Table of Contents
Women Empowerment in India
प्रस्तावना (Introduction)
आज पूरे विश्व में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं पुरुषों से किसी भी प्रकार से पीछे हो। प्रौद्योगिकी, विज्ञान, खेल, राजनीति जैसे क्षेत्रों में महिलाओं ने अपना सशक्त स्थान बना लिया है। अब महिलाओं का जीवन केवल उनकी गृहस्थी तक ही सीमित नहीं रहा है किंतु वह भी पुरुषों की तरह घर से बाहर निकल कर पूरे सम्मान के साथ अपने सपनों को पंख दे रही हैं।
आज महिला पुरुषों की तरह ही आत्मनिर्भर और आत्म निर्णयन है। ऐसा कहा जाता है कि जहां नारी पूजनिय होती है वहां देवता का वास होता है। एक महिला यदि एक पुत्री एक मां एक बहन या किसी की धर्म पत्नी होती है तो समय आने पर वह दुर्गा का रूप भी धारण कर सकती है।
जहां एक और महिला विकास के पथ पर अग्रसर हैं वहां यह कहना अत्यंत ही शर्मनाक और चिंताजनक होगा कि आज भी कुछ लोग महिलाओं के मूल्यों और उनके अधिकारों को मारते है। भारत की स्वतन्त्रा के पश्चात महिलाओं और पुरुषों में एक बड़ा अंतर पैदा हो गया था जिसका प्रभाव आज भी कई जगह देखा जा सकता है। किसी भी देश के पूर्ण विकास के लिए उसमें महिलाओं की भागीदारी होना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ (Women Empowerment Meaning)
महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) का अर्थ है कि महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने के लिए सशक्त बनाना। आसान भाषा में कहें तो उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।
हमारा समाज हमेशा से एक पुरुष प्रधान समाज रहा है जिसके कारण महिलाओं को अपने अधिकार के लिए सदैव संघर्ष करना पड़ा है। आज भी बहुत सी ऐसी जगह है जहां महिलाओं की क्षमता को पुरुषों से कम ही समझा जाता है। उनके अधिकारों को घर की जिम्मेदारी और गृहस्थी संभालने तक ही सीमित रखा जाता है।
परंतु अब महिलाएं अपने अधिकार से ज्ञाता है और पुरुषों के समान ही उनके कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। हमारी सरकार ने भी महिला को सशक्त बनाने और लोगो मे जागरूकता उत्पन्न करने के लिए बहुत सारे कार्यक्रम लागू किए हैं जैसे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, मातृ दिवस आदि।
कोई भी देश व समाज तब तक उन्नति नहीं कर सकता जब तक वहां की नारी शोषित, अशिक्षित और खुद को कमजोर समझेगी। महिला सशक्तिकरण से हमारा उद्देश्य यही है कि हमारी देश की महिलाएं उच्च शिक्षा प्राप्त करें, अपने जीवन का निर्णय स्वयं ले और आत्मनिर्भर बने। उन्हें किसी भी प्रकार से पुरुषों से कम ना समझा जाए।
जिस प्रकार एक महिला के लिए गृहस्थी संभालना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है उसी प्रकार से उनको बैंक का काम आना या कंप्यूटर चलाना आना भी उतना ही महत्वपूर्ण होना चाहिए।
भारत में महिला सशक्तिकरण की स्थिति (situation of women empowerment in India)
हमारा इतिहास गवाह है कि हमारे देश की महिलाएं निडर और अत्यंत साहसी हैं।
जिनमें सबसे पहला नाम आता है वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का जिन्होंने अत्यंत ही बहादुरी से देश के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी।
श्रीमती एनी बेसेंट का जिन्होंने भारत आने के बाद सदैव महिलाओं के अधिकार के लिए आवाज उठाई है।
भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू जो एक अच्छी कवित्री होने के साथ-साथ एक स्वतंत्रता सेनानी भी थी।
पूरी दुनिया में नाम कमाने वाली महिला मुक्केबाज मैरीकॉम को कौन नहीं जानता।
इसी प्रकार देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल हो या सशक्त किरण बेदी, चांद पर कदम रखने वाली सुनीता विलियम्स हो या अपने देश के लिए आगे आने वाली कमला नेहरू। भारतीय महिलाओं ने हर कदम पर या सिद्ध किया है कि वह किसी भी समान पुरुषों से कम नहीं है।
पर आज भी हमारे समाज में महिलाओं को अपने अधिकार और मूल्यों के लिए लड़ना पड़ता है। आज भी वह दहेज प्रथा, बाल विवाह, कन्या भ्रूण, यौन शोषण, कम शिक्षा, आसमानता और घरेलू हिंसा जैसे अत्याचारों को चुपचाप सहन कर रही हैं।
महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए हमारी सरकार ने कई तरह के अधिनियम क्या कानून लागू किए हैं जिनमें-
दहेज रोक अधिनियम 1961 मैं लागू किया गया था।
बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006 में लागू किया गया था।
1976 में एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट पास किया गया था।
उसी प्रकार 2013 में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट लागू किया गया था।
पर हमारा देश तभी पूरी तरह से महिला सशक्त हो पाएगा जब जब हर एक नागरिक उसके महत्व को समझें। जब तक हमारे देश की महिला पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम नहीं करेंगे जब तक हमारा देश विकास नहीं कर पाएगा। महिलाओं को भी शिक्षा नौकरी और समाज में बराबर का अधिकार मिलना चाहिए।
महिला सशक्तिकरण की जरूरत Importance of women empowerment.
“किसी भी देश की स्थिति उस देश की महिला को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है” – जवाहरलाल नेहरू।
हमारा देश एक पुरुष प्रभुत्व देश है अपने अधिकार को प्राप्त करने के लिए हमारे देश की महिलाओं ने सदैव संघर्ष किया है। शिक्षा प्राप्त करना हो या फिर घर से बाहर निकल कर काम करना। हमारे देश की महिलाओं को हर कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
भारत मां की बेटियां आज उसी की भूमि पर सुरक्षित नहीं महसूस करती हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारा देश पूर्ण रूप से तभी विकास के पथ पर आगे बढ़ सकता है जब महिलाओं को भी पुरुष के समान अधिकार प्राप्त होंगे। इससे करने के लिए देश के हर नागरिक और सरकार दोनों को आगे आना होगा। महिलाओं को पुरुषों के समान ही हर क्षेत्र में अवसर प्रदान करना होगा।
उन पर हो रहे अत्याचार जैसे यौन शोषण, बाल विवाह दहेज की समस्या जैसी कुप्रथा को समाप्त करना होगा। कोई भी देश सही मायनों में तभी स्वतन्त्र कहलाता है जब उस देश की महिलाएं सशक्त होती है। जब हमारे देश में पूर्ण रूप से महिलाओं को सारे अधिकार प्रदान किए जाएंगे तब हमारा देश विकासशील देश से एक विकसित देश कहलाएगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज हमारे देश की महिला अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हो रही हैं और आत्मनिर्भर बन रहे हैं। ना केवल घर बल्कि हर क्षेत्र में वह प्रगति कर रहे हैं। हालाकी आज भी हमारा देश पूरी तरह से महिला सशक्त नहीं है।
लेकिन जब देश का हर नागरिक महिला और पुरुष को एक समान समझेगा और हमारी सरकार महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए कड़े कानून बनाएगी। जब हमारे देश की महिला सुरक्षित, शिक्षित और आत्मनिर्भर बनेगी तब हमारा भारत देश भी पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा।
Nice article!