कविता संग्रह: एम० एस० हुसैन

Hindi Kavita on Eid
HINDI POEM | HINDI KAVITA | HINDI KAVITA on Eid

जीवन गाथा

आओ हम सब मिलकर
जग में पुनीत कार्य करें ।
अपने कर्म कृतार्थ से हम
सफलता की सोपान चढ़े।।

मानव जीवन है हमने पाई
इसका भी हम भान करें ।
भगवान ने दिया है हमको
कुछ मज़बूरों को दान करें ।।

जो लोग हैं लाचार भिखारी
जिनपर है मुसीबत तारी ।
उनका हम उत्साह बढ़ाकर
घर चलाने का जुगाड़ करें ।।

मनुष्य जीवन है बड़ा अनमोल
इसका भी बहुत बड़ा है रोल
हमें बिना मांँगे जो मिला है
इसका हम उचित निर्वाह करें । ।

लोगों की आह से बचे रहे हाथ
ऐसे ही कार्यों का उत्थान करें
प्रभु ऐसा चाहिए वरदान मुझे
सदैव हुसैन ज्ञान का दान करें।

ईद का त्योहार

ईद का त्योहार है आया
खुशियों की सौगात है लाया
रहमत और बरकत भी खूब
साथ था रमज़ान लेकर आया

चलो बाज़ार से लाएंँ हम
चलकर चीनी और सेवइयांँ
दूध हमें तो यही मिलेंगे
लेलो मक्खन और मलाईयाँ

उत्कृष्ट किस्म के सेवईयों
सज गई है यह बाज़ार
सुरमा और टोपी भी है देखो
और अत्तर भी है खुशबूदार

हमने भी तो रखे हैं
इस पाक महीने में रोज़ा
तीस दिनों तक है हमने
खुद को भूख प्यास से रोका

हम जाएंगे अदा करने नमाज़
अपने-अपने घरों से ईदगाह
सब के तन पर होंगे वस्त्र नए
सबके मन में है एक उत्साह

सारे शिकवे और गिले भुलाकर
देंगे मुबारकबाद गले लगाकर
करेंगे दोस्तों के साथ खरीदारी
अपने अम्मी दादी से ईदी पाकर

ईद की होती है अपनी एक शान
पहली तारीख है महीना श्अबान
हर शख़्स को करना होता है दान
मिलता उसे जो है असहाय इंसान

मेरे गांव का मेला

बहुत खूबसूरत होता था
मेरे गांव का वह मेला
जहां पर लगा रहता था
हरदम लोगों का रेला

लोगों में भी होती थी
मेले को लेकर सरगर्मी
जिसका शुभ अवसर था
चैत्र मास की रामनवमी

जहां कराया जाता था
प्रतिवर्ष घोड़े का दौड़
यहां लगी रहती थी लोगों में
प्रतिस्पर्धा जीतने की होड़

अनोखा हुआ करता था
मेरे गांव का वह मेला
कहीं बंदर कहीं भालू का
कहीं जादू का होता खेला

कोरोना तूने ये कैसा खेला है
प्रकृति के साथ अपना खेल
तेरे कारण दिख रहा है आज
मेरा गांव सुनसान व अकेल

प्रीत जहां की रीत सदा

है प्रीत जहां की रीत सदा
मैं यही बताने आया हूं
इस मिट्टी में मैं पला बढ़ा
इसी से सम्मान पाया हूं

जहां के ज़र्रे-ज़र्रे में है
वतन परस्ती की खुशबू
जहां वीरों के कंधे पर है
वतन की इज़्ज़त आबरू

जहां पर बच्चों को सदैव ही
सत्य का पाठ पढ़ाया जाता
झुठ मत बोलो कभी , पाप है
इसका आभास कराया जाता

जहां है बड़े छोटे में अदब
पूछता किसी से हाल जब
मिलता जवाब सदैव वही
शुक्रिया है पाल रहा है रब

Loudspeakerकविता संग्रह: ममता रानी सिन्हा

Loudspeakerकविता संग्रह: आराधना प्रियदर्शनी


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Author:

M S Husain

एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
मोहनियां कैमूर बिहार