माँ सरस्वती का अभिनंदन
मन के भावों को
शब्दों में पिरोते
अभिव्यक्ति को आयाम देते
शब्दों की माला ही तो कविता है।
कविता का कोई रूप रंग
जात पात आकार नहीं है,
कविता शब्दों का संसार लिए मगर
कोई व्यापार नहीं है।
कविता भाव है,संवेदना है
कविता आह है, पीड़ा है,वीणा है
कविता कलमकार की
कलम से निकले स्वरों में
माँ सरस्वती की वीणा से
निकला झंकार है।
कविता स्वरों से
निकलती रसधार है,
कविता निश्छल, निर्मल
पवित्र बयार है।
कविता माँ सरस्वती की
कृपा से निकला स्पंदन है,
कविता नंदन है,वंदन है
माँ सरस्वती का अभिनंदन है।
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About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002