प्रभु का मन
कितना खुश है जन का मन
प्रभु श्रीराम के आने से
प्रभु श्रीराम भी खुश हैं
अवध के धाम आने से।
प्रफुल्लित है प्रभु का मन
भक्तों के मुस्कराने से।
जनमन भी हुआ हर्षित
प्रभु दरबार पाने से।
बढ़ गई जिम्मेदारी सबकी,
राम मंदिर बनाने से।
डरे हर आततायी भी
फिर मंदिर को गिराने से।
हमें सौगंध प्रभू की है
प्रभू दर्शन के पाने से।
कोई मौका न फिर आये
कि दर्शन फिर न पाने से।
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About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002