गुरु
गुरु मानू तो मां तु ही है,
चलना, बोलना सीखलाई तू ही है,
विद्या बाटने से बढ़ता है ये है हमने जाना,
ना कोई चुरा सकता है ये है हमने माना।
जिसने मेरे जीवन को चमकाया है,
जिसने पढ़ना – लिखना सिखाया है,
कुम्हार के तरह आवा में मुझे पकाया है,
अन्धकार से प्रकाश का दुनिया मुझे दिखाया है।
भले – बुरे का आभास कराया है गुरु ने,
सम्पूर्ण संसार में अस्तित्व दिलाया है गुरु ने,
सफलता पर सराहा है मुझको गुरु ने,
मगर गलती पर डाटं भी सुनाया है मुझको गुरु ने।
जग में सबसे ऊँचा स्थान गुरु आपका है,
मेरे मष्तिष्क के कोने – कोने में ज्ञान आपका है,
निराशा में आशा का झलक दिखाना आपका है,
मार्गदर्शन और उपकार करना आपका है।
गुरु साक्षात परमब्रह्म हैं
ऐसे गुरु को मेरा दंडवत प्रणाम !
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About Author:
मेरा नाम निर्भय सोनी है और मैं उत्तर प्रदेश के रहने वाला हूँ। मुझे लिखने में अच्छी रूचि है। मुझे विश्वास है कि आप लोगों को मेरा ये लेख जरुर पसन्द आएगा। आप लोग अपना आशिर्वाद और प्यार इसी तरह बनाए रखिये। 🙏🏻😊