माँ की ममता
निकालकर अपने जिस्म से डालती है जो तुम्हारे अंदर एक जाँ,
हाँ बस वही तो है जन्मदायिनी ममतामयी इक माँ
नारी में रूप सुन्दर माता का,
जग में जो सबसे सुन्दर नाता सा,
कहीं पे छावं कहीं घूप है ये,
नारी का सबसे कठिन रूप है ये,
कली जब खिलके सुमन बनती है,
बेटी बेटों की वो माँ बनती है,
असहनीय पीड़ा से तड़प कर के,
बन के माँ लाल फिर एक जनती है,
गर्भ में नौ महीने रखती है,
न जाने कितने दुःख वो सहती है,
रात दिन पीड़ा में गुजारती है,
मगर वो मुँह से कुछ न कहती है,
खुद तो सोती है जमीं के ऊपर,
सुलाती लाल को अपने भीतर,
ममता की छाँव में संभालती है,
जतन कर कितने लाल पालती है,
दिखाया जिसने है संसार तुमको,
तुम उस माँ को आँख दिखाते हो,
लुटाया तुम पर जिसने प्यार अपना,
तुम उस माँ को क्यूँ सताते हो,
बड़े होकर के तुम इतराते हो,
अनमोल रिश्ता यूँ भूल जाते हो,
कभी सोंचा है माँ की ममता का,
जन्म देने की पीड़ा और क्षमता का,
कष्ट सहकर पला जिसने तुमको,
तुम उस इक माँ को पाल न पाते हो,
खुद भूंखी रहकर तुम्हे खिलाया है,
अपनी छाती का दूध पिलाया है,
थे जब इक नन्हीं सी कली तुम,
तो सींचकर ममता से फूल खिलाया है,
पकड़कर ऊँगली चलना सिखाया है,
अपनी पलकों में तुम्हे बिठाया है,
जरा सी चोट भी लग जाने पर,
अश्रु धारा से तुम्हे नहलाया है,
इसकी ममता की छाँव में तो,
सारा संसार ही समाया है,
हो चाहे अमीर या गरीब कोई,
ममता का ऋण चुका नहीं पाया है,
साक्षात्कार माँ के रूप में हमने,
जीवन में अपनी माँ को पाया है,
गर जो सेवा इनकी कर पाओगे,
साक्षात् ईश्वर तुम पा जाओगे,
छवि कितनी सुन्दर और प्यारी है,
ममता की मूरत वो बलिहारी है,
माँ शब्द के अंदर ही क्या जानो तुम,
सारी ही दुनिया ये समायी है,
बड़ा धनवान है इंसान वो ही,
माँ की सेवा जिसने कर पायी है,
पड़े जिस जगह माँ की ममता की छाया,
पूरी कायनात सी जन्नत है वहां,
निकालकर अपने जिस्म से डालती है जो तुम्हारे अंदर एक जाँ,
हाँ बस वही तो है जन्मदायिनी ममतामयी इक माँ।
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
About Author:
सोनल उमाकांत बादल , कुछ इस तरह अभिसंचित करो अपने व्यक्तित्व की अदा, सुनकर तुम्हारी कविताएं कोई भी हो जाये तुमपर फ़िदा 🙏🏻💐😊