HINDI KAVITA: विश्वास

Last updated on: September 19th, 2020

विश्वास

विश्वास कोई वस्तु नहीं
एक भाव है,अहसास है
विश्वास परम्परा है।


विश्वास सम्मान का आधार भी है।
विश्वास जबरन नहीं होता


बस ! हो जाता है।


विश्वास जब होता है
तब उसमें
अंतर्मन का भाव समाहित होता है,
लेकिन जब विश्वास टूटता है
तब कुछ भी नहीं सूझता
लाख कोशिशों के बाद भी
विश्वास कर पाना/होना
कठिन हो जाता है।


क्योंकि विश्वास टूटकर
सब कुछ बिखर जाता है,
विश्वास होने पर
इंसान सामने वाले पर
समर्पित सा हो जाता है।

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About Author:

सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002