Table of Contents
मकर संक्रांति पर निबंध | Essay on Makar Sankranti
सामग्री Content
• प्रस्तावना Introduction
• मकर संक्रान्ति कब मनाते है? When Makar Sankranti is celebrated?
• मकर संक्रान्ति क्यों मनाते है? Why Makar Sankranti is celebrated?
• मकर संक्रान्ति कैसे मनाते है How Makar Sankranti is celebrated
• उपसंहार Conclusion
प्रस्तावना Introduction.
अनेकता में एकता भारत की पहचान है और यह पहचान हमारे त्योहारों में स्पष्ट दिखाई देती है।
मकर संक्रांति का त्योहार हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर वर्ष (Makar Sankranti 2021 Date/Makar Sankranti kab hai) 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
Makar Sankranti meaning मकर संक्रांति में मकर नाम, मकर राशि को इंगित करता है तथा संक्रांति का अर्थ होता है प्रवेश करना। जिसका अर्थ है कि सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है।
हमारे देश में अलग-अलग जाति व समुदाय के लोग इसे अपने अपने तरीके से मनाते हैं । भारत के अनेक राज्यों एवं बहुत से अन्य देशों जैसे श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान आदि में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
यह पर्व भारत में एकता का प्रतीक है। इसके साथ ही इस त्योहार पर दान और पुण्य का बहुत ही महत्व है।
मकर संक्रान्ति कब मनाते है? When Makar Sankranti is celebrated?
मकर संक्रांति का सीधा संबंध पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति पर आधारित होता है। जब भी सूर्य मकर रेखा पर आता है हर वर्ष वह दिन 14 जनवरी होता है, जिसे लोग मकर संक्रांति के रूप में मनाते हैं।
जब सूर्य देवता उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्य की इस संक्रांति को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो मकर संक्रांति का पर्व हर वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता था लेकिन धर्म गुरुओं के अनुसार सूर्य मकर राशि में जब प्रवेश करता है तो शाम हो जाती है, उनके अनुसार अंधेरे में मकर संक्रांति नहीं मनानी चाहिए। इसी कारण पिछले कुछ वर्षों से मकर संक्रांति दूसरे दिन यानी 15 जनवरी को मनाई जाने लगी है। अतः इस प्रकार मकर संक्रांति का सीधा संबंध पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से हैं।
मकर संक्रान्ति क्यों मनाते है? (Why Makar Sankranti is celebrated?/makar sankranti kyu manaya jata hai?/Makar Sankranti 10 sentence in Hindi)
यह त्योहार बहुत सारी मान्यताओं पर आधारित है जैसे-
ऐसा माना जाता है कि इस दिन कई हजार वर्षों से चल रहे देवताओं और असुरों के बीच के युद्ध को भगवान विष्णु ने समाप्त करवा दिया था जिसे लोगों ने बुराई के अंत के रूप में खुशी मनाई थी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने गए थे। शनि देव का मकर राशि के स्वामी होने के कारण इसे मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है।
यह भी माना जाता है कि भीष्म को अपनी इच्छा से अपने प्राण त्यागने का वरदान अपने पिता से मिला था। इसी दिन उन्होंने अपने नश्वर रूप को त्यागा था, इसलिए यह दिन त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
मकर संक्रांति मनाने का एक और कारण यह है की इसी समय किसान अपनी नई फसल काटते हैं। जिस कारण वह अन्न की पूजा करते हैं और खुशियां मनाते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन से पहले तक सूर्य का उदय पूर्व दिशा से हुआ करता था। इस दिन के बाद से सूर्य अपनी उत्तर यात्रा शुरू करता है। जिस कारण दिन बड़े और रात का समय छोटा होने लगता है।
यह पर्व नई चीजों की शुरुआत के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। कुंभ का पहला स्नान भी इसी दिन होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं। इस त्योहार को गर्मी के दिन के आने का संकेत माना जाता है, जिसको नए और शुभ चीजों की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है।
मकर संक्रान्ति कैसे मनाते है How Makar Sankranti is celebrated.
मकर संक्रांति भारत में हर क्षेत्र में अलग अलग नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है। उसी प्रकार केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे स्थान पर इसे संक्रांति कहा जाता है।
पंजाब और हरियाणा में इसे नई फसल के स्वागत के रूप में मनाया जाता है जिसे लोहरी कहते हैं। वहां पर लोग लकड़ियां एकत्रित करके उसे जलाकर उसमें तेल बाल मिठाई आदि डालकर पूजा करते हैं।
बिहार व उत्तर प्रदेश में इसी खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।
वहीं असम में इसे बिहू के रूप में पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस दिन हर क्षेत्र में अलग-अलग पकवान बनते हैं जिनमें सबसे प्रमुख है खिचड़ी जिसे गुड़ और घी के साथ खाया जाता है। इस दिन तिल और गुड़ का भी बहुत महत्व होता है, तिल गुड़ के लड्डू व बहुत सारे स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं।
इस दिन लोग सुबह उठकर उपटन से स्नान करते हैं और पवित्र नदियों में डुबकी लगाने जाते हैं। इन दिनों सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करने के बाद पूजा पाठ करते हैं।
दान का महत्व- इस दिन दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। लोग फल, अन्न, गुड़, खिचड़ी व राशि आदि दान करके सूर्य देवता को प्रसन्न करते हैं। गरीबों मे कम्बल, खाना आदि बाटते है।
इन दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए सुहाग की सामग्री का आदान-प्रदान भी करती हैं।
पतंगबाजी का महत्व- इन सब के पश्चात मकर संक्रांति का त्योहार पतंगबाजी के लिए भी प्रसिद्ध है। इस दिन पतंग उड़ाने का विशेष कार्यक्रम रखा जाता है। लोग अपनी छतों पर बहुत ही उत्साह के साथ पतंगबाजी करते हैं। बहुत सारी जगह इसे बड़े पैमाने पर भी आयोजित किया जाता है।
उपसंहार Conclusion.
मकर संक्रांति का त्योहार पूरे देश में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूरा आसमान रंग बिरंगी पतंगों से सज जाता है। यह त्योहार नई खुशियों के आगमन का प्रतीक होता है। इस त्योहार का बच्चों में अलग ही उत्साह देखा जाता है। मकर संक्रांति के बाद ही भारत में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
इस दिन हर घर में बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं और सबसे अच्छी बात यह है कि लोग इस दिन दान करना शुभ मानते हैं। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर लोग अपने अंदर के मनमुटाव को भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं। इसलिए मकर संक्रांति का त्योहार भारत में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
Author:
आयशा जाफ़री, प्रयागराज