रूह का रिश्ता
जैसे रात का रिश्ता है अंधेरे से,
वैसे ही दिन का रिश्ता है सवेरे से।
जैसे बहन का रिश्ता है कलाई से,
वैसे ही बेटी का रिश्ता है विदाई से।
जैसे आँखों का रिश्ता है पलकों से,
वैसे ही राही का रिश्ता है सड़कों से।
जैसे खिड़की का रिश्ता है हवा से,
वैसे ही माँ का रिश्ता है परवाह से।
जैसे चश्मे का रिश्ता है कानों से,
वैसे ही फूलों का रिश्ता है बालों से।
जैसे संगीत का रिश्ता है ह्रदय से,
वैसे ही संघर्ष का रिश्ता है विजय से।
जैसे पिता का रिश्ता है बलिदान से,
वैसे ही ईश्वर का रिश्ता है इंसान से।
जैसे फूल का रिश्ता है ख़ुशबू से,
वैसे ही रूह का रिश्ता है तुमसे।
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About Author:
नाम है हर्षित काम है लिखना पढ़ना, मैं अपने अस्तित्व की खोज में निकला एक राहगीर हूँ, पथ पर चल रहा हूँ, सफ़र जारी है।