व्यंंग्य: राजनीति करना चाहता हूँ | Hindi Kavita: Rajaneeti Karana Chahata Hoon
मैं भी सोचता हूँ
कि राजनीति में कूद पड़़ूं,
इस हमाम में सब नंगे
मैं ही तन ढाक कर क्या करूँ?
तंग आ गया हूँ वोट देकर
क्यों न इस बार टिकट और फिर
वोट की मांग करूँ।
राज की बात आपको बताता हूँ
मैं भी खूब धन कमाना चाहता हूँ
अब ईमानदारी से भला
दाल रोटी तो चल ही नहीं
बस एक बार बड़ा हाथ मारना चाहता हूँ।
आलीशान बंगला महंगी गाड़ियों के
आजकल सपने बहुत आते है
बस कैसे भी ये सपने
पूरे कराना चाहता हूँ,
अंदर की बात है किसी से मत कहना
हवाला से धन कमाना चाहता हूँ,
बस एक बार मौका भर देकर तो देखिए
स्विस बैंक में अपना भी खाता खुल जाये
रुपयों से खाता भरना चाहता हूँ।
आप सबने कितनों को मौका दिया
एक बार मुझे भी देंगें तो
पहाड़ नहीं टूट जायेगा,
मैं तो अपना राज आपको बता ही दिया
बस एक बार सिर्फ़ एक बार
मौका तो देकर तो देखिए
सच बताऊँ कि मैं देश छोड़कर
भाग जाना चाहता हूँ,
राजनीति तो सिर्फ़ बहाना है दोस्तों
नं. दो का पैसा कमाना चाहता हूँ
कानून के लफड़े से बचने की खातिर
नेताओं के गुण सीखना चाहता हूँ
तिहाड़ जाकर भी नेताओं के
जलवे बहुत देखे हैं हमनें
बस यही गुरुमंत्र
नेताओं से सीखना चाहता हूँ,
ईमानदारी से कहता हूँ
दो चार के जीवन का टिकट भी
काटना पड़े तो भी चलेगा
भाई को भाई से लड़ाना पड़े
जातिधर्म का जहर भी बोना पड़े
वो सब करना चाहता हूँ
पक्का नेता ही नहीं
बेशर्म, बेहया नेता बनना चाहता
इसीलिए राजनीति करना चाहता हूँ।
हिंदी कविता: गाँधी तुम्हें प्रणाम
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Author:
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.