क्या लिखूँ?
अब ऐसे माहौल में माहौल में
क्या लिखें डर लगता है,
अपने आप से से
इस समाज से
समाज के लोगों से
हर तरफ अनीति, अत्याचार का
जाल बढ़ रहा है ,
आज इंसान डर डर कर
जी रहा है,मर रहा है ।
ऐसे में सच कौन लिखेगा?
जब इंसान इंसान नहीं रहा
भेड़िया बनने की कोशिश कर रहा है
तब जहमत कौन उठाएगा ?
अपनी जान की बाजी दाँव पर
कौन लगाएगा?
आज माहौल ऐसा बन रहा है
आदमी अपने आप से डर रहा है ,
फिर आप बताएं !
क्या लिखूं,कैसे लिखूँ,
किसके लिए लिखूँ?
और लिखूँ भी तो क्या क्या?
अच्छा है न लिखूँ।
Read Also:
हिंदी कविता: गुरु महिमा
हिंदी कविता: सच है
हिंदी कविता: माँ
हिंदी कविता: महफ़िल महफ़िल सहरा सहरा
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002