रेलगाड़ी
छुक छुक करती आती रेल
हम सब को ले जाती रेल
हो गरीब या हो अमीर
शरणदात्री सबके रेल।
चाहे पास या हो दूर
सबको ही ले जाती रेल
सुविधाएं मिलती हैं ढेरों
कम खर्चे में करें सवारी।
चाहे अकेले जाना हो
या परिवार को ले जाना हो,
सबकी सुविधा सबकी रेल
पैसा कम और ज्यादा खेल।
रेल हमारी बड़ी महान
सबसे ज्यादा देती काम,
दिनोंरात चलती रहती है,
हर समय आती है काम।
बदल रही है समय के संग
बदल रही है ये भी रंग ढंग,
नई नई तकनीकों के संग
खुद को बदल रही है रेल।
Read Also:
हिंदी कविता: कभी न होगी उन्नति
हिंदी कविता: लगता नहीं मेरा मन
हिंदी कविता: सब अपने ही भाई हैं
हिंदी कविता: कण कण में प्रभु
हिंदी कविता: धर्म-अधर्म
अगर आप की कोई कृति है जो हमसे साझा करना चाहते हो तो कृपया नीचे कमेंट सेक्शन पर जा कर बताये अथवा contact@helphindime.in पर मेल करें.
About Author:
✍सुधीर श्रीवास्तव
शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल
बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002