अनाथ
नहीं थी जरूरत मेरी तो,
सड़क किनारे रख दिया।
जिसको कमी थी मेरी,
गोद मे उठाकर छत बन गया।।
फिक्र थी जिसको मेरी,
लावारिस से वारिस बना दिया ।
एहसान किया उसने,
गैरों से अपना बना दिया ।।
अपना नहीं हू,
पर अपना बनाने की कोशिश करेंगे ।
मुझ जैसे लावारिस को
नया जीवन दान करेंगे ।।
कदर नहीं जिसने मेरी,
वो भी एक पश्चताएगे।
आने वाले कल मे,
एक लावारिस को अपनायेगे।।
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All HINDI KAVITA
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