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History of Taj Mahal in Hindi | ताजमहल का इतिहास
जो लोग पर्यटन के दीवाने हैं, उनमें से अधिकतम लोगों की ये चाहत है कि वह अपनी जिंदगी में एक बार जरूर ताजमहल जाए। ताजमहल भारतवर्ष के सबसे आकर्षक प्राचीनतम इमारतों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित है। हर साल लाखों पर्यटक इसे देखने के लिए आते हैं। विदेशों से भी आगंतुक भारत आने के पश्चात एक बार ताजमहल जरूर देखने जाते हैं।
ताजमहल का इतिहास
ताजमहल संसार के सात अजूबों में से एक है। इसका निर्माण बादशाह शाहजहां ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज के लिए किया था। हालांकि पहले ताजमहल का निर्माण आगरा में नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में किया जाना था। ऐसा इसलिए क्योंकि यही वह जगह थी, जहां मुमताज के प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई थी। परंतु बुरहानपुर में संगमरमर की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो सकी और उत्तर प्रदेश के आगरा में ताजमहल बनाने का फैसला लिया गया।
ताजमहल को निर्मित करने के लिए अलग-अलग देशों के सर्वश्रेष्ठ कारीगरों को बुलाया गया था। बगदाद से जिस कारीगर को बुलाया गया था, वह पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को तराशने का हुनर रखता था। वहीं बगदाद के बुखारा शहर से बुलवाए गए कारीगर संगमरमर के पत्थर पर फूलों को तराशने में निपुड़ थे। इसी प्रकार विशाल आकारों वाले गुबंदों का निर्माण हेतु तुर्की के इस्तांबुल में रहने वाले प्रवीण एवं दक्ष कारीगरों को नियुक्त किया गया था।
इसी प्रकार लगभग 6 माह तक कुशल कारीगरों को इकट्ठा करने का दौर जारी रहा तत्पश्चात 37 कारीगरों को ताजमहल के निर्माण में लगाया गया। इन कारीगरों के साथ 20,000 मजदूर भी ताजमहल के निर्माण कार्य में लगे हुए थे।
ताजमहल के निर्माण में 22 साल का समय लगा। 1630 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। ताजमहल 42 एकड़ की जमीन तक फैला हुआ है। इसके मीनारों की ऊंचाई 130 फीट तथा इसके गुबंदों की ऊंचाई 240 फीट है। ताजमहल के मकबरे के चारों तरफ अल्लाह के 99 नामों को लिखा गया है।
इतने कारीगरों की मेहनत और मुगल बादशाहा की शिद्दत की वजह से ताजमहल की खूबसूरती आज पूरी दुनिया में जानी पहचानी जाती है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में लोकप्रिय है। इसे प्यार की निशानी कहा जाता है। यही वजह है कि दुनिया भर से कई प्रेमी जोड़े इसकी खूबसूरती को देखने आते हैं।
ताजमहल को 1983 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना था। इसके साथ ही यह एक ऐसा विश्व धरोहर स्थल है जो कि अति उत्तम मानव कृतियों में से एक मानी जाती है।
जैसे ही ताजमहल का निर्माण कार्य पूरा हुआ। उसके बाद ही शाहजहां को उनके बेटे औरंगजेब द्वारा आगरा के किले में नजरबंद कर दिया गया। जब शाहजहां की मृत्यु हुई, तब उन्हें उनकी पत्नी मुमताज बेगम की कब्र के साथ ताजमहल में दफनाया गया।
ताजमहल दुनियाभर में मौजूद महलों के मुकाबले सबसे खूबसूरत महल है, इसीलिए इसे कई बार ‘महलों का ताज’ भी कहा जाता है।
जब ताजमहल को बेच दिया गया था
एक बार एक ठग ने ताजमहल का ही सौदा कर डाला था। दरअसल, बिहार के सिवान जिले में रहने वाले मिथलेश कुमार श्रीवास्तव नामक व्यक्ति ने ताजमहल को तीन बार बेचा। मिथलेश को नटवरलाल के नाम से जाना जाता था। नटवरलाल की ठगी से टाटा, बिरला, अंबानी जैसे बड़ी कंपनियां भी नहीं बची।
उसने ना सिर्फ ताजमहल को बल्कि लाल किला, राष्ट्रपति भवन का भी सौदा किया था। एक समय था जब नटवरलाल पेशे से वकील हुआ करता था। ठगी की शुरुआत उसने अपने पड़ोसियों के नकली से हस्ताक्षर करके किए। दरअसल उसने नकली हस्ताक्षर के जरिए पड़ोसी के बैंक 1000 रुपए की ठगी की और इसी तरह विदेशियों से उसने भारत के प्राचीन इमारतों को बेचने का भी सौदा किया।
ठग नटवरलाल जिस गांव का निवासी था, उस गांव के लोग इस बात पर गर्वित होते थे कि उस ठग नटवरलाल का जन्म उस गांव में हुआ है। इसके साथ ही देशभर के ठग नटवरलाल को अपना आदर्श मानते हैं। ठग नटवरलाल ने करोड़ों रुपए की ठगी की थी और इस ठगी के लिए उसने 50 से भी ज्यादा फर्जी नामों को अपनाया। उसकी खासियत थी कि वह अमीर लोगों के फर्जी हस्ताक्षर करने में खूब माहिर था, इसीलिए उसने बड़े-बड़े उद्योगपतियों के फर्जी हस्ताक्षर करके कई लोगों से लाखों रुपए की ठगी की।
मुमताज और शाहजहां की प्रेम कहानी
1612 ईसवी में खुर्रम उर्फ शाहजहां ने मुमताज की खूबसूरती के कायल हुए और उनसे शादी के बंधन में बंधे। समय के साथ मुमताज उनकी सबसे पसंदीदा और प्रिय बेगम बन गई। शाहजहां मुमताज से इस कदर प्यार करने लगे कि एक पल भी उनसे दूर नहीं रहते थे। राजा जब भी अपने राजनीतिक दौरे के लिए जाते, अपने साथ मुमताज बेगम को भी ले जाया करते थे।
साथ ही उन्हें शासन से संबंधित सलाह के लिए भी फैसले लेने को कहते थे। शाहजहां के शासनकाल के दौरान कोई भी फैसला शाही फरमान में तब तक तबदील नहीं होता था, जब तक कि उसमें मुमताज की मोहर नहीं लगती थी। लेकिन 1631 ईसवी में दुर्भाग्यवश अपनी 14वी संतान के जन्म देने के दौरान मुमताज महल चल बसी।
मुमताज की मौत से शाहजहां सदमे में चले गए। अपने प्रेम को अमर रखने के लिए शाहजहां ने मुमताज का मकबरा बनाने का फैसला लिया और यही मुमताज का मकबरा बाद में ताजमहल के नाम से मशहूर हुआ। ताजमहल को शाहजहां और मुमताज के प्यार का प्रतीक माना जाता है।
निष्कर्ष
शाहजहां उन बादशाहों में गिने जाते हैं जिन्होंने अपनी बुद्धिमता के परिचय से इस उत्कृष्ट इमारत का निर्माण करवाया। शाहजहां तो ताजमहल जैसा ही एक दूसरा काला ताजमहल बनवाना चाहते थे। उनकी चाहत थी कि वे यमुना नदी के दूसरी ओर भी एक काले रंग का ताजमहल बनाए।
लेकिन उनकी ये आखिरी इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकी। ताजमहल लंबे समय से एक ऐसा ऐतिहासिक इमारत बना रहा जो कि लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया। इतिहासकार कहते हैं कि शाहजहां के शासनकाल में ही वास्तुकला का पुनर्जागरण हुआ था। इसी काल में ताजमहल, जमा मस्जिद, लाल किले जैसे कई खूबसूरत स्मारकों और इमारतों का निर्माण किया गया।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने पढ़ा ताजमहल का इतिहास (History of Taj Mahal in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।