प्रार्थना
हे प्रभु! नमन मेरा स्वीकार करें
इस अज्ञानी का भी उद्धार करें ।
तेरी पूजा आराधना का
कुछ ज्ञान नहीं मुझे,
बस शीश झुकाना आता है
बस इतने से ही स्वीकार करो।
न मैं जानू पूजा आरती
न कर पाऊं वंदन,
बस आता है प्रभु मुझको
चरणों में तेरे सिर झुका कर
करता हूं अभिनंदन ।
स्वीकार करो हे प्रभु मेरा
शत शत शत वंदन ,
शीश झुका चरणों में तेरे
शत-शत करता रहूं अभिनंदन।
बस इतना ही आता मुझको
शेष नहीं है ज्ञान,
बस इतनी सी कृपा करो प्रभु
नित करता रहूँ नमन वंदन।
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About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002