Motivational Story | चालाकी चालाक से
गांव के पुराने घर में
गांव में एक बहुत ही पुराना घर था। घर वर्षों से खाली पड़ा था और उसे कई तरह के आवारा जानवरों ने अपना ठिकाना बना रखा था। उन्हीं आवारा जानवरों में सबसे प्रमुख स्थान एक बूढ़े कुत्ते का था। कुत्ते का नाम कालू था और वह अक्सर उस घर के आंगन में खड़े नीम के पेड़ के नीचे आराम किया करता था। उसका अधिकांश समय नीम के पेड़ के नीचे ही गुजरता था।
उस नीम के आसपास ही चूहों के अनेक बिल थे और उनमें बहुत से चूहे रहते थे। उन्हीं चूहों में अपना भोजन तलाशने के लिए पड़ोस की कबरी बिल्ली रोज वहां चली आती थी। कबरी बिल्ली किसी-न-किसी चूहे को अपना शिकार बना ही लेती थी।मगर वहीं एक मोटा चूहा भी रहता था जो बहुत निडर और चालाक था। मोटू चूहा अक्सर कबरी को चिढ़ाता रहता था और इसी कारण उसका खास दुश्मन बन गया था। अब कबरी उसे सबक सिखाने का अवसर ढूंढती रहती थी।
कबरी मोटू चूहे से
सुन बे मोटू , बेटा कब तक बचेगा? एक-न-एक दिन तो मैं तुझे अपना शिकार बना ही लूंगी। जिस दिन तू मेरे पंजों के नीचे आएगा न तो तुझे तेरी नानी याद आ जाएगी। फिर देखना चटखारे ले लेकर खाऊंगी तुझे बच्चू।
मोटू कबरी से
कबरी मौसी,मुझे पकड़ने के सपने मत देखा करो, मैं तुम्हारे हाथ कभी नहीं आने वाला और आ भी गया तो भी तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाओगी, क्योंकि मेरे पास तुमसे बच निकलने का जादू है।
यह कहकर मोटू चूहा इधर-उधर दौड़-दौड़ कर कबरी बिल्ली को चिढ़ाने लगा। उसने कबरी को इतना सताया कि वह गुस्से में लाल होकर उसके पीछे दौड़ी मगर मोटू झट से अपने बिल में जा घुसा। बेचारी कबरी ने अपना माथा पीटकर रह गयी।
कई दिनों बाद एक दोपहर में
कई दिनों के बाद एक दोपहर को कबरी बिल्ली लंगड़ा कर चलती हुई उस पुराने घर में आई। जब वह आई तब कालू कुत्ता नीम के पेड़ के नीचे सो रहा था और मोटू चूहा कालू के आसपास ही खेल रहा था। जब उसने कबरी को अपनी अगली एक टांग उठाकर लंगडा-लंगड़ा कर धीमे-धीमे चलते देखा तो उसने सोचा कि जरूर कबरी कोई चाल चलने की कोशिश कर रही है। अतः क्यों न उसके पास जाकर सच जानने की कोशिश करूं।
मोटू निडर तो था ही, सो बिना डरे कबरी के काफ़ी नजदीक पहुंच गया। मगर कबरी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। यह देखकर मोटू चूहे का डर खुल गया और वह चलते-चलते कबरी के काफी नजदीक जा पहुंचा। जैसे ही वह कबरी के पास गया वह तुरंत मुड़कर उस पर झपट पड़ी। चूहे ने दौड़कर उससे बचने की कोशिश भी की मगर रास्ते में पड़े एक पत्थर से टकराने के कारण उसके पंजों में फंस ही गया।
कबरी बिल्ली मोटे चूहे से
अब बोल बेटा मोटू , मुझसे बचकर कहां भागेगा?आज तो मैं तुझे खाकर ही दम लूंगी। बहुत सताया है तूने शरारती कहीं के !तुझे पकड़ने के लिए मुझे लंगड़ा बनने की चाल चलनी पड़ी। आखिर फंस ही गया ना मेरी चाल में। अब बोल कैसे बचेगा?
मोटा चूहा कबरी बिल्ली से
रहने दे कबरी मौसी, मैं तेरी चाल में नहीं फंसा बल्कि मैं तो उस पत्थर से टकराने के कारण तेरे हाथों लग गया। अब तुझे खाना हो तो मुझे जल्दी खा ले ,तड़पा मत। मोटू चूहा सामने मौत देखकर बहुत डर गया था मगर फिर भी हिम्मत और हौसला रखे हुए था।
कबरी बिल्ली मोटे चूहे से
ऐं…ऐं…तुझे मरने की इतनी जल्दी! अभी तो मुझे तेरा वो जादू देखना है जो तू बार -बार कहता था कि-मौसी तुझसे बचने के लिए तो मेरे पास जादू है! कहां है रे मोटू वो जादू? दिखा ना ? बचा ले न खुद को?
मोटू चूहा कबरी बिल्ली से
चूहा अंदर ही अंदर बहुत डर गया था मगर फिर भी हिम्मत रखकर संकट से बचने का उपाय सोचते हुए कहने लगा- बिल्ली मौसी, मैं तुम्हें अपना जादू तो दिखा सकता हूंं, पर एक शर्त पर। पहले तुम पूरा जोर लगा कर चार बार अपना ‘म्याऊं-म्याऊं ‘, बोलो तो ?
चूहे को पंजों नीचे दबाकर कबरी भी कुछ घमंडी हो गयी थी इसीलिए बिना कुछ सोचे-समझे ही चूहे को खुश करने के लिए ‘म्याऊं- म्याऊं’ का शोर मचाने लगी।
कालू कुत्ते की नींद में विघ्न
उसके शोर मचाने से नीम के नीचे सो रहे कालू कुत्ते की नींद विघ्न पड़ गया तो वह क्रोध में भौंकते हुए बिल्ली की ओर दौड़ा। उसे अपनी ओर आते देख बिल्ली अपनी जान बचाने के लिए तुरंत दीवार फांद कर गली में कूद गयी और मोटा चूहा जैसे ही बिल्ली के चंगुल से आजाद हुआ भागकर अपने बिल में जा घुसा। इस तरह सच में उसकी हिम्मत व चालाकी उसकी जान बचाने का जादू बन गयी।
कहानी से प्राप्त सीख- जो विपत्ति के समय हिम्मत और समझदारी से काम लेते हैं विपत्ति उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाती।
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लेखक: कृष्ण कुमार दिलजद