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History of Dadra and Nagar Haveli & Interesting Facts in Hindi | दादरा और नगर हवेली का इतिहास और रोचक तथ्य
दादरा और नगर हवेली भारत के केंद्र शासित प्रदेशों में से एक है। इसकी राजधानी सिलवास है। यह क्षेत्र दक्षिण भारत में महाराष्ट्र तथा गुजरात के बीच स्थित है। वैसे तो यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र हैं तथा यहां पर 62 फ़ीसदी आदिवासी जनसंख्या निवास करते हैं।
वनों से घिरा होने के कारण यहां पर कई वनस्पति और पशुओं की प्रजातियां पाई जाती है। यह क्षेत्र समुद्र तट के करीब है जिस वजह से यहां पर गर्मियों के दौरान तापमान ज्यादा नहीं होता। दादरा और नगर हवेली की मुख्य नदी दमन गंगा है जो कि अरब सागर में जाकर मिलती है।
इस क्षेत्र की सुंदरता की वजह से यहां पर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है इसलिए यहां पर कई होटल और रिसॉर्ट्स भी मौजूद है। यह जगह पर्यटन का मुख्य केंद्र होने के साथ ही एक औद्योगिक केंद्र भी है।
नाम | दादरा और नगर हवेली |
राजधानी | सिलवास |
सबसे बड़ा शहर | सिलवास |
जिले | 1 |
जनसंख्या | 3,43,709(2011) |
क्षेत्रफल | 491 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | हिंदी, गुजराती, मराठी |
स्थापना | 11 अगस्त 1961 |
साक्षरता दर | 76.24% |
दादरा और नगर हवेली का इतिहास (History of Dadra and Nagar Haveli)
दादरा और नगर हवेली में पहले मराठों का शासन हुआ करता था। मराठों के बाद यहां पर पुर्तगालियों का शासन रहा। इस क्षेत्र में पुर्तगालियों का शासन 150 साल से ज्यादा समय तक रहा। 1954 से 1961 तक यह प्रदेश स्वतंत्र रहा। उस दौरान इसे स्वतंत्र दादरा एवं नगर हवेली प्रशासन ने चलाया। लेकिन 11 अगस्त 1961 को इसे भारतीय संघ में शामिल किया गया और यह केंद्र शासित प्रदेश बना।
दादरा और नगर हवेली की जनसंख्या (Population of Dadra and Nagar Haveli)
दादरा और नगर हवेली की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के मुताबिक 343,709 थी। जिसमें से पुरुषों की आबादी 193,748 और महिलाओं की आबादी 149,961 थी। 2020 में क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्या 453,008 थी। 2021 के आंकड़ों के मुताबिक दादरा और नगर हवेली में पुरुषों की अनुमानित आबादी 255,360 एवं महिलाओं की अनुमानित आबादी 197,649 है।
यदि 2011 की जनगणना को आधार माना जाए तो दादरा और नगर हवेली की साक्षरता दर 76.24% है जिसके अनुसार पुरुष साक्षरता दर 85.18% व महिला साक्षरता दर 64.31% है।
दादरा और नगर हवेली की जलवायु (Climate of Dadra and Nagar Haveli)
इस क्षेत्र की जलवायु गर्म और नम होती है। यहां पर गर्मियों के दौरान अधिकतम तापमान 35 डिग्री तक पहुंच जाता है। जून से सितंबर के महीने में वर्षा ऋतु होती है। यदि बात करें यहां की औसत वार्षिक वर्षा की तो यह 200 से 250 सेमी तक होती है। यही वजह है कि इसे भारत का चेरापूंजी भी कहा जाता है। इसके अलावा सर्दियों के मौसम में दादरा और नगर हवेली का तापमान 14°C से 30°C तक रहता है।
दादरा और नगर हवेली के जिले (Districts of Dadra and Nagar Haveli)
दादरा और नगर हवेली में सिर्फ एक ही जिला है। इस जिले का नाम भी दादरा और नगर हवेली ही है।
दादरा और नगर हवेली के त्योहार (Festivals of Dadra and Nagar Haveli)
यहां पर रहने वाले विभिन्न धर्मों के लोग अपने-अपने त्योहार मनाते हैं। वही यहां पर जनजातीय लोगों की संख्या ज्यादा है तथा इन लोगों के कुछ अपने त्योहार है। जैसे ढोडिया और वर्ली जनजातियां ‘दिवसों’ नामक त्योहार मनाते हैं। वही वर्ली, कोकना और कोली जनजातियों द्वारा भावड़ा नामक त्योहार मनाया जाता है।
दादरा और नगर हवेली का धर्म व जनजातियां (Religion and Tribes of Dadra and Nagar Haveli)
इस क्षेत्र में आदिवासी जनजातियां निवास करती हैं। यह जनजातियां भी कई उप जनजातियों में बंटी हुई हैं। यहां की प्रमुख जनजातियों में कोंकण, कोली, वरलाइ, काथोड़ी, नैका, डबलास आदि प्रमुख है। इस क्षेत्र में वैसे तो विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं। लेकिन यहां पर ज्यादातर आबादी हिंदू धर्म को मानने वालों लोगों की है। वहीं अन्य धर्मों में मुस्लिम, सिख, ईसाई प्रमुख है।
दादरा और नगर हवेली के लोक नृत्य (Folk Dance of Dadra and Nagar Haveli)
जैसे कि पहले बताया गया है कि दादरा और नगर हवेली में ज्यादातर जनजातियां रहती है। इन जनजातियों और आदिवासी लोगों की संस्कृति का अभिन्न अंग यहां के लोकनृत्य और संगीत है। यहां के लोग जन्मदिन, शादी, त्योहारों जैसे महत्वपूर्ण समारोह में रंगीन पोशाक पहनकर तैयार होते हैं और लोक गीत और लोक नृत्य के जरिए खुशियां मनाते है। यहां पर कई लोक नृत्य जिनमे से भावड़ा नृत्य, तरपा नृत्य, ढोल नृत्य, अरहर नृत्य, बोहड़ा नृत्य और तूर व थाली नृत्य आदि आम लोगों के बीच खूब पसंद किए जाते है।
यहां की वर्ली, कोकन व कोली जनजातियों का प्रमुख नृत्य तर्पा नृत्य है। इस नृत्य को यहां के आदिवासी पुरुष और स्त्री रात में किया करते हैं। यह नृत्य मुख्यतः फसलों के मौसम में किया जाता है इस दौरान लोग कमरों के चारों और एक दूसरे को पकड़कर एक घेरा बनाते हैं तथा तर्पक नामक एक वाद्य यंत्र लेकर एक शख्स इस घेरे के बीच में खड़ा होता है।
दादरा और नगर हवेली के शिल्प (Craft of Dadra and Nagar Haveli)
दादरा और नगर हवेली में कई वर्ली जनजाति के लोग रहते हैं। इन लोगों की विशेषता यह है कि इनकी रचनात्मकता आपको दीवारों और भित्ति चित्रों में नजर आएगी। वे दीवारों में सूर्य, चंद्रमा, पेड़ प्रकृति से संबंधित दृश्य बनाकर अपनी कला को जाहिर करते हैं।
दादरा और नगर हवेली का खानपान (Traditional Food of Dadra and Nagar Haveli)
यहां का खानपान गुजराती खानपान से काफी मिलता-जुलता है। यहां के लोग ज्यादातर आटे की रोटियां पसंद करते हैं। इसके अलावा यहां के अन्य व्यंजनों में ढोकला, दाल, मशरूम, गुंडा, गंथी और उबाडियू प्रमुख है।
दादरा और नगर हवेली की भाषा (Official Language of Dadra and Nagar Haveli)
यहां पर रहने वाले आदिवासी जनसमुदाय अपनी भाषाओं में बातचीत करते हैं। इन भाषाओं में भीली और भी भिलोड़ी प्रमुख है। वही यहां आधिकारिक कामकाज की भाषा अंग्रेजी है। इन भाषाओं के अलावा भी यहां पर गुजराती, मराठी, हिंदी जैसी भाषाएं बोली जाती हैं।
दादरा और नगर हवेली की वेशभूषा (Traditional Attire of Dadra and Nagar Haveli)
दादरा और नगर हवेली के पुरुषों की वेशभूषा लंगोटी, पगड़ी और एक लंबा कोट है जबकि यहां महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा साड़ी है। इसके साथ ही यहां की महिलाएं खुद को सजाने के लिए चांदी के आभूषण पहनना पसंद करती है।
दादरा और नगर हवेली के प्रमुख पर्यटन स्थल (Major Tourist Places of Dadra and Nagar Haveli)
प्राकृतिक सौंदर्य से भरे दादरा और नगर हवेली में आपको घने जंगल, शानदार पर्वत श्रृंखलाएं, वनस्पतियां अलग-अलग प्रजातियों के जीव-जंतु तथा लुभावनी नदियां दिखाई देंगी। अपने प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से यह पर्यटन का मुख्य स्थल भी है। आइए जानते हैं यहां के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में:-
- वनगंगा लेक गार्डन
वनगंगा लेक गार्डन दादरा और नगर हवेली की राजधानी सिलवास से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग के समान है। यह लेक गार्डन 7.58 हेक्टेयर के क्षेत्र तक फैला हुआ है। इस गार्डन में आपको जापानी शैली के पुल देखने को मिलेंगे। इसके अलावा यहां पर पेड़, झड़ने, रेस्टोरेंट जॉगिंग, ट्रैक जैसी आकर्षक चीजें देखने को मिलेंगी। दादरा व नगर हवेली की यह जगह पर्यटन का मुख्य केंद्र है। यही वजह है कि यहां पर हर साल 4 लाख से ज्यादा सैलानी घूमने आते हैं।
- लुहारी
लुहारी, सिलवास से 14 किलोमीटर दूर स्थित एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है। यहां का पर्यटन विभाग कई तरह के साहसिक खेलों को आयोजित करता है। जिनमें ट्रैकिंग आदि शामिल है। यहां पर आपको वन क्षेत्रों में कैंप लगाने का मौका मिलेगा। साथ ही यहां पर वन्य जीव अभयारण्य स्थित है। जहां पर आप अलग-अलग प्रजातियों के जानवरों को देख पाएंगे।
- मिनी जू और बाल उद्यान
मिनी जू और बाल उद्यान बगीचों से घिरा हुआ है। यह सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि बड़ों के लिए भी पसंदीदा पर्यटन स्थल है। यहां पर आपको अलग-अलग तरह के जानवर और पक्षियों की प्रजातियों को देखने का मौका मिलेगा। साथ ही यहां पर बच्चों के लिए कई तरह के रंग-बिरंगे झूले, मैरिगो राईड्स लगे हुए हैं। यह सिलवास शहर में ही मौजूद है तथा यहां पर जाना काफी आसान है।
तो ऊपर दिए गए लेख में आपने जाना दादरा और नगर हवेली का इतिहास और रोचक तथ्य (Dadra and Nagar Haveli History and Interesting Facts in Hindi), उम्मीद है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा।
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Author:
भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।