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तेनाली रामकृष्ण की जीवनी | Biography of Tenali Ramakrishna in Hindi
आपको याद होगा बचपन के दिनों में आपने कहीं न कहीं तेनालीराम का जिक्र तो जरूर सुना होगा। चाहे वह टेलीविजन पर कोई कार्टून फिल्म हो या हिंदी और अंग्रेजी की एनसीईआरटी की किताबें। उन्हें तेनाली रामकृष्ण, तेनालीराम, तेनाली रमण जैसे कई नामों से जाना जाता है। बचपन से ही हम तेनाली रामकृष्ण के बारे में सुनते आए हैं।
तेनाली एक बहुत बड़े कवि होने के साथ ही एक बेहद चतुर इंसान भी थे। उन्होंने अपने जीवन काल के दौरान कई कहानियां लिखी। उनकी यही कहानियां बच्चों के बीच काफी प्रसिद्ध है। तेनाली रामकृष्ण की हर कहानी कुछ नया सिखाती है।
तेनालीराम के साथ ही विजयनगर के शासक कृष्णदेव राय के बारे में भी जानना बेहद जरूरी है क्योंकि इन दोनों की ही जोड़ी को अकबर-बीरबल की जोड़ी के समान मान्यता मिली है, तो आइए जानते हैं इस महान और बुद्धिमान कवि के जीवन से जुड़ी हुई कुछ बातें-
नाम | तेनाली रामकृष्ण |
उपनाम | विकट कवि |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जन्म तिथि | 22 सितंबर 1479 |
जन्म स्थान | गुंटूर जिला, आंध्रप्रदेश |
पिता का नाम | गरालपति रामैया |
माता का नाम | लक्षम्मा |
पेशा | कवि |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी का नाम | शारधा देवी |
बच्चे | भास्कर शर्मा |
मृत्यु | 5 अगस्त 1575 |
तेनाली रामकृष्ण का प्रारंभिक जीवन (Early Life of Tenali Ramakrishna)
तेनाली रामकृष्ण का जन्म 22 सितंबर 1479 में हुआ। वे आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में पैदा हुए एवं ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके गांव का नाम तेनाली था इसी तर्ज पर उनका नाम भी तेनाली रखा गया। वहीं उनके पिता गरालपति रामैया एक विद्वान व्यक्ति हुआ करते थे। वे उन्हीं के गांव में स्थित रामलिंगेस्वर स्वामी मंदिर में पुजारी का काम करते थे। वहीं इनकी माता का नाम लक्षम्मा था जो कि एक ग्रहणी थी।
बचपन में ही तेनाली के पिता की मृत्यु हो गई जिससे उनकी सारी जिम्मेदारी उनकी माता जी पर आ गई। पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां अपने भाई के पास रहने आई। बचपन से ही तेनाली शिव भक्त थे यही वजह थी कि उन्हें तेनाली रामलिंगा के नाम से भी पुकारा जाता था। लेकिन आगे जाकर उन्होंने वैष्णव धर्म अपना लिया। तेनालीराम के एक बेहद करीबी मित्र भी थे जिनका नाम गुंडप्पा था।
तेनाली रामकृष्ण की शिक्षा (Tenali Ramakrishna’s Education)
तेनाली रामकृष्ण भविष्य में बहुत बड़े कवि बनते हैं लेकिन सबसे हैरानी की बात यह थी कि वे अशिक्षित थे। इसके बावजूद उन्होंने मराठी, कन्नड़, तमिल और हिंदी जैसी कई भाषाओं में महारत हासिल की। वे पहले शिव के उपासक थे लेकिन आगे जाकर विष्णु को मानने लगे और वैष्णव धर्म अपना लिया। बताया जाता है कि तेनालीराम ने वैष्णव धर्म अपनाया इस वजह से उन्हें गुरुकुल में शिष्य के रूप में स्वीकारा नहीं गया। लोगों का कहना है कि एक बार एक महान संत ने उनसे कहा कि वे काली की पूजा करें जब उन्होंने काली की खूब तपस्या की तब उन्हें हास्य कवि का वरदान मिला। अपने शुरुआती दौर में वे भागवत मेला मंडली में काम किया करते थे।
तेनाली रामकृष्ण और राजा कृष्णदेव की जोड़ी (Tenali Ramakrishna & Raja Krishnadeva)
तेनाली रामकृष्ण के जीवन में राजा कृष्णदेव की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इन दोनों की जोड़ी को अकबर-बीरबल की जोड़ी के समान माना जाता था। साल 1509 से 1529 के बीच महाराज कृष्णदेव राय, विजयनगर के राजा थे। एक बार तेनाली रामकृष्ण भागवत मेला मंडली के काम से विजयनगर घूमने आए। वही पर उनकी मुलाकात कृष्णदेव राय से हुई। दरअसल, तेनाली रामकृष्ण के प्रदर्शन से राजा कृष्ण देवराय बेहद ही प्रसन्न और प्रभावित हो चुके थे।
इस वजह से उन्होंने तेनाली को अपने दरबार में कवि के रूप में रखा। दिमाग से चतुर तेनालीराम ने कुछ ही समय के अंतराल में ही राजा से नजदीकियां बढ़ा ली। उन्होंने 2 साल में ही राज महल में अपनी स्थिति मजबूत कर ली थी। तेनालीराम महाराज कृष्णदेव राय के 8 कवि में से एक थे जिनसे महाराज सलाह लिया करते थे। महाराज कृष्णदेव राय जब कभी भी किसी मुसीबत में फंस जाते तब चतुर तेनालीराम उन्हें अपनी बुद्धिमत्ता से इस मुसीबत से बाहर निकालते थे।
तेनाली रामकृष्ण की सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने कभी भी अपने शत्रुओं के आगे अपने सिर को नहीं झुकने दिया। वह हमेशा कोई न कोई ऐसे दाव चल देते थे जिससे उनका शत्रु घुटने टेकने पर मजबूर हो जाता था।
तेनाली रामकृष्ण का साहित्यिक जीवन (Literary life of Tenali Ramakrishna)
तेनालीराम भले ही शिक्षित नहीं थे लेकिन उन्होंने कई भाषाओं में ज्ञान हासिल किया था। जिस वजह से वह एक प्रख्यात कवि के रूप में सामने आए। उन्होंने पांडुरंग महात्म्यं की रचना की है जिससे 5 महाकाव्य में शामिल किया गया है। उनके द्वारा लिखी गई इस रचना को उन्होंने स्कंदपुराण से प्रभावित होकर लिखा था।
तेनाली रामकृष्ण ने कई कविता और उपन्यास की रचना की। उन्होंने इसके लिए चतुवु नाम अपनाया। उन्होंने धर्म संबंधी रचनाएं भी की है जिसमें उनकी कविताओं में उद्भटाराध्य चरितामु लोकप्रिय है।
इसके अलावा उन्होंने कविता पालाकुरिकी सोमनाथ की रचना की जो कि बसवा पुराण पर आधारित है। उनके दो कहानियां रामलिंग और रायलू ने भी काफी प्रसिद्धि हासिल की।
उनके कार्य को देखते हुए उन्हें कुमार भारती जी की उपाधि से नवाजा गया। इसके अलावा उनके सम्मान में महिषासुरमर्दिनी स्त्रोतम नामक संस्कृत कविता की रचना की गई।
तेनाली रामकृष्ण द्वारा रचित कुछ कहानियां (Some stories composed by Tenali Ramakrishna)
- एक अपराधी
- महान पुस्तक
- कितने कौवे
- कृष्णदेवराय की उदारता
- तेनालीराम की घोषणा
- तेनालीराम की सूजबुझ
- सीमा की चौकसी
- तेनालीराम की कला
- कुवे का विवाह
- बोलने वाला भूत
- उधार का बोझ
- कौन बड़ा
- जनता की अदालत
- कंजूस सेठ
- महामूर्ख
- तेनाली का घोड़ा
- सन्तुष्ट व्यक्ति
- उत्सव
उनके द्वारा रचित कहानियों की लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती। उन्होंने इसके अलावा भी कई सैकड़ों कहानियों की रचना की है।
तेनाली रामकृष्ण की मृत्यु (Tenali Ramakrishna’s Death)
जानकारी के मुताबिक महाराजा कृष्ण देव राय की मृत्यु के बाद ही तेनालीराम को सांप ने काट लिया था जिस वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु तिथि 5 अगस्त 1575 मानी जाती है।
तेनाली रामकृष्ण पर बनी फिल्में और धारावाहिक (Movies and serials made on Tenali Ramakrishna)
तेनाली रामकृष्ण के जीवन पर कई तरह की कन्नड़ फिल्में बनाई जा चुकी है। इसके अलावा उनके जीवन की घटनाओं तथा काल्पनिक घटनाओं पर आधारित कार्टून नेटवर्क में बच्चों के लिए एक शो भी चलाया जाता है। उनके जीवन से संबंधित कई प्रकार की किताबें आज भी बाजार में उपलब्ध है। जिनमें से कुछ फिल्म और धारावाहिक निम्नलिखित हैं:-
- साल 1956 में तेनाली रामकृष्ण नामक तेलुगू फिल्म बनी जिसका निर्देशन बीएस रंगा द्वारा किया गया। फिल्म में तेनाली रामा की भूमिका शिवाजी गणेशन ने निभाई। वही नंदमूरि तारक रामाराव ने श्री कृष्णदेव राय की भूमिका निभाई।
- साल 1982 में हास्यतन रामकृष्ण नामक फिल्म बनाई गई। इसका निर्देशन बीएस रंगा द्वारा किया गया जो कि एक कन्नड़ फिल्म थी। अनंत नाग इसमें रामकृष्ण की भूमिका में दिखे।
- साल 1990 में दूरदर्शन में एक धारावाहिक प्रसारित किया गया जिसका नाम तेनालीरामा था इस धारावाहिक में विजय कश्यप ने तेनालीरामा की भूमिका निभाई।
- साल 2014 में ‘तेनाली रमन’ नामक फ़िल्म आई जो कि तेनाली रामकृष्ण के हास्य कहानियों पर आधारित थी।
- साल 2003 में ‘एडवेंचर्स ऑफ तेनाली राम’ नामक एक कार्टून, कार्टून नेटवर्क पर प्रदर्शित किया गया।
तेनाली रामकृष्ण पर आधारित पुस्तकें (Books based on Tenali Ramakrishna)
- रमन ऑफ तेनाली: द बीरबल ऑफ द साउथ (raman of tenali: the birbal of the south), 1978
- द बेस्ट ऑफ तेनाली रमन (The best Of tenali raman), 2011
तेनाली रामकृष्ण से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Some interesting facts related to Tenali Ramakrishna in Hindi)
- तेनाली रामकृष्ण के गांव का नाम भी तेनाली था इसी आधार पर उनका नाम तेनाली पड़ा।
- शुरुआत में तेनालीराम भगवान शिव के भक्त थे लेकिन आगे जाकर वे विष्णु की भक्ति करने लगे और वैष्णव धर्म अपना लिया जिसके बाद से उन्होंने स्वयं का नाम रामकृष्ण रख लिया। वही तेनाली का इस्तेमाल अपने नाम में वे इसलिए करते थे क्योंकि उनके गांव का नाम तेनाली था।
- वैष्णव धर्म को अपनाने की वजह से ही उन्हें गुरुकुल की शिक्षा देने से साफ़ मना कर दिया गया था।
- तेनालीराम ने दिल्ली के सुल्तानों से विजयनगर साम्राज्य की रक्षा की थी।
- तेनालीराम द्वारा रचित ‘पांडुरंग महात्म्यं’ काव्य तेलुगु के उच्च साहित्य में शुमार है इसे तेलुगु भाषा के पांच महाकाव्यों में से एक में गिना जाता है।
- तेनाली रामा के काल्पनिक घटनाओं को ‘द एडवेंचर्स ऑफ तेनाली राम’ (The Adventures of Tenali Rama) के नाम से कार्टून नेटवर्क पर दिखाया जाता है।
- तेनालीराम की बुद्धिमता और चतुर दिमाग की वजह से ही उनकी तुलना बीरबल से की जाती है उन्हें दक्षिण का बीरबल भी कहा जाता है।
तेनाली रामकृष्ण अपनी महानतम रचनाओं, कविताओं और कहानियों के माध्यम से आज हम सभी के बीच विद्यमान है। उन्होंने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से जो स्थान हासिल किया वह शायद ही कोई कर पाएगा। आशा है कि इस लेख के माध्यम से आपको तेनाली रामकृष्ण के जीवन से जुड़ी हुई कई जानकारियां हासिल हुई होंगी।
Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।