HINDI KAVITA: ईश्वर

ईश्वर

हे प्रभु दे दो मुझको ऐसा कोई स्वर,
हर पल हर छण मुख से तेरा नाम निकले ईश्वर,
रहूँ समर्पित भक्ति भाव में ईश्वर रूपी ममता की छाँव में,
जग की उफनती नदिया सागर हाँथ पकड़ तेरा कर पाउँ पार मैं,
तेरे चरणों की सेवा करके मोक्ष धाम को जाउंगी,
तेरे नाम की पिरोई माला से तेरा गुणगान ही गाउंगी,
बनालो मुझको दासी अपनी होने से पहले शरीर जर्जर,
हे प्रभु मुझको देदो ऐसा कोई स्वर,
हर पल हर छण मुख से बस नाम निकले ईश्वर।

सुना है सबके दुःख हो हरते जनमानस का कल्याण हो करते,
होकर तेरे शरणागत न जाने कितने पाप उबरते,
एक तुम्हारे ईश नाम में सारा ब्रम्हांड समाया है,
करने जगत कल्याण को सबके इक ईश्वर ऱूप बनाया है,

करने मनोकामना पूरी तेरे दर पर शीश झुकाया है,
कर देते हो कृपा कुछ ऐसी के कोई ऋण भी चुका नहीं पाया है,
धन्य हो गया जीवन उसका कृपा दृस्टि तेरी पाकर,
हे प्रभु मुझको देदो ऐसा कोई स्वर,
हर पल हर छण मुख से नाम निकले ईश्वर।

सुनते हो फरियाद सभी की चाहे विनती हो वो कोई किसी की,
बात बताऊं मैं भी मन की बनना चाहूं दासी तोरे चरणन की,
भरकर नैन अश्रुजल नीर मैं तोरे चरण धुलाऊँगी,
हो जायेगा धन्य मोरा जीवन जो तेरी सेवा कर पाऊँगी,
तुमको श्याम बनाकर अपना मैं ख़ुद राधा बन जाउंगी,
वारी जाऊं तोरे चरणन में जीवन ये समर्पित कर पाऊँगी,
छोड़ दूंगी संसार ये सारा नहीं दबाव किसी का मुझपर,

रखोगे प्रभु बनाकर दासी करदो ऐसी कृपा मुझपर,
नैनन बीच बसाऊं सुरतिया वारी जाऊं मैं तुझपर,
प्रभु देदो मुझको ऐसा कोई स्वर,
हर पल हर छण मुख से बस नाम निकले ईश्वर।

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सोनल उमाकांत बादल , कुछ इस तरह अभिसंचित करो अपने व्यक्तित्व की अदा, सुनकर तुम्हारी कविताएं कोई भी हो जाये तुमपर फ़िदा 🙏🏻💐😊