Ratan Tata biography

Last updated on: September 5th, 2020

Ratan Tata biography | रतन टाटा की जीवनी

प्रस्तावना
दोस्तों देखा जाए तो जीवन में संघर्षो का होना अतिमहत्वपूर्ण होता है। यूँ तो ECG में भी सीधी रेखा का अर्थ मृत्यु ही होता है, जब कदम कदम पर Zindagi इम्तेहान लेती है उसी सोने की तपन से निखर कर “रतन टाटा” जैसे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। रतन जी टाटा भारत के शीर्ष उद्योगपतियो में से एक है। लम्बे समय से रतन टाटा, TATA GROUP जो की 80 से ज्यादा क्षेत्रो में कार्यरत है, के सेवा मुक्त चैयरमेन रह चुके है। इन्होने नैतिक मूल्यों को सँभालते हुए अपना सम्पूर्ण जीवन काल भारत देश को समर्पित किया है। हाल ही में इन्होने स्वयं के भारत के सबसे महंगे होटल “ताज” को करोना पीड़ितों के लिए खोल दिया, इसके साथ ही इन्होने 1500 करोड़ का दान पीएम केयर फंड में भी दिया। रतन टाटा बहुत नम्र इंसान हैं।

इस आगामी लेख के चरणों में हम श्री रतन टाटा जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गौर करेंगे।

जन्म
पद्म भूषित श्री रतन टाटा जी का जन्म एक पारसी फेमिली में सन 1937 में, बॉम्बे(Mumbai) शहर में हुआ था जिसे हम आज मुंबई भी कहते है। रतन टाटा के माता-पिता का नाम क्रमशः सोनू टाटा एवं नवल टाटा था। वे बचपन से ही प्रतिभाशाली थे। बालपन में ही लगभग जब वे 10 वर्ष के थे उनके माता-पिता में अलगाव हो गया था। अलगाव हो जाने के कारण उनकी दादी नवजबाई ने ही उन्हें और उनके भाई का पालन-पोषण किया। माता-पिता के अलगाव का रतन टाटा के पूरे जीवन पर काफी गहरा प्रभाव रहा है। उनके छोटे भाई का नाम जिमी नवल टाटा था।

शिक्षा
रतन टाटा की शिक्षा The Cathedral And John Connon School, Mumbai और Bishop Cotton School, Shimla से की आगे वे आर्किटेक्चर पढ़ना चाहते थे अतः उन्होंने Cornell University, USA में दाखिला लिया, वे शुरू से ही आत्मनिर्भर रहना चाहते थे अतः उन्होंने पढाई पूरी होने तक कई होटलो में बर्तन साफ़ करने का काम भी किया , 1959 में उन्हें बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर की डिग्री प्राप्त हुई थी। वे काफी शर्मीले एवं दिखावे से कोसो दूर रहने वाले युवा थे। इस दौरान युवाओ का ध्यान अक्सर भटक ही जाता है लेकिन रतन टाटा अपने लक्ष्य से तनिक भी भ्रमित नहीं हुए।

करियर
रतन टाटा जी ने अपने करियर की शुरुआती बहुत ही छोटे पद से की उन्होंने फ्लोर मैनेजमेंट का काम सँभालते हुए आगे बढ़ने का रास्ता चुना, जिससे की वे आम व्यक्ति की दैनिक दिनचर्या से भी रूबरू हो पाए। वे टाटा समूह की लगभग सभी अलग अलग कारखानों में बारी-बारी से काम करते रहे जिससे उनका अनुभव और पक्का हो चला और फिर 1970 में उन्हें मैनेजमेंट (प्रबंधन) में पदोन्नति दी गई। 1974 में उन्हें टाटा द्धारा टीवी और रेडियो बनाने वाली और घाटे में रहने वाली नेल्को का निदेशक नियुक्त किया गया था। समय अपनी चल से आगे बढ़ा और फिर रिकॉर्ड सेल्स होने का तमगा भी रतन टाटा के ही हिस्से आया। इसके पश्चात् 1975 में रतन टाटा में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से प्रबंधन की डिग्री हासिल की। इसके बाद जिम्मेदारियों का ताता , रतन टाटा के पीछे लग गया।

इसके बाद 1981 में श्री रतन टाटा को “टाटा इंडस्ट्रीज” का अध्यक्ष मनोनीत किया गया। फिर 1991 में रतन टाटा को “टाटा इंडस्ट्रीज ” का चैयरमेन नियुक्त किया गया। अपनी हिम्मत और साहस से रतन टाटा ही थे जिन्होंने “लखटकिया कार ” अर्थात नैनो का सपना आम आदमी के लिए हकीकत में बदला।

सन 2000 में चाय की सबसे बड़ी कंपनी Tetly को ख़रीदा। टाटा समूह ने 2008 में घाटे में चल रहे फोर्ड के प्रमुख ब्रांड जगुआर एडं लैंड रोवर (जेएलआर) को न सिर्फ खरीदा बल्कि उसको घाटे से बहार निकाला। आज लगभग 80 से ज्यादा क्षेत्रो में टाटा ने अपनी मजबूत पकड़ बना रखी है। सन 2012 में रतन टाटा ने ऑनलाइन व्यापार का भविष्य देख लिया था अतः टाटा ग्रुप ने कई ऑनलाइन कम्पनीज पर जैसे ola , xiomi , paytm , snapdeal , zivame, Abra, CarDekho, HolaChef, FirstcryCurefit, Repos Energy, ClimaCell इत्यादि।

सम्मान
सन 2000 में भारत सरकार द्धारा रतन टाटा को पद्म भूषण से नवाज़ा गया। वही सन 2008 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें NASSCOM Global Leadership Awards-2008 भी मिल चुका है, दोस्तों रतन टाटा जी के सम्मान की फेहरिस्त लम्बी है। गौर से देखा जाए तो उनकी पूरी जिंदगी एक जीवंत किताब है जिसे पढ़ कर आप स्वयं का जीवन भी सार्थक बना सकते हैं। वे व्यापार में असफ़ल या निजी जिंदगी में हारे लोगो के लिए जीती जागती मिसाल है, हर विपरीत परिस्थिति में उनके द्धारा लिए गए निर्णयों का ही नतीजा है की आज टाटा समूह नित्य नई ऊचाइयों को छू रहा है।