रिद्धिमा पांडे की जीवनी

Last updated on: February 18th, 2021

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रिद्धिमा पांडे की जीवनी | Ridhima Pandey Climate Activist Biography in Hindi

रिद्धिमा पांडे की जीवनी | Ridhima Pandey Climate Activist Biography in Hindi

मनुष्य के जीवन में पर्यावरण का कितना महत्व है, इससे हर कोई वाक़िफ़ है। यदि साफ शब्दों में कहें तो मनुष्य पर्यावरण के बिना जीवित ही नहीं रह सकता। पर्यावरण ने मनुष्य को हर तरह की चीजें प्रदान की, जिनकी मनुष्य को जरूरत थी। लेकिन मनुष्य ने बदले में उसका दोहन किया।

पर्यावरण के दोहन के साथ ही कई तरह की समस्याएं उभर कर आई। जैसे ओज़ोन लेयर में छेद, ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन आदि। लेकिन फिर भी मनुष्य पर्यावरण को बर्बाद करने से रुक नहीं रहा। ऐसे में रिद्धिमा पांडे ऐसी शख़्सियत हैं जिन्होंने पर्यावरण के साथ होते इस अत्याचार और जलवायु परिवर्तन को लेकर अपनी आवाज बुलंद की।

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वैसे तो रिद्धिमा एक 13 साल की बच्ची हैं। लेकिन पर्यावरण के प्रति उसका प्रेम उसे कई मायनों में अन्य लोगों से बड़ा बनाता है। रिद्धिमा पांडे एक जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता है। उन्होंने अपने प्रयासों के जरिए लोगों को यह बताया कि पर्यावरण मनुष्य के लिए कितनी जरूरी है। आइए जानते हैं इस छोटी सी जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता के बारे में:-

रिद्धिमा पांडे का निजी जीवन

रिद्धिमा पांडे पर्यावरण एक्टिविस्ट(climate activist) है। वे उत्तराखंड से हैं तथा काफी लंबे समय से पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन को लेकर संघर्षरत हैं। रिद्धिमा का जन्म साल 2008 में हुआ था। वह सिर्फ 13 साल की है किंतु उन्होंने जलवायु परिवर्तन को लेकर बड़े काम किए हैं।

रिद्धिमा के पिता दिनेश चंद्र पांडे और उनकी माता एनबी पांडे दोनों ही पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। ऐसे में हम कह सकते हैं कि पर्यावरण को लेकर काम करने की प्रेरणा रिद्धिमा को अपने ही माता-पिता से मिली है। रिद्धिमा उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित बीएम डीएवी पब्लिक स्कूल की छात्रा है।

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नामरिद्धिमा पांडे
उम्र13 वर्ष
जन्म वर्ष2008
राष्ट्रीयताभारतीय
जन्म स्थानउत्तराखंड
धर्महिंदू
माता का नामएनबी पांडे
पिता का नामदिनेश चंद्र पांडे
वजन35 किलो
ऊंचाई1.4 मीटर
आँखों का रंगगहरा काला
बालकाले
रिद्धिमा पांडे की जीवनी | Ridhima Pandey Climate Activist Biography in Hindi

रिद्धिमा ने जलवायु परिवर्तन को लेकर ये कदम उठाए हैं

  • रिद्धिमा ने जलवायु परिवर्तन को लेकर कई काम किए हैं। दरअसल मार्च महीने की 2017 में रिद्धिमा ने केंद्र सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर की। गौरतलब है कि उस समय रिद्धिमा की आयु सिर्फ 9 वर्ष की थी।

    इस याचिका में रिद्धिमा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत नाकाम रहा है। उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि औद्योगिक परियोजनाओं का आकलन कर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन पर काबू पाने के लिए रणनीति बनाई जाए।

  • साल 2019 में जलवायु परिवर्तन के संबंध में संयुक्त राष्ट्र संघ में भी रिद्धिमा ने अन्य 15 बच्चों के साथ सरकारों के खिलाफ केस दर्ज़ करवाया, जिसमें फ्रांस, जर्मनी, ब्राज़ील, तुर्की, अर्जेंटीना आदि देश शामिल हैं।

    इस शिकायत में इस बात का उल्लेख किया गया कि ये देश जलवायु संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने में असफल रहे हैं। बता दें, 16 बच्चों में ग्रेटा थनवर्ग,कार्ल स्मिथ, मैनुएल के साथ ही अन्य बच्चे भी शामिल थे।

  • कुछ समय पहले ही मुंबई में मेट्रो लाइन के लिए जंगलों को काटा जा रहा था। इसे देखते हुए रिद्धिमा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुकदमा दायर किया। उन्होंने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि,

    “मैं प्रधानमंत्री से अपील करना चाहती हूं कि जंगलों को काटना बंद कर दें तथा जिन लोगों को इस संबंध में गिरफ्तार किया गया है उन्हें रिहा कर दें।”

  • रिद्धिमा ने गंगा की सफाई को लेकर भी काम किया है। इस मुद्दे पर उनका कहना है कि गंगा में पॉलिथीन बैग, कचड़ा और औद्योगिक अपशिष्ट नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है और इस मामले को लेकर अधिकारी उदासीनता अपनाए हुए हैं। इस पर उन्होंने कहा कि, “हम गंगा को अपनी मां मानते हैं फिर भी उसी गंगा में अपने कपड़े धोना और कचरा फेंकने जैसे काम करते हैं।

    सरकार इस मुद्दे को लेकर सिर्फ दावा करती है। लेकिन नदी की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, वह अभी भी प्रदूषित है।” इसके साथ ही रिद्धिमा ने प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने की भी मांग उठाई। उन्होंने कहा कि, “अगर हम प्लास्टिक का उपयोग करना ही बंद कर देंगे तो कंपनियां उनका निर्माण ही नहीं करेंगी।”

  • रिद्धिमा कहती है कि, “मैं अपने भविष्य को बचाना चाहती हूं और इसके साथ ही उन अगली पीढ़ी बच्चों के भविष्य की रक्षा करना चाहती हूं।”

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इस घटना के बाद से रिद्धिमा बनी क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट

दरअसल, साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में एक बाढ़ आई जिसमें करीब 5,000 लोगों की मृत्यु हो गई। उस समय रिद्धिमा मात्र 5 साल की थी। इस घटना के बाद से रिद्धिमा को लगा कि पर्यावरण को लेकर कुछ किया जाना जरूरी है।

तब से लेकर आज तक वह जलवायु परिवर्तन को लेकर कई काम कर चुकी हैं। इस विषय में रिद्धिमा ने कहा कि, “मुझे मालूम हुआ कि बाढ़ और सूखा पड़ना सब ग्लोबल वॉर्मिंग से जुड़े हुए हैं तथा यह आगे जाकर हमारे भविष्य को प्रभावित करेंगे।”

वे आगे कहती हैं कि “मुझे बुरा लगा कि ग्लोबल वॉर्मिंग की रोकथाम के लिए इंसानों ने कोई कदम नहीं उठाया इसलिए मैंने जलवायु के मुद्दों पर बातचीत करना शुरू कर दिया।”

रिद्धिमा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके माता-पिता पर्यावरण से जुड़े काम करते हैं तथा जब भी वह कहीं सपरिवार घूमने जाते हैं तो वे ऐसी जगहों को चुनते हैं जो कि प्रकृति के काफी करीब होती हैं।

इन सब चीजों से ही रिद्धिमा को पर्यावरण के बारे में जिज्ञासा उत्पन्न हुई तथा उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए आवाज उठाना शुरू कर दिया।

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रिद्धिमा को इन अवॉर्डों से सम्मानित किया गया

बीबीसी की तरफ से 100 की सूची में रिद्धिमा को शामिल किया गया। गौरतलब है कि यह पुरस्कार उन महिलाओं को दिया जाता है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कुछ बेहतरीन काम किए हों।

यह पुरस्कार सिर्फ उन महिलाओं को दिया जाता है जिन्हें प्रेरक और प्रभावशाली माना जाता है। इस सूची में भारत से अन्य तीन महिलाओं को भी स्थान मिला था।

वहीं रिद्धिमा TEDx में स्पीकर भी है। इसके साथ ही वे उन 16 बच्चों में शुमार हैं, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन के विषय पर काम किया।

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Author:

भारती, मैं पत्रकारिता की छात्रा हूँ, मुझे लिखना पसंद है क्योंकि शब्दों के ज़रिए मैं खुदको बयां कर सकती हूं।