आपदा प्रबंधन

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आपदा प्रबंधन पर निबंध | Essay on Disaster Management

Disaster Management definition/meaning in HINDI = आपदा प्रबंधन प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के दौरान जीवन और संपत्ति के संरक्षण की प्रक्रिया कहलाती है।

मानव और प्राकृतिक विक्षोभों की वजह से जब हमारी प्रकृति पर बुरा प्रभाव पड़ने के कारण प्राकृतिक घटनाएं घटती हैं।

आज विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ने के लिए औद्योगिकरण, शहरीकरण और बढ़ती हुई जनसंख्या के वजह से हमारे प्रकृति पर अत्यधिक विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। आज अपने निजी स्वार्थ को पूरा करने के लिए मनुष्य तेज़ी से जंगलों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों को क्षय कर रहा है। इस कारण प्रकृति का प्रकोप देखने को मिलता है और जिसका नतीजा प्राकृतिक आपदा होती है।

प्राकृतिक आपदा क्या है What is natural disaster?

प्राकृतिक आपदा एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जिससे मानव जीवन और संपत्ति को हानि पहुंचे।

जंगलों में आग लगना, ज्वालामुखी फटना, सुनामी आना, सूखा पड़ना, तेज़ तूफान, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, बिजली गिरना व भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं में आते है।

इस प्रकार की घटना बहुत ही भारी मात्रा में जन-धन को नुकसान पहुँचाती है जिनका बुरा असर कई वर्षों तक झेलना पड़ता है।

प्रतिवर्ष 13 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस (International Day for Disaster Reduction) मनाया जाता है जिसमें आपदाओं के प्रभाव को नियंत्रित और न्यूनतम करने के लिए उपाय सुझाए जाते हैं।

प्राकृतिक आपदा हमारी लापरवाही के कारण होते है क्योंकि हम अपने सुख सुविधाओं और अपनी निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं।

शहरीकरण के लिए हम जंगलों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं, कीटनाशक और रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इसके साथ ही घर में बिजली से चलने वाले उपकरण जैसे एसी फ्रिज या फिर गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ आदि हमारे जलवायु में परिवर्तन पैदा करती है जिससे हमारे पर्यावरण में असंतुलन हो रहा है।

प्राकृतिक आपदाएं मनुष्य के नियंत्रण से बाहर होती हैं। भारत में कुछ ऐसे आपदाएं घटी है जिससे भारी मात्रा में जान और माल का नुकसान हुआ था जिनमें-

1770 का महान बंगाल अकाल
1994 में भोपाल गैस त्रासदी
1999 में उड़ीसा का सुपर साइक्लोन
2004 का हिंद महासागर सुनामी
2007 में बिहार बाढ़ आपदा
2013 का उत्तराखंड फ्लैश फ्लड्स
2014 की कश्मीर बाढ़ आपदा है।

आपदा प्रबंधन के उपाय prevention for disaster.

आपदाएं दो प्रकार की होती है एक मानव गतिविधियों के कारण और एक प्राकृतिक गतिविधियों के कारण आपदाओं को नियंत्रित व उनका प्रबंधन करने के लिए कुछ निवारण है-

बाढ़- बाढ़ को रोकने का सबसे बेहतरीन उपाय हैं वृक्षारोपण। अधिक मात्रा में वृक्ष लगाना, जंगलों को कटने से रोकना बाढ़ की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित कर सकता है। इसके साथ ही बांध का उचित प्रबंधन होना चाहिए। बाढ़ वाले इलाकों से दूर बसना चाहिए। यदि बाढ़ आने की शंका पहले से हो तो उस इलाके के लोगों को सावधान कर देना चाहिए जिससे जान माल का नुकसान कम से कम हो।

भूकंप- भूकंप पृथ्वी की बाहरी सतह पर अचानक कुछ हलचल होने पर जो ऊर्जा पैदा होती है उस कारण आता है।

भूकंप की स्थिति उत्पन्न होने पर हमें तुरंत घरों से निकलकर खुले स्थान पर चले जाना चाहिए।

यदि आप ऐसी इमारत में है जहां आप बाहर नहीं निकल सकते तो अपने सर अपने हाथों से ढक लिया किसी मजबूत टेबल के नीचे बैठ जाएं।

भूकंप से बचने के लिए इमारतों और घरों को भूकंप रोधी बनाया जाना चाहिए।

चक्रवात- चक्रवात से अर्थ है बहुत ही तेज़ और हिंसक तूफान। चक्रवात से बचने के लिए मजबूत इमारतें बनानी चाहिए। समुद्री तट और किनारों पर वृक्षारोपण करना चाहिए।

आग लगना- हाल ही मे अमेजन के जंगलों में लगी आग (Amazon Rainforest Fire) आपदा को कौन भूल सकता है। आग से बचने के लिए हर सामाजिक स्थान और घरों में अग्निशमन यंत्र होना चाहिए।

आग लगने पर तुरंत फायर ब्रिगेड को संपर्क करना चाहिए। बिजली, गैस आदि से चलने वाले उपकरण को बंद रखना चाहिए।

सूखा पड़ना- सूखा वर्षा की अत्यधिक कमी के कारण होता है इसका सबसे अधिक प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ता है। सूखा की समस्या से बचने के लिए नदियों, तालाबों में पानी के भंडारण का प्रबंध होना चाहिए इसके साथ ही हमें जितनी आवश्यक हो उतना ही पानी इस्तेमाल करना चाहिए। Rain water harvesting यानी वर्षा जल को एकत्रित करना सूखे की समस्याओं के लिए एक बेहतरीन उपाय है।

इन आपदाओं के साथ-साथ और भी बहुत सी आपदाएं जैसी हवाई या रेल दुर्घटनाएं या औद्योगिक आपदाएं वह महामारी आदि हैं। इन सभी आपदाओं से बचने के लिए सरकार और हमें मिलकर सावधानी बरतनी चाहिए जिससे इन आपदाओं से कम से कम नुकसान हो।

भारत में आपदा प्रबंधन नीति Disaster management in India.

भारत, विश्व के अन्य देशों में से हैं जहां बहुत सी प्राकृतिक आपदाएं घटती है। इन आपदाओं को नियंत्रित करने के लिए भारत में भारत सरकार ने बहुत सारे कदम उठाए हैं। 23 दिसंबर 2005 को आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया गया था। इसके साथ-साथ आपदा प्रबंधन के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट की स्थापना की गई थी।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(NRSC), केंद्रीय जल आयोग (CWC) जैसे बहुत से संगठन हमारे देश में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए कार्यत है।

प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित स्थानों को भारत सरकार, आर्थिक और मानविक सहायता प्रदान करती है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और केंद्रीय अर्धसैनिक बल उस जगह पर तैनात किए जाते हैं।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्य-

आपदाओं से निपटने के लिए, उन को नियंत्रित करने के लिए योजना तैयार करना, आपदा प्रबंधन पर नीतियां बनाना। आपदाओं के प्रभावों को कम करने के लिए दिशा निर्देशों का पालन करना।

आपदा के कारण हुए नुकसान को कम करने के लिए सरकार से धन की मांग करना।

इसके साथ ही अपने पड़ोसी देशों में हुए आपदाओं में उनकी सहायता करना।

आपदाओं को आने से रोका नहीं जा सकता लेकिन हम पहले से उसके लिए सावधान रह सकते हैं। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज जो है वह है प्रकृति की ओर सजग रहना और प्राकृतिक संसाधनों को क्षय और उनका दोहन करने से बचना।

निष्कर्ष Conclusion.

आपदा बहुत बड़े स्तर पर हमारे जीवन को प्रभावित करती है। यह बहुत आवश्यक है कि हम पहले से सावधान और सतर्क रहें और प्राकृतिक आपदाएं घटने के बाद हम मिलकर एक दूसरे की सहायता करें और उससे हुए नुकसान को कम कर सके।

Author:

आयशा जाफ़री, प्रयागराज