HINDI KAVITA: हिन्दी का परचम

हिन्दी का परचम

हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा ही नहीं
हमारा गौरव हमारी शान
हमारा मान सम्मान
हमारी राष्ट्रीय धरोहर है।
इसका पोषण हमारा कर्तव्य भी है,
बाइस भारतीय भाषाओं की
सूत्रधार है हिन्दी,
विश्व में बोली जाने वाली
तीसरी बड़ी भाषा है हिन्दी।


हम सबको इसका मान बढ़ाना है
आरक्षण की तरह अब हिन्दी को
दाँवपेंच में नहीं उलझाना है,
हिन्दी को उसका
उचित स्थान दिलाना है।
औपचारिकताओं से
सबको बाहर निकलना होगा,
हिन्दी को अब और उपेक्षित होने से
मिलकर बचाना होगा।


राष्ट्र की तरह राष्ट्रभाषा के लिए भी
जज्बा दिखाना होगा।
हिन्दी का मस्तक
ऊँचा उठाना होगा,
भारत के जन जन की भाषा
इसे बनाना होगा,
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है तो
तो राष्ट्रभाषा का
सम्मान भी दिलाना होगा,
हिन्दी का परचम पूरी दुनियाँ में
चहुँओर लहराना होगा।

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About Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002