंट के साथ ही ट्रेडमार्क का पंजीकरण भी जरूरी होता है। यदि आप किसी ब्रांड के तहत कोई उत्पाद बना रहे हैं और उसी तरह का उत्पाद कोई अन्य कंपनी सस्ते दरों पर उपलब्ध करवाता है और आपके ब्रांड नाम का इस्तेमाल करता है तो इससे आपके ब्रांड को तो हानि पहुंचेगी ही साथ ही आपके बिक्री में भी कमी आ जाएगी। इसीलिए किसी उत्पाद की पहचान को सुनिश्चित करने के लिए ट्रेडमार्क काफी जरूरी होता है।

Loudspeakerविकलांगता और क्षति(क्षीणता) में अंतर

Loudspeakerबिल और इनवॉइस के बीच अंतर

तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना ट्रेडमार्क और पेटेंट में अंतर | Difference Between Trademark and Patent in Hindi, उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।

आपको हमारा लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं, अपने सुझाव या प्रश्न भी कमेंट सेक्शन में जा कर पूछ सकते हैं। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए HelpHindiMe को Subscribe करना न भूले।

Author:

Bharti

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।