पीलिया क्या है? कारण, लक्षण और प्रकार

Last updated on: January 15th, 2022

What is Jaundice? Causes, Symptoms & Types in Hindi
What is Jaundice? Causes, Symptoms & Types in Hindi | पीलिया क्या है? कारण, लक्षण और प्रकार

पीलिया क्या है? कारण, लक्षण और प्रकार | What is Jaundice? Causes, Symptoms & Types in Hindi

पीलिया एक ऐसी बीमारी है जो कि हैपेटाइटिस ए और हेपिटाइटिस बी वायरस की वजह से होता है। यह शरीर के अलग-अलग भागों को प्रभावित करता है। इस रोग की वजह से शरीर में खून की कमी हो जाती है। साथ ही पाचन तंत्र भी कमजोर हो जाता है। पीलिया के प्रमुख लक्षणों में आंखें, नाखून और पेशाब का पीला होना प्रमुख है।

कई लोग पीलिया को सामान्य-सा रोग मानकर इसका इलाज नहीं करवाते। लेकिन अगर आप पीलिया की अनदेखी करते हैं, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। अगर आप भी पीलिया से पीड़ित हैं या आपके किसी जानकार को पीलिया हो गया है, तो आप हमारे द्वारा बताए गए उपायों का पालन करके पीलिया से राहत पा सकते हैं। साथ ही भविष्य में पीलिया से खुद का बचाव भी कर सकते हैं।

पीलिया किसे कहते हैं?

पीलिया, जॉन्डिस के नाम से भी आम लोगों के बीच में प्रसिद्ध है। पीलिया लीवर से संबंधित एक बीमारी है जिसमें लीवर कमजोर हो जाता है और ठीक तरह से काम नहीं करता। इस बीमारी की वजह से मरीज की आंखें, नाखून और पेशाब का रंग पीला हो जाता है। इसके अलावा मरीज को भूख भी कम लगती है।

पीलिया का मुख्य कारण होता है, शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा का बढ़ जाना। बिलीरुबिन का फैलाव जब शरीर के प्रत्येक भाग में हो जाता है, तब व्यक्ति पीलिया की बीमारी से ग्रसित हो जाता है। अगर पीलिया का समय रहते इलाज न किया गया तो इससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

पीलिया किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि यह देखा गया है कि पीलिया नवजात बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है, दरअसल जब नवजात पैदा होता है, तब उसके शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा अत्यधिक होती है। यह कोशिकाएं जब टूटने लगती हैं, तब नवजात शिशु को पीलिया हो जाता है।

जो नवजात पीलिया रोग से ग्रस्त होता है, उसका चेहरा सबसे पहले पीला पड़ जाता है। उसके बाद यह पीलापन सीने और पेट की तरफ फैल जाता है और पैरो तक पहुंच जाता है। शिशु को पीलिया होते ही उसका तुरंत इलाज करवाना जरूरी होता है क्योंकि 14 दिन से अधिक समय तक पीलिया से ग्रस्त नवजात की जान को खतरा होता है।

पीलिया के प्रकार

पीलिया को तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है। आइए जानते हैं इसके तीन प्रमुख प्रकारों के बारे में :-

  • वायरल हैपेटाइटिस ए
  • वायरल हैपेटाइटिस बी
  • हैपेटाइटिस नॉन ए, नॉन बी

पीलिया कैसे होता है?

पीलिया अधिकतर उन स्थानों पर जल्दी फैलता है, जहां पर लोग व्यक्तिगत तथा आसपास की सफाई का ध्यान नहीं देते। इसके अलावा पीलिया का प्रसार ज्यादा भीड़भाड़ वाले स्थानों पर होता है। पीलिया के दूसरे प्रकार यानी कि हैपेटाइटिस बी किसी भी मौसम में हो सकता है, जबकि हैपेटाइटिस ए और नोन हैपेटाइटिस ए व नोन हैपेटाइटिस बी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को होता है। यह पीड़ित व्यक्ति के दूषित जल, मल और भोजन के द्वारा दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

पीलिया के कारण

देखा गया है कि पीलिया अधिकतर नवजात शिशुओं को होता है। हालांकि ये किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। पीलिया होने का मुख्य कारण बिलीरुबिन नामक पदार्थ है। इसके अलावा पीलिया दूषित भोजन और पानी पीने से होता है।

अगर पीलिया ज्यादा बढ़ जाए, तो यह मस्तिष्क पर भी प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा पीलिया के कई अन्य कारण होते हैं। चलिए जानते हैं उनके बारे में :-

  • पैंक्रिएटिक के कैंसर की वजह से पीलिया हो जाता है।
  • पीलिया का प्रमुख कारण हैपेटाइटिस वायरस है।
  • बाइल डक्ट अगर बंद हो तब भी पीलिया सकता है। जिन लोगों को पित्त की थैली की पथरी होती है, अक्सर उनके बाइल डक्ट में पत्थर फंस जाता है जिससे उन्हें पीलिया हो जाता है।
  • दूषित भोजन व दूषित पानी पीने से पीलिया हो जाता है।
  • कुछ दवाओं के सेवन से भी लोग पीलिया से ग्रसित हो जाते हैं।

पीलिया के लक्षण

  1. पीलिया में त्वचा, आंख, नाखून में पीलापन आ जाता है।
  2. जो व्यक्ति पीलिया से ग्रसित हो जाता है, उसे उल्टी, पेट दर्द, भूख ना लगना, अपच जैसी कई समस्याएं होने लगती हैं।
  3. जिस व्यक्ति को पीलिया होता है, उसका पेशाब गाढा और पीला रंग का निकलता है।
  4. इसके अलावा व्यक्ति को बुखार, पेट दर्द जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

पीलिया का उपचार

पीलिया का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है। इसका घरेलू इलाज भी संभव है। इसके अलावा आप एलोपैथी दवाइयों की मदद से भी पीलिया को ठीक कर सकते हैं। नीचे हम पीलिया के उपचार के कुछ तरीके बता रहे हैं:-

  • त्रिफला का प्रयोग– पीलिया का इलाज हम घर पर भी कुछ तरीकों को आजमाकर, कर सकते हैं। पीलिया के आयुर्वेदिक पद्धति इलाज में सबसे ज्यादा त्रिफला को प्रयोग में लाया जाता है। रात्रि में त्रिफला को पानी में भिगोकर छोड़ दें व सुबह इसके पानी को छानकर पीये। इस प्रक्रिया का पालन 2 हफ्ते रोजाना करें, पीलिया में लाभ होगा।
  • मूली का रस – मूली खून और लीवर में मौजूद बिलीरुबिन को निकालने में मदद करता है। अगर पीलिया से ग्रसित व्यक्ति दो से तीन गिलास मूली का रस रोजाना पीता है, तो उसे पीलिया से राहत मिलती है। मूली के रस के साथ इसके पत्तों को पीसकर पीना भी पीलिया में लाभदायक है।
  • साबुत धनिया – साबुत धनिया को रात भर भिगोकर सुबह इसका पानी पीने से भी पीलिया से राहत मिलती है।
  • नीम – पीलिया से ग्रसित व्यक्ति को, नीम के पत्तों की चटनी का सेवन रोजाना करना चाहिए। ऐसा करने से पीलिया से राहत मिलती है।
  • दही और छाछ – पीलिया होने पर रोज छाछ और दही का सेवन करने से पीलिया के लक्षण कम होते हैं।
  • टमाटर – टमाटर में एंटीऑक्सीडेंट का गुण पाया जाता है, जो कि पीलिया को दूर भगाने में मदद करता है इसीलिए रोजाना सुबह टमाटर का जूस पियें।
  • विटामिन सी- जिन फलों और सब्जियों में विटामिन सी की मात्रा ज्यादा होती है, उनका सेवन करना पीलिया में काफी फायदेमंद रहता है। इनमें आंवला, संतरा, नींबू आदि प्रमुख है।
  • अर्जुन की छाल – अर्जुन के पेड़ की छाल पीलिया में काफी मदद करती है क्योंकि इसमें एल्कलॉइड मौजूद होता है, जो कि कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को नियमित करता है।
  • हल्दी- हल्दी में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल्स मौजूद होते हैं जो कि लीवर में मौजूद नलिकाओं को हटाने में मदद करते हैं।
  • पपीता- पपीता पीलिया के उपचार में सर्वोत्तम माना जाता है। आप कच्चा पपीता की सब्जी तैयार करके या फिर पके पपीते को खाकर भी पीलिया के लक्षणों को कम कर सकते हैं।

यह थे पीलिया के उपचार के लिए कुछ घरेलू नुस्खे, इसके अलावा आप एलोपैथिक दवाइयों की मदद से भी पीलिया का इलाज कर सकते हैं।

पीलिया से बचाव

  • खानपान की शुद्धता जैसा कि हमने पहले बताया कि पीलिया दूषित खान पान की वजह से होता है इसीलिए अगर आप खानपान की शुद्धता का ध्यान रखें, तो आप पीलिया से अपना बचाव कर सकते हैं। हमेशा घर का बना खाना खाएं, ऐसी जगह से खाना बिल्कुल ना खाएं जहां खाना पकाने के लिए गंदे पानी का इस्तेमाल किया जाता है हमेशा संतुलित आहार खाएं।
  • वसायुक्त आहार से बचें– पीलिया से बचाव के लिए हमेशा कम फैट वाले भोजन का सेवन करें क्योंकि ज्यादा कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ लीवर के आसपास जमा हो जाते हैं, जिससे इसकी कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है और इसे ठीक तरह से कार्य करने पर बाधा महसूस होती है।

फैटी खाद्य पदार्थ पीलिया के स्तर को बढ़ा देते हैं इसीलिए पीलिया के रोगियों को हमेशा ज्यादा मिर्च मसाले, मिठाइयां, तले हुए पदार्थ न खाने की सलाह दी जाती है।

  • नमक का कम सेवन – नमक का सेवन पीलिया को बढ़ा देता है। इसके साथ ही नमक लीवर की कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में हमेशा नमक युक्त खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
  • कैफीन युक्त पदार्थों से बचें- जिन खाद्य पदार्थों में कैफीन की मात्रा ज्यादा होती है, उनके सेवन से परहेज करना चाहिए। इसीलिए लोगों को ज्यादा चाय और कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए। जिन व्यक्तियों को पीलिया होता है, अगर वे कैफीन से दूर रहते हैं तो वे पीलिया से काफी जल्दी ठीक हो जाते हैं।

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल के जरिए हमने पीलिया के कारण, लक्षण, बचाव और इसके उपचार से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों को पढ़ा। हमें उम्मीद है यह जानकारियां पीलिया से लड़ने में आपकी मदद जरूर करेंगे।