HINDI KAVITA: किसान ने कहा मजदूर से

किसान ने कहा मजदूर से

दुःख भरी कथा आज
मुझे कहने दे,
मजदूर दांया हाथ है मेरा
आज मुझे कहने दे,,

विदेशों से फायदा किस का
हुआ आज मुझे कहने दे,
नींव देश कि किस ने भरी
आज मुझे कहने दे,,

चुप लगा है तेरे मन में
आज मुझे कहने दे,
माँ धरती का आँचल किसे
भाता है आज मुझे कहने दे,,

मेरे खिले मौसम बसंत का
तु पतझड बन कर आने दे,
देश किस से पलता है
आज मुझे जताने दे,,

सहन नहीं होती अब हालात
मुझे तेरी आज मुझे जताने दे,
कोन हराम कि कोन मेहनत की
खाता है आज मुझे कहने दे,,

सुना आँगन सूनी देहरी
सूना मन भी रहने दे,
मजदूर मेरा दांया हाथ है
मेरे गाँव उसे आने दे,,
आज फिर देश में संकट है
साथ मिल कर कुछ तरकी करने दै,,

आज फिर देश में संकट है
साथ मिल कर कुछ तरकी करने दै

Read Also:
हिंदी कविता: गुरु महिमा
हिंदी कविता: सच है
हिंदी कविता: माँ
हिंदी कविता: महफ़िल महफ़िल सहरा सहरा

अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.

1 Star2 Stars3 Stars4 Stars5 Stars (1 votes, average: 5.00 out of 5)
Loading...

About Author:

चन्द्र प्रकाश रेगर (चन्दु भाई), नैनपुरिया
पो., नमाना नाथद्वारा, राजसमदं