समय
समय कब किसके लिए ठहरता है?
वो तो बस,अविराम
चलता ही रहता है,
कहते हैं हर समय सम नहीं होता
कभी खुशियों का तो कभी
गमों का मेला होता।
फिर भी समय गतिमान रहता,
नहीं किसी का इंतज़ार करता,
समय के साथ जो चलता है,
समय भी उसका ख्याल करता है।
समय की भी अपनी मर्यादा है
न ही कम ,न ही ज्यादा है,
समय अनमोल है,
इसके भी बड़े खेल हैं।
समय के साथ चलो,
न इससे खिलवाड़ करो,
वरना बहुत पछताओगे,
समय की गति भी नहीं भांप पाओगे,
फिर हाथ मलते रह जाओगे,
फिर समय को कोषने के सिवा
क्या कुछ कर पाओगे?
समय को पकड़ कहाँ पाओगे?
Read Also:
हिंदी कविता: महफ़िल महफ़िल सहरा सहरा
हिन्दी कविता: क्या लिखूं ?
हिन्दी कविता: प्रीत की रीत
हिन्दी कविता: प्रार्थना
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002